बेमेतरा

सात लाख की आबादी जिला अस्पताल पर निर्भर, चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा
27-Sep-2024 2:07 PM
सात लाख की आबादी जिला अस्पताल पर निर्भर, चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 27 सितंबर।
जिला अस्पताल एक बार फिर डॉक्टरों की कमी से जूझने लगा है। जिला अस्पताल के लिए स्वीकृत पदों के विपरीत केवल 30 फीसदी डॉक्टर ही कार्यरत है। चिकित्सक नहीं होने का सबसे अधिक असर उपचार के लिए आने वाले मरीजों पर पडऩे लगा है। विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं होने की वजह से मरीज स्वयं दीगर शहरों में जाकर उपचार कराने लगे हैं या फिर स्थिति को देखते हुए मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है।

जिले के 7 लाख से अधिक रहवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा व चिकित्सा के लिए संचालित जिला अस्पताल एक बार फिर चिकित्सकों की कमी का शिकार हो रहा है। 30 दिवस के भीतर जिला अस्पताल में पदस्थ कई चिकित्सको का दीगर अस्पताल में तबादला हो चुका है या फिर सरकारी अनुबंध समाप्त होने के बाद बांड पर पदस्थ डाक्टर जिला अस्पताल से रिलीव हो चुके हैं। 

जिला अस्पताल में इस दौरान अस्थि रोग विशेषज्ञ, निश्चेतना रोग विशेषज्ञ, कान, नाक गला, नेत्र रोग विशेषज्ञ व रेडियोलाजिस्ट का पद रिक्त है। अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. शिल्प वर्मा पद मुक्त हो चुके हैं। इसके अलावा बांड पर रहने वाले 6 डॉक्टरों का तबादला हो चुका है या फिर अनुबंध अवधि समाप्त होने की वजह से कार्यमुक्त हो गए है। जिसमें डॉ अभ्युदय अग्रवाल, डॉ. नरेश जांगडे, डॉ.ओमप्रकाश, डॉ. तान्या, डॉ. आकांक्षा सिन्हा शामिल है। इसके अलावा दो डॉक्टर जाने की तैयारी में है। आने वाले 30 सितंबर को वर्ग एक के डॉक्टर कार्यमुक्त हो रहे हैं। वहीं आने वाले 10 सितंबर को एक अन्य डॉक्टर रिलीव होने के लिए सूचना दे चुके हैं। ऐसे में जिला अस्पताल में गिनती के डॉक्टर बच गये हैं।

संस्था प्रसव को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्रसव पश्चात नवजात व प्रसूता को बेहतर चिकित्सा देने के लिए जिला अस्पताल परिसर में संचालित मातृत्व शिशु अस्पताल की स्थिति जिला अस्तपाल से भी कमजोर है। यहां पर चिकित्सकीय व गैर चिकिसकीय वर्ग के कुल 80 पद स्वीकृत किए गए है इसमें से केवल 13 कार्यरत है शेष 67 पद रिक्त है। बताया गया कि एमसीएच में नि:श्चेतना विशेषज्ञ, शिशुरोग विशेषज्ञ, स्त्रीरोग विशेषज्ञ, नि:श्चेतना पीजीएमओ, शिशु पीजीएमओ, शिशुरोग पीजीएमओ, स्त्रीरोग पीजीएमओ, पैथालाजी पीजीएमओ, लैब टेक्नीशियन , वार्डब्वाय, आया, भृत्य, ओटी अटेण्डेट के सभी पद रिक्त है। स्टाफ नर्स के 36 पद में से केवल दो कार्यरत है। मेडिकल आफिसर के 5 में से 4 कार्यरत है। ग्राम स्वास्थ संयोजक के 4 में 3 कार्यरत है। सहायक ग्रेड-3 के दो कार्यरत है। इन्हीं कार्यरतों के भरोसे चल रहा है एमसीएच अस्पताल।

जूनियर डॉक्टर ही संभाल रहे हैं अस्पताल 
जिला अस्पताल के लिए चिकित्सा अधिकारी के 16 स्वीकृत में से 11 पद में कार्यरत है जिनके भरोसे जिला अस्पताल का काम चल रहा है। इसके अलावा 28 में से 19 स्टाफ नर्स है। एक रिडियोग्राफर कार्यरत है, एक रिक्त है। इसके अलावा डाईटिशियन, इसीजी टेक्नीशियन, ओटी, डेंटल टेक्नीशियन के सभी पद रिक्त है। नेत्र रोग के लिए डॉक्टर नहीं होने की स्थिति में एक डॉक्टर को अस्थाई तौर पर एक दिन के लिए दुर्ग से आहूत किया जा रहा है। वहीं सप्ताह के बचत दिवस नेत्र सहायक अधिकारी देखते हैं। जिला अस्पताल के लिए कुल 136 स्टाफ का सेटअप स्वीकृत किया गया है जिसमें से केवल 53 पद पर कार्यरत है। बचत 73 पद रिक्त है।

15 पद स्वीकृत पर कार्यरत केवल 5
जिला अस्पताल में सर्जन के दो पद, नेत्र रोग विशेषज्ञ के एक पद, मेडिसिन विशेषज्ञ के एक पद, स्त्रीरोग विशेषज्ञ के एक पद, ऐनिस्थितिया विशेषज्ञ के एक पद, रेडियोलाजिस्ट के 1 पद, पैथालॉजिस्ट के दो पद, मनोरोग के दो पद, अस्थिरोग के एक पद रिक्त है। जिला अस्पताल में क्लास वन स्तर के 15 डॉक्टर पदस्थ करने का आदेश है पर कार्यरत केवल 5 डॉक्टर है। स्वीकृत पद के विपरीत केवल 33 फीसदी स्टाफ से काम चलाया जा रहा है।

जिला अस्तपाल में दोनों अस्पताल पर करोड़ों का बजट भवन ,उपकरण व साजसज्जा व सुविधा देने पर खर्च किया गय है पर कार्यरत नहीं होने की वजह से सरकारी खर्च बेकार हो रहा है। जिला अस्तपाल में प्रतिदिन आने वाले 500 से अधिक मरीज पर मानव संसाधन की कमी भारी पड़ रही है।

सिविल सर्जन डॉ. एसआर चुरेन्द्र ने कहा कि उच्च अधिकारियों को पद की कमी से अवगत कराया गया है। जिला अस्पताल में प्रतिदिन 500 से अधिक मरीज आ रहे हैं। मरीजों की संख्या को देखते हुए और डॉक्टरों की जरूरत है।

अन्य पोस्ट

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news