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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 17 फरवरी। छत्तीसगढ़ के प्रयाग राज त्रिवेणी संगम राजिम में राज्य स्तरीय रामायण प्रतियोगिता का भव्य शुभारंभ हुआ। तीन दिवसीय इस रामायण प्रतियोगिता में प्रदेश के सभी जिलों के रामायण मंडली रामनाम पर व्याख्यान दे रहे हैं। शुभारंभ अवसर पर राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास, कलेक्टर प्रभात मलिक, जिला पंचायत सीईओ रीता यादव, एडीएम अविनाश भोई, बैसाखू राम साहू, रोमन साहू सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
इस अवसर पर महंत रामसुंदर दास जी ने कहा कि धर्म नगरी में तीन दिनों तक रामनाम की गंगा बहेगी, जिसमें प्रदेश के बेहतरीन व्याख्याकारों की प्रस्तुति देंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य की संस्कृति में रामायण मंडलियाँ एक विशेष स्थान रखती है। राज्य शासन द्वारा पूर्व वर्ष की तरह इस वर्ष भी रामायण मंडलियों को प्रोत्साहित करने हेतु राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त विजेता दलों को पुरस्कार राशि भी प्रदान की जाएगी।
कार्यक्रम संयोजक सहायक नोडल अधिकारी युगल तिवारी ने बताया कि तीन दिनों तक चलने वाले प्रदेश स्तरीय रामायण प्रतियोगिता के पहले दिन 15 रामायण मंडलियों जिसमें रायपुर, धमतरी, दुर्ग, महासमुंद, गरियाबंद, बेमेतरा, राजनांदगांव, बिलासपुर, कांकेर, मुंगेली, रायगढ़, बलौदा बाजार भाटापारा, खैरागढ़ छुई खदान गंडई, कवर्धा, सरगुजा के मण्डली ने एक से बढक़र एक बेहतरीन प्रस्तुति दी। इस अवसर पर निर्णायक मंडल के रूप में जेआर भगत, डॉ. तनुजा बघेल, डॉ. विधा सिह खैरागढ़, नेहरू गोस्वामी, नीलकण्ठ ठाकुर, पुराणिक राम साहू उपस्थित थे।
प्रतियोगिता में सबसे पहले रायपुर जिले के ज्ञान गंगा मानस परिवार के व्याख्याकार ने श्रीराम जन्म कथा पर व्याख्यान किया कहा कि संत का विवेक सत्संग कराता है और सत्संग मनुष्य को सत्य की ओर ले जाता है, मनुष्य का जीवन सत्यमार्ग में जाना चाहिए। धमतरी कुरुद के मोर मयारू मानस परिवार ने लंका काण्ड पर कथा सुनाया कहा कि राम और शिव एक दूसरे से अलग नहीं है। भगवान राम चाहता था कि पृथ्वी समानता से भरा हो।
भगवान राम का रेत से शिवलिंग बनाने का उद्देश्य भी यही था रेत बिखरा हुआ रहता है उसे एक करके शिवलिंग बनाया।
रश्मि बालिका मानस मण्डली बिरकोनी महासमुंद ने बालकाण्ड और राजिम तीर्थ का बखान किया बताया कि राजिम ब्रम्हा द्वारा छोड़े ब्रम्हकमल में विराजमान है। राजिम का उल्लेख त्रेता युग, महाभारत काल और कलयुग में है। कहा कि मानव जीवन के लिए भजन और भक्ति बहुत ही जरूरी है।
ज्ञान गंगा मानस मण्डली गनियारी दुर्ग के व्याख्याकार ने आरण्य काण्ड पर व्याख्यान किया कहा कि रामचरित मानस हमे जीवन जीने का मार्गदर्शन कराता है। माधुरी महिला मानस मण्डली जिला गरियाबंद के व्याख्या में कहा कि श्रद्धा और विश्वास हो तभी रामकथा दिल मे समाहित होगा, भगवान को पाने निर्मल मति चाहिए, गरियाबंद जिला की प्रस्तुति बहुत बेहतरीन रही सुंदर वादन के साथ सुमधुर गीतों भजनों से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।
सरगुजा के मानस मण्डली ने सुंदर काण्ड पर व्याख्यान करते हुए कहा कि हनुमान जी माता सीता की खोज के लिए जा रहा था तब बल बुद्धि की परीक्षा लेने नाग लोक से सुरसा को बुलाया, हनुमान जी सुनते हैं तो कहते हैं राम काज करने के लिए जा रहा हूं आने के बाद अपनी इच्छा पूरी कर लेना। इसी तरह देर शाम तक मानस मण्डली ने एक से बढक़र एक रामायण प्रसंगों की प्रस्तुति हुआ। सभी प्रतिभागियों को 30 मिनट का समय प्रदान किया गया था।
निर्णायकों के द्वारा प्रतिभागियों को अंक दिया जा रहा है जिसके आधार पर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान घोषणा की जाएगी।
इस अवसर पर संस्कृति विभाग उप संचालक उमेश मिश्रा, राज्य स्तरीय रामायण मंडली प्रतियोगिता के सहायक नोडल अधिकारी युगल तिवारी, एसडीएम पूजा बंसल, पुहुप राम यदु, आदिवासी आयुक्त बद्रिस सुखदेवे, संजय झड़बड़े, भानुप्रताप मरकाम, जनपद फिंगेश्वर/छुरा/ गरियाबंद/देवभोग के सीईओ एवं लताबेला मोंगरे, पदमनी हरदेल, मोहित कुमार मोगरे सहित आला अधिकारी मौजूद थे।
वियतनाम के 12 एवं श्रीलंका के 6 कलाकारों ने रामायण पर की लोक नाटक की प्रस्तुति
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 17 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला में छत्तीसगढ़ शासन के प्रयास से राज्य स्तरीय रामायण प्रतियोगिता हो रहे हैं। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय मानस रामायण पार्टी वियतनाम के विदेशी कलाकार भी आए हुए हैं, जो मुख्यमंच पर रात्रि 8 उन्होंने रामायण के प्रसंगों पर आधारित लोकनाट्य कला का प्रदर्शन किया। जिसमें इन कलाकारों ने लंका दहन, रावण संवाद तथा हनुमान के अभिनय को मंचस्थ किया गया। इसे देखने के लिए पूरा दर्शक दीर्घा खचाखच भरा रहा।
वियतनाम की संस्कृति एक तरह से छत्तीसगढ़ की अतिथि संस्कृति के रूप में देखने को मिला। वियतनाम की 12 कलाकारों की शानदार प्रस्तुति के बाद श्रीलंका 16 कलाकार अपने लोक सांस्कृतिक वेशभूषा में जैसे ही मंच पर आए उन्होंने राम और सीता ने परिचय दिया विवाह पश्चात सौंदर्य का वर्णन काफी प्रभावित किया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 16 फरवरी। एकता परिषद हजारों कार्यकर्ताओं द्वारा मैनपुर भाटी गढ़ से 6 सूत्रीय मांगों जिसमें अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासियों को वनाधिकार मान्यता पत्र पुस्तिका उपलब्ध कराने विशेष अभियान चलाने एवं क्षेत्रीय समस्या पर उच्च स्तरीय समीक्षा उपरान्त आवश्यक कार्रवाई की मांग को लेकर पदयात्रा करते हुए कलेक्ट्रोरेट पहुँच मुख्यमंत्री के नाम अनुविभागीय अधिकारी भूपेन्द्र साहू को ज्ञापन सौंपा।
