रायपुर

हल्दी, कुमकुम व मोंगरे से सजी माँ शोलापुरी की पूजा शुरू
04-May-2024 1:53 PM
हल्दी, कुमकुम व मोंगरे से सजी माँ शोलापुरी की पूजा शुरू

माता का स्वागत करने पहुंचे राजेश मूणत 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 4 मई।
राटा संकल्प पूजन के साथ श्री श्री शोलापुरी माता पूजा शुरु हो गई। इस अवसर पर डब्ल्यूआरएस कॉलोनी में कोलकाता से आए कारीगरों द्वारा भव्य पंडाल तैयार किया गया है। माता का स्वागत करने पश्चिम क्षेत्र के विधायक राजेश मूणत भी पहुंचे। 

श्री श्री शोलापुरी माता पूजा समिति के अध्यक्ष एम साई ने बताया कि शुक्रवार 3 मई को माता का आगमन हो चुका है। इस अवसर पर झांकी- बैंडबाजे से सजी भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें जगह-जगह माता का स्वागत पारंपरिक वाद्य ढपली व नीम-हल्दी पानी का अध्र्य देकर किया गया। शोलापुरी मंदिर से करीब 6 किलोमीटर की परिक्रमा कर डब्ल्यूआरएस कॉलोनी स्थित पूजा पंडाल में माता को विराजमान किया गया। इसके साथ ही यहां 9 दिनों तक तीन बाल पुजारियों द्वारा माता की सेवा की जाएगी। शोलापुरी माता की पूजा सिर्फ बाल पुजारियों द्वारा कराई जाती है। परंपरानुसार पुजारियों का अविवाहित होना आवश्यक है। इस दौरान ये सिर्फ धोती पहनते हैं और शरीर पर हल्दी का लेप लगाए रखते हैं।

उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 21 पकवान के भोग के साथ माता की पूजा-अर्चना होगी। रविवार 12 मई को महाभोग होगा। 52वीं वर्षगांठ पर इस बार छप्पन भोग चढ़ाया जाएगा। छप्पन भोग के साथ पूजा होगी और वहीं सबको प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा।

महा सचिव सत्यम दुआ ने बताया कि महाभोग कार्यक्रम में करीब 3 से 4 हजार श्रद्धालुओं महाप्रसाद ग्रहण करते है। महाप्रसाद के बाद शाम 7 बजे वापस माता शोलापुरी को मंदिर के लिए शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस अवसर पर पूजा के लिए पश्चिम बंगाल के खडक़पुर से पुजारी पी मोहन राव आते हैं, जो 47 वर्षों से समिति के साथ जुड़े हुए हैं और माता की सेवा करते हैं। 

पुजारी पी. मोहन राव बताते हैं कि माता की पूजा हल्दी और कुमकुम से होती है। उन्होंने बताया कि परिवार के सदस्य यह काम 47 साल से कर रहे हैं। उनके पिताजी ने उन्हें यह काम सिखाया है।

पूजा के बारे उन्होंने बताया कि नियमानुसार मां के कलश को हल्दी, कुमकुम व मोंगरा के फूलों से सुसज्जित कर 7 सात बजे आंध्र प्रदेश के विशेष ढोल-बाजे (ढपली) व आतिशबाजी के साथ ग्राम परिक्रमा कराने के बाद रेलवे कॉलोनी स्थित पंडाल में विराजमान कराया गया। प्रतिदिन मां के अलग-अलग रूपों को दर्शन प्राप्त होगा, यहां 9 दिनों तक सेवा के बाद वापस माता को भव्य शोभायात्रा के साथ मंदिर ले जाया जाएगा। 
 

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