रायगढ़
पति -पत्नी को भी मिला लाभ, लैलूंगा नगर पंचायत का कारनामा
रायगढ़, 27 सितंबर (‘छत्तीसगढ़’)। छत्तीसगढ़ के लैलूंगा विधानसभा में बड़े पैमाने पर प्रधानमंत्री आवास घोटाला सामने आया है और इसमें नगर पंचायत के तत्कालीन सीएमओ की मिलीभगत से उन लोगों के नाम से राशि निकाल ली गई, जिन्हें न तो प्रधानमंत्री आवास मिला और न उन्हें अपने नाम से राशि मिलने की जानकारी मिली। इतना ही नहीं कुछ आवास तो ऐसे हैं जिसमें पति-पत्नी के अलावा नगर पंचायत में काम करने वाले कर्मचारी भी शामिल है। जिन्हें पात्र घोषित करते हुए इसका लाभ दिला दिया गया। इतना ही नहीं तत्कालीन सीएमओ ने गड़बड़ी उजागर होते ही अपात्र लोगों के नाम से निकाली गई राशि भी नगर पंचायत के खाते में चुपचाप जमा भी कर दी। लेकिन हम नाम के नाम से निकाली गई राशि का मामला अभी भी जांच के दायरे में है।
छत्तीसगढ़ की साय सरकार का गठन होते ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पहली घोषणा प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम से करते हुए यह वादा किया था कि जल्द ही छत्तीसगढ़ में गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाएंगे, लेकिन लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में इस योजना के नाम से लाखों रुपये की राशि या तो गबन कर ली गई या फिर उसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी करते हुए इस योजना को लाभ का जरिया बना लिया।
इस संबंध में सूचना के अधिकार के तहत गड़बड़ी उजागर करने वाले उमेश अग्रवाल का कहना है कि सूचना के अधिकार के तहत उसने जब जानकारी निकाली तब यह घोटाला सामने आया कि किस तरह तत्कालीन सीएमओ सीपी श्रीवास्तव ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत न केवल राशि निकाली ली बल्कि हमनाम लोगों के नाम से आवंटित प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि भी गबन कर ली। इतना ही नहीं जिनके नाम से राशि निकाली गई उन्हें इस बात की जानकारी तक नहीं थी कि उन्हें आवास मिला है। कुछ मामलों में तो पति-पत्नी के अलावा नगर पंचायत में कार्यरत कर्मचारियों तक को इसका लाभ दे दिया गया और गड़बड़ी कई लाख रूपये की है।
शिकायत सामने आने के बाद कुछ आवास की राशि तत्कालीन सीएमओ सीपी जोशी ने चुपचाप नगर पंचायत के खाते में जमा करके अपनी कार्यगुजारी को छुपाने का भी प्रयास किया। उनका कहना है कि इस मामले में अगर जांच की जाती है तो करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आयेगा।
लैलूंगा नगर पंचायत के 13 वार्डों में से अधिकांश वार्ड में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत की गई गड़बड़ी की जांच में एक हितग्राही ने कैमरे के सामने ही बताया कि उसके नाम से प्रधानमंत्री आवास की राशि निकाल ली गई और जबकि उसे इस योजना का लाभ मिला ही नहीं उसने बताया कि बाद में पता चला कि उसके हमनाम के नाम से प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि निकाली गई और दोनों के खाते एक ही बैंक में होने से इस गड़बड़ी का पता चला। पीडि़त आदिवासी जाति का है और जब उसे इस बात का पता चला तब तत्कालीन सीएमओ ने वह राशि वापस नगर पंचायत के खाते में जमा कर दी।
इस पूरे मामले में नगर पंचायत लैलूंगा की सीएमओ का कहना है कि लैलूंगा में 185 लोगों को नोटिस दिया गया था और उसमें से 93 आवासों की जांच की जा रही है। यह सभी नोटिस शिकायत के आधार पर दिये गए हैं जिसमें यह कहा गया था कि आवास योजना के तहत अपात्र लोगों को राशि दे दी गई है जिसमें हमनाम लोगों के नाम शामिल है। इतना ही नहीं कुछ आवास तो बने ही नहीं हैं और नगर पंचायत से पेमेंट कर दिया गया। जिसकी शिकायत बड़े अधिकारियों को भी भेजी गई है और जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
बहरहाल लैलूंगा विधानसभा की नगर पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत की गई बड़ी गड़बड़ी इस बात के संकेत है कि भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों ने इस योजना में भी सेंध लगाकर लाखों रुपये की कमाई कर ली और कमीशन मिलने के बाद कुछ लोगों ने इसमें चुप्पी साध ली थी अब देखना यह है कि शिकायत के बाद एक के बाद एक खुली कलई से जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होती है या नहीं।
इस मामले में रायगढ़ कलेक्टर कार्तिकेय गोयल ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लैलूंगा में जो शिकायत आई है। उसमें जांच चल रही है। इस दौरान कुछ तथ्य ऐसे सामने आये हैं जिससे की प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे नियमों को छोडक़र गाइडलाइन के विपरीत पेमेंट हुआ है। इस मामले में जांच चल रही है और कुछ नये तथ्य और सामने आये हैं। जांच दल के सामने यह बात मैंने रखने को कहा है। जिसमें जांच दल संज्ञान में लेकर विधिवत कार्रवाई करेगी। गाइडलाइन के विपरीत जो भी कार्य होते हैं उसमें रिकवरी की कार्रवाई करते हुए विधिवत कार्रवाई भी की जाएगी।