गुरुवार को एकता परिषद पदाधिकारी सीताराम सोनवानी, नूरानी जैन, एवं प्रशांत किशोर के नेतृत्वकर्ता के अगवाई में एकता परिषद कार्यकर्ताओं ग्रामीण आदिवासी हजारों की संख्या में महिला पुरुष मैनपुर ब्लाक के भाठी गढ़ से सात दिवसीय पद यात्रा करते हुए गरियाबन्द जिला मुख्यालय पहुँच मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर प्रतिनिधि के रूप में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व भूपेंद्र साहू को ज्ञापन सौंपा गया।
ज्ञापन में कहा गया कि अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परपरागत वन निवासियों को वनाधिकार मान्यता पत्र पुस्तिका उपलब्ध कराने विशेष अभियान चलाने एवं क्षेत्रीय समस्या पर उच्च स्तरीय समीक्षा उपरान्त आवश्यक कार्रवाई की वनाधिकार दावाकर्ता अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी किसान जिसमें शासन प्रशासन के द्वारा ग्राम सभा आयोजन एवं विभिन्न प्रकार के पंचायती राज के तहत जारी शासकीय / अर्द्धशासकीय अधिसूचना पत्राचार में वन अधिकार मान्यता कानून वर्ष 2006 नियम 2007 एवं संशोधित वर्ष 2012 को दृष्टिगत रखते हुए अनिवार्य रुप से प्राथमिकता देने, जिला स्तर पर वनसंसाधन एवं समुदायिक वन अधिकार मान्यता उपलब्ध कराए गए। समस्त गांव के उक्त वन कक्ष में कृषि योग्य भूमि में काबिज है।
13 दिसम्बर 2005 के वर्षो पूर्व से कब्जा धारित के अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंमपरागत वन निवासियों ने नियमानुसार वनाधिकार समितियों में दावा प्रस्तुत किया गया है। ग्राम पंचायत प्रस्ताव एवं ग्राम सभा में पात्रता कि श्रेणी में नाम दर्ज है, जिन्हें चिन्हांकित कर व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्र पुस्तिका उपलब्ध कराए जाए तथा सभी प्रकार के दखल पर नियंत्रण, वन अधिकार वर्ष 2006 नियम 2007 एवं संसोधित वर्ष 2012 के तहत अंचल के समस्त गांव के अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासियों द्वारा 13 दिसम्बर 2005 के वर्षों पूर्व से गांव के वन राजस्व भूमि में कृषि कार्य करते आ रहे है कब्जा है।
नियमानुसार सचिव / ग्राम पंचायत वन अधिकार समिति में पेश किया गया है।
ग्राम पंचायत प्रस्ताव ग्राम सभा अनुमोदन बुर्जुगों का साक्ष मौका जांच किया जा चुका है। दावा के अनुपात में कम भूमि का पट्टा दिया गया है, जिसे कब्जा के आधार पर पट्टा प्रदान किया जाए। जीवन जीने के संसाधनों पर वन विभाग द्वारा दखल कटिला तार से घेराबंदी सी.पी.टी. गड्ढा आदि प्रकार के हस्ताक्षेप पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने, ग्रामीण अंचल के अर्थ व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने एवं सभी प्रकार के पलायन रोकने विशेष अभियान चलाने कि मांग, व वन अधिकार संवाद पद यात्रा के दौरान समस्त ग्रामों से संग्रहित विभिन्न समस्यायों के उचित समाधान के लिए समस्त संबंधित विभाग को उचित आदेश/निर्देश करने की माँगों का मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर प्रतिनिधि के रूप में एस डीएम को ज्ञापन सौंपा ।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 16 फरवरी। छत्तीसगढ़ साहू संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं दुग्ध महासंघ के अध्यक्ष विपिन साहू ने कहा कि लोग जब कोई भी मेला हो पहुंचते हैं तो उन्हें भोजन, शीतल ठंडा पानी और छांव की जरूरत पड़ती हैं। ये सब मिल जाता हैं तो स्वाभाविक रूप से शांति का एहसास होता हैं।
उन्होंने कहा कि साहू समाज का हृदय बहुत बड़ा हैं। हर समाज के लोगो का सम्मान करना जानता हैं। सामाजिक समरसता का भाव रखता हैं। मुझे बहुत ही प्रसन्नता होती हैं कि राजिम माघी पुन्नी मेले में आने वाले कई हजार लोगों को साहू समाज व राजिम भक्तिन माता मंदिर समिति माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक अपने पंडाल के नीचे पूरे 15 दिन स्वच्छ और साफ मन से भोजन कराता हैं। मेले में आए लोग भोजन कर तृप्त हो जाते हैं। यहां भोजन के साथ ही दो पल विश्राम के लिए छांव मिल जाता हैं। ये हमारे संस्कार और संस्कृति में शामिल हैं।
बुधवार को दुग्ध महासंघ के अध्यक्ष विपिन साहू व पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय ने बड़ी संख्या में समाज के लोगों एवं पत्रकारों की मौजूदगी में भगवान श्री राजीव लोचन व राजिम भक्तिन माता की पूजा-आरती कर चांवल, दाल, सब्जी का भोग लगाने के बाद कई हजारो लोगों को एक साथ भोजन परोसकर सामाजिक समरसता का परिचय दिया। पंडाल के नीचे हजारों लोग भोजन कर तृप्त हो गए।
इस अवसर पर राजिम भक्तिन माता मंदिर समिति के अध्यक्ष लाला साहू और उसकी टीम अतिथियो एवं पत्रकारो का गुलाल लगाकर पुष्प माला पहनाकर स्वागत सम्मान किया। अतिथि के रूप में मौजूद पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय ने पूरे 15 दिनो तक मेले में आने वाले लोगो को बहुत ही श्रद्धा के साथ भोजन कराने के लिए साहू समाज एवं भक्तिन माता समिति की खुलकर तारीफ की। कहा कि साहू समाज हमेशा से अन्य समाजों के लिए अनुकरणीय पहल करता चला आ रहा हैं।
