कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, 28 जनवरी। धान कटाई के बाद मिंचाई कर ली गयी है और सभी किसान अपने धान की उपज को खलिहानों से मिसाई कर सहेज लिये है इसके बाद प्रमुख रूप से मनाये जाने वाला पर्व छेरछेरा पौष माह के पूर्णिमा 28 जनवरी को जिले भर में धूमधाम के साथ मनाया गया। इस पर्व को अन्नदान का पर्व भी कहा जाता है क्योंकि इस पर्व के दिन अन्न दान करना विशेष पुण्यफल वाला माना गया है। यही कारण है कि प्रत्येक परिवार से लोग अन्न दान करते है और पर्व की खुशियां में विभिन्न तरह के पारंपरिक पकवान लोगों के घरों में बनाए जाते हैं। इस पर्व की खुशी में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अपना काम छोडक़र पर्व की तैयारी व मनाने में जुटते है।
जानकारी के अनुसार इस दिन को लेकर वैसे तो सभी वर्ग का इंतजार रहता है लेकिन बच्चों में इस पर्व को लेकर सबसे ज्यादा उत्साह रहता है। छेरछेरा पर्व के दिन बच्चों ंकी टोलियां हाथ में डंडा व टोकरी थैला बोरा लेकर घर घर अन्न मांगने के लिए पहुंचते हैं। छेरछेरा कोठी के धान हेर हेरा के गूंज के साथ प्रत्येक घर के द्वार पर पहुंचकर बच्चे जमीन पर डंडा पीटकर अन्न दान की मांग करते है। इस अवसर पर प्रत्येक परिवार के यहॉ से बच्चों की टोलियों को धान सहित अन्य अनाज दान करते है। इसके अलावा कई घरों में रूपये भी साथ में दान किये जाते है। बच्चों की टोलियों के द्वारा दिन भर छेरता मांगते हैं। इसके बाद शाम होने के बाद मिले धान व अन्न को बेचकर रूपये मे बदल लेते है फिर आपस में बांट लेते है। वही बड़े लोगों के द्वारा डंडा नृत्य करते हुए छेरता मांगा जाता है जिससे मिलने वाली राशि व अन्न से सभी लोग एकजुट होकर पिकनिक मनाते हैं। छेरछेरा पर्व के दिन अन्न मॉगने के साथ दूसरे दिन समूह में पिकनिक मनाने के लिए आसपास के ़क्षेत्रों मं जाते हैं जहां एकजुट होकर पिकनिक मनाते है। कई बच्चे भी छेरछेरा के दिन अन्न मांगने के बाद शाम को पिकनिक मनाते है। इस तरह जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में उत्साह के साथ छेरछेरा का पर्व मनाया गया। इस दिन प्रत्येक ग्रामीण के घरों में विभिन्न तरह के पकवान भी बनाये जाते है।