सुकमा

टपक रहा पानी, टायलेट के शीट टूटे, शिक्षकों की भी कमी
01-Oct-2024 3:06 PM
टपक रहा पानी, टायलेट के शीट टूटे, शिक्षकों की भी कमी

 कोंटा आत्मानंद स्कूल में अव्यवस्था का आलम 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंटा, 1 अक्टूबर। 
सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक मुख्यालय में संचालित आत्मानंद हिंदी माध्यम स्कूल में शिक्षकों से लेकर बच्चे तक परेशान हो रहे हैं। नया भवन बनकर इसी साल तैयार हुआ है। एक करोड़ 10 लाख की राशि भवन के निर्माण में खर्च की गई है। पहले बारिश सीजन में ही भवन ने जवाब दे दिया है। भवन की छत से बारिश का पानी टपक रहा है।  शिक्षकों की भी कमी है, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है। 

नक्सल प्रभावित जिले में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के सरकारी प्रयास पर निर्माण एजेंसी और ठेकेदार की मिलीभगत पानी फेरने का काम कर रही है। एक करोड़ 10 लाख की लागत से निर्मित स्कूल भवन अभी से जर्जर होने लगा है। निर्माण के दौरान बरती गई अनियमितता चंद महीनों में ही दिखने लगी है। 

कोंटा जैसे इलाकों में बच्चों की जरूरत को देखते हुए सरकार की ओर से शिक्षा पर लाखों—करोंड़ों रुपए खर्च किए जा रहा है। लेकिन आदिवासी इलाकों में बच्चों को सरकारी प्रयास का शत प्रतिशत लाभ नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि शिक्षा के नाम पर करोड़ों खर्च करने के बाद भी इलाके के बच्चों को बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है।

नए भवन का शौचालय खराब
नए भवन का निर्माण कार्य पूरा होने पर इसी साल नए शिक्षा सत्र में बच्चों को बैठाया जा रहा है। भवन की छत से टपक रहा बारिश का पानी शिक्षकों के साथ बच्चों को भी परेशान कर रहा है। वहीं नए भवन का शौचालय भी खराब हो गया है। फर्श में लगे टाइल्स उखड़ गए हैं। वहीं टायलेट शीट टूट गए हैं। बनने के कुछ ही दिनों में भवन की हालत ऐसी हो गई है कि मानो भवन कई साल पुरानी है और इसका मरम्मत किया गया है। शौचालय खराब होने की वजह से बच्चे बाहर जाने को मजबूर हैं। सबसे ज्यादा परेशानी बालिकाओं को हो रही है। कई बार उन्हें शर्मिंदगी भी उठानी पड़ती है।  

स्कूल भवन में बिजली सप्लाई नहीं
नए स्कूल भवन में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था तक नहीं की गई है। बिजली कनेक्शन नहीं होने से बच्चों और शिक्षकों को गर्मी में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं गुणवत्ताविहीन वायरिंग की वजह से स्विच बोर्ड लटक रहे हैं। भवन के अधिकांश कमरों में बोर्ड ही टूट गए हैं।  

शिक्षकों की भी भारी कमी
भूपेश सरकार में फ्लैगशिप योजना की तर्ज पर आत्मानंद स्कूल खोले तो गए हैं, लेकिन यहां पर्याप्त टीचिंग स्टाफ की व्यवस्था नहीं की गई। कोंंटा आत्मानंद हिंदी माध्यम स्कूल में 9वीं से 12वीं तक कुल 307 बच्चे पढ़ रहे हैं। सेटअप के अनुसार यहां करीब 15 शिक्षकों की जरूरत है। वहीं टीचिंग स्टाफ के नाम पर केवल एक मात्र हिंदी टीचर है। शेष सब्जेक्ट के लिए अंग्रेजी मीडियम के टीचर्स की मदद ली जा रही है। नि:शुल्क और गुणवत्ता शिक्षा देने के सरकारी दावों के बीच कोंटा आत्मानंद हिंदी स्कूल में बुनियादी जरूरत को ही पूरा नहीं किया गया है।  

आत्मानंद स्कूल के छात्र कट्टम भीमा का कहना है कि स्कूल में काफी समस्याएं बनी हुई है, शिक्षकों की कमी के साथ साथ , स्कूल में बेंच टेबल की कमी है, बैठने की व्यवस्था ठीक नहीं है, शौचालय टूटे-फूटे हुए हैं , सबसे बड़ी समस्या तो अभी से बिल्डिंग के छत से पानी रिस रहा हैं । जिससे अध्ययन कार्य प्रभावित है। 

आत्मानंद स्कूल के छात्र कुर्राम लक्ष्मण का कहना है कि सबसे बढ़ी समस्या पेयजल की है, स्कूल में बिजली व्यवस्था नहीं होने के कारण गर्मी से हम सभी परेशान हैं , वर्तमान में पड़ोस से पेयजल की व्यवस्था की जा रही  है। शासन प्रशासन हमारी समस्याओं को संज्ञान में लेकर जल्द से जल्द समाधान करें। 

इस संबंध में सुकमा कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव का कहना है कि शिक्षा व शिक्षा संबंधी सुविधाओं को लेकर जिला प्रशासन गंभीर है। पत्रिका के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। मैं तत्काल व्यवस्था को दुरुस्त करता हूं।

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