इस आयोजन में स्थानीय सभी पत्रकारो की मौजूदगी के अलावा छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ के उपाध्यक्ष भुनेश्वर साहू जिला पंचायत सदस्य रोहित साहू, सांसद प्रतिनिधि रिकेश साहू, शरद पारकर, पूरन यादव, श्याम साहू, भोले साहू, भवानीशंकर साहू, डॉ. लीलाराम साहू, महेन्द्र साहू, इमरान खान, थानेश्वर साहू, युवराज साहू, प्रवीण साहू, विकास राही, राहुल ठाकुर, नगर अध्यक्ष सचिव राजू साहू तरुण साहू झाड़ू राम साहू विष्णु साहू, किशन साहू, शुभम साहू, अमित साहू, रोशन साहू सहित बड़ी संख्या में भोजन करने कई हजारो लोग पंडाल में मौजूद थे।
वियतनाम और श्रीलंका की टीम भी करेंगे रामायण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 16 फरवरी। छत्तीसगढ़ के प्रयाग राज त्रिवेणी संगम राजिम में राज्य स्तरीय रामायण प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता में प्रदेश के सभी जिलों के रामायण मंडली रामनाम पर व्याख्या देंगे। वहीं बुधवार की शाम को रामायण मंडली की प्रस्तुति देने वियतनाम और श्रीलंका की टीम भी राजिम पहुंच चुकी है। तीन दिवसीय आयोजित रामायाण प्रतियोगिता से पूरा मेला क्षेत्र राममय नजर आएगा। इसकी विशेष तैयारी को लेकर संस्कृति, पर्यटन एवं धर्मस्व के सचिव अन्बलगन पी बुधवार को निरीक्षण करने राजिम मेला पहुंचे।
इस अवसर पर गरियाबंद कलेक्टर प्रभात मलिक, संस्कृति विभाग के संचालक विवके आचार्य, जिला पंचायत सीईओ रीता यादव, अपर कलेक्टर अनिनाश भोई, उपसंचालक संस्कृति प्रताप पारेख, उमेश मिश्रा, राज्य स्तरण रामायण मंडली प्रतियोगिता के सहायक नोडल अधिकारी युगल तिवारी सहित आला अधिकारी मौजूद थे। इस दौरान अधिकारियों ने श्रीलंका एवं वियतनाम से पहुंची टीम का स्वागत करते हुए उनसे चर्चा की। इसके बाद सचिव अन्बलगन पी ने भगवान श्री राजीव लोचन मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना की और सीता बाड़ी, मेला स्थल, रामायण मंच का निरीक्षण करते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
सुबह 10 से शाम 6 बजे तक होगी प्रस्तुति
राज्य स्तरीय रामायण प्रतियोगिता का आयोजन 16 से लेकर 18 फरवरी तक नदी में बने विशाल डोम मंच पर किया जाएगा। प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार 16 फरवरी दिन गुरुवार को सुबह 10 से लेकर शाम 6 बजे तक प्रस्तुतियां होगी जिनमें 14 जिले की मानस मंडली रायपुर, धमतरी, दुर्ग, महासमुंद, गरियाबंद, बेमेतरा, राजनांदगांव, बिलासपुर, कांकेर, मुंगेली, रायगढ़, बलौदा बाजार भाटापारा, खैरागढ़ छुई खदान गंडई, कवर्धा तथा 17 फरवरी को गौरेला पेंड्रा मरवाही, जांजगीर-चांपा, सक्ति, मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी, सूरजपुर, कोरिया कोंडागांव, कोरबा, जशपुर, बस्तर जगदलपुर, सरगुजा, बालोद, नारायणपुर, बीजापुर और 18 फरवरी को सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक सुकमा, बलरामपुर, सारंगढ़ बिलाईगढ़, मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर, दंतेवाड़ा जिला के मंडली प्रस्तुति देंगे। इस दरमियान विदेश की दो रामायण टीम वियतनाम और श्रीलंका की प्रस्तुति मुख्यमंच पर होगी।
इस आयोजन को लेकर जिले ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में उत्सुकता बनी हुई है।
राजिम, 16 फरवरी। माघी पुन्नी मेला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए संगीत सम्राट दिलीप षडंगी ने कहा कि आज तक मैंने किसी का दिल नहीं दुखाया है, कोई मेरा दुश्मन नहीं है। लोक कला मेरे रग-रग में बसा हुआ है। प्रस्तुति के दौरान सामाजिक चेतना का भाव होना बहुत जरूरी है। लोक संस्कृति शाश्वत है इसमें वह बात होती है जो दिल की धडक़न को बढ़ा देते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ी फिल्म में अच्छा कैरियर है लगातार प्रोग्रेस कर रहे हैं भले सोशल मीडिया का जमाना है। यूट्यूब के माध्यम से पूरी फिल्में देखी जाती है। जब छत्तीसगढ़ी फिल्में लगे तो उन्हें देखने के लिए टिकट कटाकर जरूर जाए। आपका 50 रूपए किसी प्रोड्यूसर के लिए पचास लाख के बराबर है। यदि आप टिकट देकर उन्हें देखते हैं तो इससे बड़ा आशीर्वाद उनके लिए और कुछ नहीं हो सकता। एक्टिंग करना मुझे बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने अपनी कला यात्रा पर चर्चा करते हुए कहा कि ड्रामा से कला क्षेत्र में मेरा पदार्पण हुआ। बशीर गुरुजी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। मैं बड़ा रोल करना चाहता था लेकिन मुझे मदारी नहीं बल्कि जमूरे का रोल दिया गया। इसमें मेहनत तो किया लेकिन छोटा रोल होने के कारण मैं खूब रोया। मंचों में जैसे ही प्रस्तुति दी उसके बाद तो मुझे मेरे नाम पर प्रसिद्धि का लेबल चल गया और आगे बढऩे का मार्ग प्रशस्त हुआ। मंचीय प्रस्तुति के दरमियान मुझे बहुत डर लगता है जब तक गाना पूर्ण नहीं होता, चिंता बनी रहती है। इसी उहापोह की स्थिति में कार्यक्रम बहुत ही अच्छा जम जाता है।
उन्होंने अपने शुरुआती दौर के बात मीडिया से शेयर करते हुए कहा कि मंच में गीत प्रस्तुत करते थे तब दर्शक मुझे नाक से गाते हैं कह कर बाहर कर दिया। हताश हुआ और गायन को छोडक़र मिमिक्री करना शुरू कर दिया। उसी समय रंगो बती रंगो बती गीत के गायक के साथ मेरी मित्रता हो गई। मैं मिमिक्री के साथ ही एंकरिंग भी करता था। मुझे टाटानगर, कोलकाता, संबलपुर, राउरकेला मिमिकरी आर्टिस्ट के रूप में प्रसिद्ध मिली।
उन्होंने आगे बताया कि मैं तकदीर का बहुत धनी हूं इंग्लिश में एम. ए. किया हूं परीक्षा देने के पूर्व मेरी कोई तैयारी नहीं थी। अलबत्ता मात्र सात प्रश्न की ही तैयारी कर पाए थे इत्तेफाक यह हुआ कि उसमें से पांच प्रश्न परीक्षा में आ गए और मैं अच्छे नंबरों से पास हो गया।
अपने जीवन काल में मैं खुद 13 सर्विस को छोड़ चुका हूं चौदहवीं सर्विस बिजली विभाग में लगा। वहां 32 साल तक रहा। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय ने मुझे डी लीड की उपाधि दी। मेरे साथ में हमेशा कुछ न कुछ नया होता रहता है जिस गीत में मैंने बहुत मेहनत किया वह नहीं चला, लेकिन जिस में श्रम कम किया उसने बाजी मार दी। मेरा अगला गाना मुड़ी म बाल नईये लगावत हे कंघी, सुर ताल जाने नहीं गावत हे षड़ंगी शीघ्र आ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि धर्म नगरी राजिम से मेरा बेहद लगाव है सौभाग्य से मेरा नाम भी राजीव लोचन षड़ंगी है। यहां की भाषा शैली अत्यंत मीठी है। नए कलाकार को मेहनत ज्यादा करने की आवश्यकता है साहित्यकार गायक वकील पुलिस यदि सरल हो जाए तो आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकती।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 16 फरवरी। छत्तीसगढ़ी लोक गायन के क्षेत्र में छोटी उम्र के बावजूद छत्तीसगढ़ के आरू साहू एक ऐसी सेलिब्रिटी बन गई है जिसे हर कोई गाते हुए देखना चाहता है। लोगों को जब पता चला कि मंगलवार को आरू साहू के कार्यक्रम की प्रस्तुति होगी तो भीड़ बेकाबू हो गई। राजिम पुन्नी मेला में उनके प्रस्तुति के बाद पत्रकारों से रूबरू हुई।
उन्होंने कहा कि उन्हें सभी गानों में अधिक प्रेम मिलता है। मैं मंच पर हर गाना सोच समझकर गाती हूं। उन्होंने कहा कि 2019 में नॉर्थ शिकागो जाना था, किंतु मार्च में कोरोना वायरस के चलते स्थगित हो गया। छत्तीसगढ़ के हर जिलों के अलावा नागपुर, महाराष्ट्र, एमपी सहित कई राज्यों में अपनी प्रस्तुति दे चुकी हूं। इस वर्ष अप्रैल में पंजाब के भटिंडा जाना है जहां पर छत्तीसगढ़ी के अलावा हिंदी गानों की भी प्रस्तुति होगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के सभी गायक उन्हें अच्छा लगता है।
उन्होंने कहा कि वैसे तो वह क्लास पीपी 2 से गाना गा रही है लेकिन जब वह क्लास फाइव में थे तब एक छत्तीसगढ़ी गाना बर्थडे पार्टी में गाया था जो तेजी से सोशल मीडिया में वायरल हुआ और लोग हाथों हाथ उठा लिया। इसके बाद जब मैं अपना पहला कार्यक्रम धमतरी के जबर हरेली में प्रस्तुत किया तो दर्शकों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। इससे मुझे बहुत खुशी भी हुआ, लेकिन कार्यक्रम की समाप्ति के बाद दर्शक खाली ही हो गया है जिससे अन्य कलाकारों की प्रस्तुति को देखने लोग मौजूद नहीं रहे यह मुझे काफी बुरा लगा।
उन्होंने बताया कि एक छत्तीसगढ़ी फिल्म में गाना गाई थी पढ़ाई के साथ कार्यक्रम में भी समय निकल जाती है। लता मंगेशकर को लता दीदी के नाम से जानी जाती है उसी तरह मुझे भी छत्तीसगढ़ की बेटी की तरह जाने।
बताया कि 3 बार मुख्यमंत्री के मंच में कार्यक्रम की प्रस्तुति देने का अवसर मिला। उन्होंने भी कहा कि हर मंच में आरू छत्तीसगढ़ की संस्कृति को प्रस्तुत करती है जिसमें सुआ, करमा, ददरिया, जस गीत, जंवारा है। आरू का कहना है कि वे गायिका बनना चाहती है। अपना गुरु अपने मम्मी -ापा को ही बताया कहा कि सब तैयारी मंच में ही हो जाता है। अभी तक कोई विशेष रिहर्सल नहीं हुआ है। राजिम के इस मंच के बारे में तारीफ करते हुए आरू साहू ने कहा कि राजिम का यह मंच कलाकारों के लिए स्वर्ग है यहां पर सौभाग्य से प्रस्तुति देने का असर मिलता है। इससे इस बड़े मंच से हौसला भी बढ़ता है। उन्हें जी गिलिब्स अवार्ड मिल चुका है इसके अलावा राज्यपाल के हाथों बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के लिए अवार्ड और बैरिस्टर छेदीलाल अवार्ड मिल चुका है। उन्होंने कहा कि वह हिंदी गायिका नेहा कक्कड़ से खासे प्रभावित हैं उनका अंदाज और गायन अच्छा लगता है।
राजीवलोचन मंदिर उत्कीर्ण कलाकृति से हुए प्रभावित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 16 फरवरी। बुधवार को विदेशी सैलानी राजिम पहुंचे और यहां की भव्यता एवं मेले का विस्तार को देखकर अत्यंत प्रसन्न हो गए। वे जैसे ही राजीवलोचन मंदिर पहुंचे मंदिरों में उत्कीर्ण कलाकृतियों ने खासा प्रभावित किया।
तीन नदी के बीच में स्थित कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर को देखकर अभिभूत हो गए। पूरे मेला क्षेत्र का पैदल चलकर भ्रमण किया। मीडिया सेंटर में पत्रकारों द्वारा सैलानियों का आत्मिय स्वागत सम्मान किया गया। राजिम मेले की भव्यता को देखकर अत्यंत प्रसन्न दिखे और हाथ जोडक़र नमस्ते राजिम कहा।
फ्रांस के सैलानियों, जिनमें से दो लोग पहली बार आए हैं बाकी तीन लोग पिछले साल और आ चुके हैं। इनमें से रोले, मार्टिन, जोयल, अग्नेश, भासो नाम के है। ये सभी 1 महीने के टूर पर 6500 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे और 28 फरवरी को अपने देश चले जाएंगे। विशाखापट्टनम से चलकर सीधे यहां आए हैं।
उन्होंने कहा कि हम चाहते तो, प्लेन से आ सकते थे लेकिन सडक़ मार्ग से आने का कारण यही है कि हम भारत की संस्कृति एवं यहां के रहन-सहन से रूबरू होना चाहते हैं। यहां की सांस्कृतिक विरासत खासतौर से प्रभावित कर रही है।
भुनेश्वर ओडिशा के गाइड तपन मिश्रा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में राजिम के अलावा रायपुर, चम्पारण, सिरपुर, कवर्धा, चिल्फी, भोरमदेव के बाद ग्वालियर मध्यप्रदेश चले जाएंगे।
उन्होंने आगे बताया कि राजिम माघी पुन्नी मेला में नागा साधुओं का आशीर्वाद प्राप्त कर आगे यात्रा के लिए निकल जाएंगे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 15 फरवरी। मंगलवार की शाम आरू साहू और दिलीप षड़ंगी की प्रस्तुति ने ऐसा धूम मचाया कि दर्शको को झूमने पर मजबूर हो गए। नदी में लम्बे चौड़े भू भाग होने के बाद भी दर्शक दीर्घा में पैर रखने की जगह नही थी। यहां तक कि मेला क्षेेत्र में लगे 7 एलईडी में देखने सुनने हजारो भीड़ लगी रही। उनके गानों की दीवानगी की खुमारी दर्शको में बखूबी देखने को मिला।
मंच पर छत्तीसगढ़ की उभरती गायिका आरू साहू ने राम सिया राम.. जय जय राम गाकर मंच को राममय कर दिया। सभी दर्शक रामनाम की माला जपने लगे। हो माई झुपत-झुपत... इस गीत सुनकर दर्शक आनंदित हो उठे। छश्रीसगढ़ में होने वाली परंपरागत त्यौहारों को गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। जिसमें सुआ नृत्य, गौरा गौरी और राउत नाचा इनको देखकर दर्शकों को एक समय ऐसा लगा कि त्यौहार अभी आने वाला है। आरू की अगली प्रस्तुति छश्रीसगढिय़ा सबले बढिय़ा... मेरे भारत का बच्चा-बच्चा जय श्रीराम बोलेगा... ये गीत को गाने के लिए आरू मंच के नीचे आ गई और श्रोता के साथ गीत को गाने लगी। हर-हर शंभू-शंभू ने तो और भी धमाल मचा दिया।
मोर अंगना म गड़े हे जैतखाम गीत ने घुरूघासी दास के संदेश को जन-जन तक पहुंचाया। मोर से नैना मिलाके... इस गीत ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। कार्यक्रम के दूसरे कड़ी में जगराता के सम्राट दिलीप षडंगी ने जसगीत और छत्तीसगढ़ी गीत प्रस्तुत कर दर्शकों को झमने पर मजबूर कर दिया।
उन्होंने अपनी शुरूआत हम उस देश के वासी है जिसे देश में गंगा बहती है..... आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं... गीत की प्रस्तुति दी। जिसे सुनकर दर्शकों में भी आत्मीयता जाग उठी। नमो नमो जगदम्बे... मंच पर जैसे ही इसकी प्रस्तुति हुई। मंच पर भोलेनाथ व मां पार्वती की वेशभूषा पहने कलाकरों ने शानदार प्रस्तुति दी। घर-घर दीया माता घर-घर बाती ओ... कोरी-कोरी नारियर चढ़े दाई मोर.... चैत के महिना आबे दाई.... आमा पान के पतरी करेला पान के दोना.... मांदर बाजे रे .... ऐसे मनमोहक गीतों की प्रस्तुति ने दर्शकों को ठंडी मौसम में भी आनंद लेते रहे। कलाकारों का सम्मान छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू ने स्मृति चिन्ह भेंटकर किया।
नागा साधुओं ने निकाली पेशवाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 15 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला में पहुंचे पंचनामा जुना अखड़ा से नागा संत-सन्यासियों द्वारा भगवान दत्तात्रेय का आह्वान करते हुए पेशवाई निकाली गई।
यह पेशवाई दत्तात्रेय मंदिर से शस्त्र पूजन कर आरंभ किया गया। दत्तात्रेय मंदिर में नागा साधु अपने आराध्य भगवान दत्तात्रेय का पूजा अर्चना कर प्रसाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर दत्तात्रेय मंदिर के सर्वराकार रामकुमार गोस्वामी, किशोर गोस्वामी, हर्ष गोस्वामी, बलराम गोस्वामी, शिवराज देवांगन, संतोष शर्मा, योगेश शुक्ला, भावना गोस्वामी, अनीता गोस्वामी, सुहासिनी गोस्वामी, कमलाबाई सविता गोस्वामी आदि नागा साधुओं की सेवा में लगे रहे। पेशवाई दत्तात्रेय मंदिर से प्रारंभ होकर सुंदरलाल शर्मा चौक, गायत्री मन्दिर मार्ग, व्हीआईपी मार्ग, मेला मैदान होते हुए लोमष ऋषि आश्रम स्थित अपने पंडाल में पहुंचे, जहां विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना कर भगवान दत्तात्रेय को स्थापित किया गया।
पेशवाई में छत्तीसगढ़ साधु समाज अध्यक्ष उमेशानन्द गिरि महाराज, राजिम मेला अध्यक्ष दिगंबर जनकपुरी, थानापति कमलेशानंद सरस्वती, जमातिया महंत रामगिरि, थानापति बिसम्भर भारती, थानापति सनत पुरी, थानापति रविगिरी, सत्यानन्द, पुजारी रामेश्वर पूरी, कोतवाल गणपति पुरी, सुशांत पुरी, मन्नुगिरी सहित बड़ी संख्या में नागा साधु शामिल थे।
पेशवाई के दौरान नागा साधु अपने आखाड़ो का विभिन्न करतब दिखाते व शस्त्र प्रदर्शन करते हुए निकले। उक्त अखाड़ों को देखने एवं नागा-साधुओं का आशीर्वाद प्राप्त करने सडक़ों के किनारे श्रध्दालुओं की भीड़ भक्ति भाव व रोमांच के साथ उमड़ पड़ी। वहीं जनता उन पर फूल बरसा कर अपनी श्रध्दा व्यक्त की। दिगंबर जनकपुरी महाराज ने बताया कि पेशवाई निकालने का अर्थ यह होता है कि अब मेला शुरू हो गया है।
अखाड़ा में भगवान दत्तात्रेय के प्रतिबिंब को प्रवेश कराते हैं। दत्तात्रेय मंदिर से भगवान दत्तात्रेय की प्रतिबिंब को पालकी में विराजित कर लाया जाता है। इस पेशवाई यात्रा में नागा-साधु, सन्यासियां अपने पारंपरिक आलौकिक श्रृंगार के साथ अस्त्र शस्त्र का प्रदर्शन करते हुए आगे बढ़ रहे थे।
इस यात्रा के दौरान साधु संतों से उपस्थित जनसमूह की सुरक्षा तथा व्यवस्था को मदेनजर रखते हुए पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तौद नजर आया, ताकि व्यवस्था में किसी प्रकार को कोई व्यवधान न पड़े और ना ही आने वाले दर्शनार्थी किसी प्रकार की असुविधाओं का सामना करने पड़े।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 15 फरवरी। राजिम के पवित्र त्रिवेणी संगम पर आयोजित राजिम माघी पुन्नी मेला के संत समागम समारोह में पहुंचे मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भगवान श्री राजीव लोचन मंदिर पहुंच कर पूजा अर्चना कर प्रदेश के सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की। इसके बाद लक्ष्मण झूला से पैदल होते हुए श्री कुलेश्वर महादेव मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चनाकर जलाभिषेक किया। फिर महानदी आरती में शामिल होकर आरती उतारी।
इस अवसर पर धर्मस्व एवं पर्यटन मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, राजिम विधायक श्री अमितेश शुक्ल, अभनपुर विधायक श्री धनेन्द्र साहू, सिहावा विधायक डॉ. लक्ष्मी धु्रव, राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास जी महाराज, पूर्व विधायक गुरूमुख सिंह होरा आदि उपस्थित थे।
राजिम माघी पुन्नी मेला के संत समागम समारोह में शामिल हुए विस अध्यक्ष
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 15 फरवरी। छत्तीसगढ़ के प्रयागराज के नाम से प्रसद्धि राजिम के त्रिवेणी संगम के तट पर आयोजित राजिम माघी पुन्नी मेला में संत समागम समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भगवान राजीवलोचन की प्रतिमा में दीप प्रज्वलित और पूजा अर्चना कर किया। इस अवसर पर धर्मस्व एवं पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू, राजिम विधायक अमितेश शुक्ल, अभनपुर विधायक धनेन्द्र साहू, सिहावा विधायक डॉ. लक्ष्मी धु्रव, राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास महाराज उपस्थित थे।
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ महंत ने कहा कि साधु संतों का समागम छत्तीसगढ़ के साथ देशभर का आयोजन बन गया है। किसी भी मेले का सामूहिक महत्व होता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत साधु-संतों की भूमि रही है, उनके आगमन से पवित्रता को प्राप्त करते है। संतों का जीवन सदैव परोपकार के लिए समर्पित रहता है। उन्होंने कहा कि राजिम पुन्नी मेले का सांस्कृतिक महत्व भी है।
उन्होंने कहा कि साधु संतों से जीवन जीने का मंत्र मिलता है। इनके दर्शन प्रवचन और सुनने से कई पाप धुल जाते हैं। जो हमारे पूर्वजों ने बताई है। इस मान्यता को मुख्यमंत्री ने पुन: स्थापित किया। आज पूर्व मुख्यमंत्री श्री श्यामचरण शुक्ल जी का पुण्यतिथि है। उन्हें शत शत नमन करता हूँ। सन्त पवन दीवान को भी उन्होंने श्रद्धानवत किया। उन्होंने जानकी माता जयंती के अवसर पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज संस्कृति को पुन: स्थापित किया जा रहा है। डॉ महंत ने साधु संतों का स्वागत करते हुए संत समागम की बधाई दी।
इस अवसर पर धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि भूपेश सरकार ने छत्तीसगढिय़ा सबसे बढिय़ा नारा को चरितार्थ किया है। राजिम माघी पुन्नी मेला को कुंभ से परिवर्तित किया गया है। हर बार मेला में कुछ न कुछ परिवर्तन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, पुरातत्विक बिन्दुओं प्रदर्शनी के माध्यम से उभार रहे हैं। तीनों नदी के पानी को एक स्थान पर मिलाकर पुण्य स्नान की व्यवस्था किया गया है।
दिखावा से कोसो दूर माघी पुन्नी मेला को हम रखना चाहते हैं। दिखावा संस्कृति खत्म किया जा रहा है। पिज की संस्कृति से हटकर ठेठरी, खुरमी की संस्कृति ला रहे हैं।
अभनपुर विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा कि कुंभ के नाम से जो प्रदूषण हो रहा था, उसे दूर करने के लिए हमारी सरकार ने प्राचीन तरीके से पुन्नी मेला का आयोजन किया गया। उन्होंने लोगों को जानकी जयंती और संत समागम की बधाई देते हुए कहा कि हमें जब भी यहां आने का मौका मिलता है। आलौकिक ऊर्जा और आनंद प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि राजिम यह मध्य भारत का सबसे बड़ा तीर्थ रहा है।
छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र के लोग बड़ी संख्या में आते थे। धीरे-धीरे मेला का स्वरूप मड़ई से भी छोटा हो गया था, हमारी सरकार ने उसे गौरवमयी स्थान प्रदान किया। श्रद्धा, भक्ति का केन्द्र बिन्दू है। त्रिवेणी संगम में डूबकी लगाने से ऊर्जा प्राप्त होता है। भगवान श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में बहुत अधिक समय बिताया है, जिसके कारण 75 स्थानों को राम वनगमन पथ के रूप में चिन्हांकित कर विकास किया जाएगा।
विधायक अमितेष शुक्ल ने कहा कि महंत जी विधानसभा अध्यक्ष ही नहीं हमारे परिवार के सदस्य भी है, जिससे परिवार स्नेह चला आ रहा है। उन्होंने कहा कि त्रिवेणी संगम में ईश्वर का वास है। साथ ही साधु संतों का वास है। राजिम आराध्य क्षेत्र है। श्री शुक्ल ने कहा कि कई दशकों से पुन्नी मेला का महत्व रहा है। पिताजी ने बताया कि बैलगाड़ी से मेले आते थे। लंबे समय से शराब बंदी की मांग की जा रही थी, जिसका समर्थन शंकराचार्य ने भी किया था। हमारी सरकार आते ही 15 दिनों तक शराब बंदी किया गया।
महंत रामसुंदर दास ने कहा कि सनानत काल से राजिम माघी पुन्नी मेला हमारे पूर्वजों को आशीर्वाद है। भूपेश बघेल ने राजिम को संवारने और सजाने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने रामवन गमन परिपथ को विकसित कर रहे हैं। हमारी ऋषि और कृषि की संस्कृति है। पंचगव्य गाय से ही मिल सकती है। हमारे पूर्वज खेती किसानी करते थे। गौ माता की कृपा से हम समृद्ध हो रहे है। छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है, जहां दो रूपए में गोबर खरीदा जाता है। गोबर से पेंट बनाया जाता है। पिछले चार साल पहले से ही गाय को गले लगाने के नाम से छत्तीसगढ़ सरकार ने शुरूआत कर दी थी। जिसे आज के दिन घोषित कर दी गई।
कार्यक्रम को सिहावा विधायक लक्ष्मी ध्रुव ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आज यहां धर्म क्षेत्र में आकर ऊर्जा प्रदान होता प्राप्त होता है। छत्तीसगढ़ का तेजी से विकास हो रहा है। कलेक्टर श्री प्रभात मलिक ने राजिम माघी पुन्नी मेला के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए राजिम मेले का आयोजन किया जा रहा है। राजिम में राम वनगमन परिपथ का मूर्त रूप लेने से राजिम की गरिमा और बढ़ गई है। घाटों को लाल पत्थर से सौंदर्यीकरण किया गया है। पुरातात्विक महत्व के स्थल सीताबाड़ी में इस वर्ष श्रद्धालुओं के लिए विषेष लाईटिंग की गई है।
समारोह में पूर्व विधायक गुरूमुख सिंग होरा, शद्दानी दरबार के संत युधिष्टिर लाल, ब्रह्मकुमार नारायण भाईजी, कबीर पंथ के विचार साहेब, महंत उमेशानंद गिरी जी महाराज, स्वामी सिद्धश्वरांनद महाराज, ब्रम्हाकुमारी हेमा बहन जी, ब्रम्हाकुमारी पुष्पा बहन जी, संत गोकुल गिरी, गोबरा नवापारा पालिका अध्यक्ष धनराज मध्यानी, राजिम नगर पंचायत अध्यक्ष रेखा सोनकर, जनपद अध्यक्ष पुष्पा जगन्नाथ साहू, जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी साहू, मधुबाला रात्रे, जनपद उपाध्यक्ष योगेश साहू, भावसिंह साहू, विकास तिवारी, सौरभ शर्मा स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित कलेक्टर प्रभात मलिक, पुलिस अधीक्षक अमित तुकाराम कांबले, जिला पंचायत सीईओ रीता यादव, अपर कलेक्टर अविनाश भोई, वरिष्ठ अधिकारी गण और श्रद्धालु गण मौजूद थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 15 फरवरी। जीव रूपी परीक्षित को तक्षक नाग के भय से मुक्त कराने और मोक्ष होने का सशक्त माध्यम श्रीमद्भागवत कथा आयोजन होना ही है। जिसे शुकदेव जैसे महान कर्मकांडी कथाकार द्वारा लगातार सात दिनों तक विभिन्न अध्यायों का वाचन निश्चित रूप कराकर धुंधकारी जैसे दुष्कर्म से कष्ट भोग रहे भाई का मोक्ष और कल्याण हुआ, उक्त बातें छुरा ब्लॉक के ग्राम फुलझर घटारानी में ग्रामवासियों द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा वाचक राधा नंदनी निशा किशोरी ने श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन श्रेताओं को बताया।
उन्होंने कहा कि कथा में ऋषि कर्दम और देवहुति के गर्भ से कपिल भगवान का अवतार तथा हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष की कथा तथा ऋषि मैत्रेय द्वारा विदूर को यह कथा सुनाया गया। उसी कथा को सुत जी ने अठ्ठासी हजार ऋषियों मुनियों को और राजा परीक्षित को शुकदेव मुनि द्वारा सुनाने के बहुत समय बाद उसके पुत्र राजा जन्मेजय को सुनाया कथा वाचिका राधा किशोरी ने बताई कि सतयुग में कर्दम ऋषि के भक्ति से इतना खुश हुए कि रो पड़े। इससे उनके आंखों से निकले अश्रू की धारा बिंदुसार नदी बन गई। श्रीमद्भागवत का श्रवण करने बड़ी संख्या में आसपास के ग्रामीण पहुंच रहे हैं।
कार्यक्रम में सभी ग्रामवासियों का सहयोग मिल रहा है, जिसमें प्रमुख ग्राम पटेल तारण सिंह ठाकुर, सुनिती बाई ध्रुव, संतु राम ध्रुव, चैतू राम ध्रुव, डीहू राम ध्रुव, हरिश्चंद्र तारक, मानिक राम यादव, ललेसरु राम ध्रुव, देवनाथ ध्रुव, आदि सेवा में जुटी हुई हंै।
कथा प्रसारण समय में बदलाव करते हुए अब दोनों प्रहर में चलेगा। जिसमें सुबह मूल परायण आरती पश्चात कथा दस बजे से एक बजे मध्यान्ह अल्पावकाश पुन: ढाई बजे से शाम पांच बजे तक होगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 15 फरवरी। पूर्व सेवा गणना शिक्षक मोर्चा छत्तीसगढ़ के आह्वान पर गरियाबंद जिला संचालक परमेश्वर निर्मलकर के नेतृत्व में 5 सूत्रीय मांगों के लेकर मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, मुख्य सचिव, मुख्य सचिव स्कूल शिक्षा विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग, वित्त विभाग एवं संचालक लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर को कलेक्टर के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया।
ज्ञापन में कहा गया कि 19 फरवरी तक उक्त माँगे पूरी नहीं होती तो रायपुर में प्रदेश स्तरीय पूर्व सेवा गणना शिक्षक मोर्चा के आव्हान पर 20 फरवरी को धरना प्रदर्शन में शामिल होने बाध्य होंगे।
मंगलवार को पूर्व सेवा गणना शिक्षक मोर्चा छत्तीसगढ़ के आह्वान पर गरियाबंद जिला संचालक परमेश्वर निर्मलकर, संजय महाडिक, प्रदीप पाण्डेय, विनोद सिन्हा के नेतृत्व में कलेक्ट्रोरेट पहुँच 5 सूत्रीय मांग जिसमें एलबी संवर्ग शिक्षकों की प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना कर पुरानी पेंशन, क्रमोन्नति, समयमान वेतनमान का लाभ दिया जाए।
केन्द्र सरकार की भांति पूर्ण पेंशन हेतु 33 वर्ष अर्ह सेवा को 20 वर्ष किया जाए, एनपीएस/ओपीएस विकल्प पत्र हेतु सेवा गणना का स्पष्ट निर्देश जारी कर अतिरिक्त समय दिया जाए। सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति शीघ्र दूर किया करने हेतु मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, मुख्य सचिव, मुख्य सचिव स्कूल शिक्षा विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग, वित्त विभाग एवं संचालक लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर को तहसीलदार गरियाबंद के हाथों ज्ञापन सौंपा गया।
कलेक्टर को 20 फरवरी को रायपुर में धरना प्रदर्शन में शामिल होने की सूचना पत्र भी दी गई। इस ज्ञापन कार्यक्रम में नंदकुमार रामटेके, सुरेश केला, छन्नू सिन्हा, हुलस साहू, संतोष साहू, संजय यादव, आर एस कंवर, दिनेश निर्मलकर नारायण निषाद, सदानंद सर्वाकर ,नरेश साहू ,कुबेर मेश्राम ,विष्णु सिन्हा खुबलाल बघेल सुनील मेहर ,संजीव सोनटेके ,भगवंत कुटारे ,रोमलाल निषाद ,ईश्वरी सिन्हा प्रतिभा सकरिया ,जानकी निर्मलकर ,लक्ष्मी साहू ,सतरूपा विप्रे श्रद्धा साहू , अरूण प्रजापति,चंदकुमार साहू ,हेमंत विश्वकर्मा ,नेतराम साहू ,ज्ञानेश शर्मा ,रमेश यदु , रेखू साहू ,बलराम साहू ,नेमु साहू , सूरज दीवान शेष साहू बड़ी संख्या में गरियाबंद जिला के शिक्षक उपस्थित रहे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 14 फरवरी। जिला कांग्रेस कमेटी में अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल की पुण्यतिथि मनाई गई।
मंगलवार को जिला कांग्रेस कमेटी भवन में ब्लाक अध्यक्ष मो हाफिज खान सहित वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं द्वारा पं. श्यामा चरण शुक्ल जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजली अर्पित करते हुए पूण्यतिथि मनाया गया।
इस दौरान मो. हाफिज खान ने कहा कि पं. श्यामा चरण शुक्ल एक अनुभवी व दूर दृष्टि के राजनीतिक व्यक्ति थे। उन्होंने कहा कि कई बार विधायक रहते हुए तीन बार अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे उनके द्वारा जनहित में किए गए कार्यों से सदैव हम सभी को प्रेरणादायनी व ऊर्जा प्रदान करते रहेंगे।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से मो हाफिज खान ब्लाक अध्यक्ष गरियाबंद प्रेम सोनवानी शहर अध्यक्ष, ओम राठौर मंडी अध्यक्ष, मुकेश रामटेके एल्डर मेन, सेवा राम गुप्ता ,चंद्र भूषण चौहान,नंदनी त्रिपाठी महिला कांग्रेस अध्यक्ष,विमला साहू, प्रतिभा पटेल,नीतू देवदास,देवीश यदु,घनश्याम ओगारे, अमित मीरी ,अमृत पटेल, अवध राम यादव, नंदू गोस्वामी सहित कांग्रेस कार्यकता मौजूद रहे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 14 फरवरी। माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि 14 दिनों तक चलने वाले प्रदेश का ऐतिहासिक धार्मिक और सांस्कृतिक मेले में आकर दर्शनार्थी अभिभूत हो रहे है। इस मेले में दूरदराज से आये दर्शनार्थियों से जब राजिम में आयोजित इस मेले के संदर्भ में उनकी राय जानना चाही तो उन्होंने बहुत ही प्रसन्नता के साथ अपने अनुभव साझा किये।
ग्राम परस_ी से सपत्निक पहुंचे युवराज साहू ने बताया कि वे प्रतिवर्ष राजिम मेंले में आयोजित पुण्य स्नान के लिए आते है और हर बार उन्हें नया अनुभव की अनुभूति होती है। इस बार राजिम के मुख्य मंच के पास भगवान श्री राम की विशालकाय मूर्ति को देखकर मन अभिभूत हो गए। इसी प्रकार भिलाई से पहुंचे रवि प्रकाश एवं बिलासपुर कोटा से आए अनिल कुमार ने अपना अनुभव बांटते हुए बताया कि इस बार राजिम मेला में आकर काफी प्रसन्नता हो रही है। जिस प्रकार से राजिम का सौन्दर्यकरण हुआ है यकीनन इससे राजिम की भव्यता और गरिमा में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है।
तौरेंगा से पहुंचे नागेश तिवारी ने बताया कि राजिम अभी तक तीन नदियों के संगम के नाम से जाना जाता था लेकिन इस आयोजन के बाद अब संगम के तट पर धार्मिक, सांस्कृतिक एवं श्रध्दा और आस्था का अद्भुत संगम भी देखने को मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ की लोक परम्परा और कला सांस्कृति को एक ही मंच पर देखने को मिल रहा है। भलेरा से पहुंचे रोशन साहू ने बताया कि राजिम पहुंचकर जो आध्यात्मिक शांति की अनुभूति होती है वह एहसास और कहीं के धार्मिक स्थलों पर पहुंचकर मैंने महसूस नहीं की है। मेरा परिवार सालभर तक राजिम के पुन्नी मेला का बेसब्री से इंतजार करते है। इतना ही नहीं राजिम के इस मेले में प्रदेशभर के दर्शनार्थियों के द्वारा देश-विदेश के लोग भी राजिम पहुंच रहे है। राजिम पुन्नी मेला में बनायी गयी भगवान राम की विशाल मूर्ति मुख्य आकर्षण का केन्द्र बनी हुईं है। लोग मंदिरों के दर्शन के बाद भगवान राम के इस विशाल मूर्ति के पास बैठकर सुकून के दो पल गुजार ने का कोई मौका नहीं छोडऩा चाह रहे है। युवा वर्ग में इस मूर्ति के पास सेल्फी लेने की होड़ मची हुई है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 14 फरवरी। प्रदेश में बढ़ती नक्सली हिंसा, हत्या, लुटपाट, दुष्कर्म एवं अन्य बढ़ती अपराधिक गतिविधियां के विरुद्ध कार्रवाई की मांग को लेकर सोमवार को भाजयुमो ने जिलाध्यक्ष योगी माखन कश्यप के नेतृत्व में पुलिस अधीक्षक के नाम डीएसपी निशा सिन्हा को ज्ञापन सौंपा। इसके पहले भाजुयमो ने देर शाम सात बजे रावनभाठा से लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक मशाल रैली निकाली। रैली के पूर्व नारायणपुर नक्सली घटना में मृत नारायणपुर जिला भाजपा उपाध्यक्ष सागर साहू को दो मिनट मौन रख श्रद्धांजली अर्पित की गई।
रैली के दौरान भाजुयमो ने राज्य की कांग्रेस के विरुद्ध लचर कानून व्यवस्था को लेकर जमकर नारेबाजी भी की। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रदेश कार्यसमिति सदस्य विकास साहू, अभिषेक सोनकर, गरियाबंद मंडल अध्यक्ष सुरेन्द्र सोनटेके, पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश दासवानी, सलीम खान, प्रहलाद ठाकुर भी शामिल हुए।
इस अवसर पर भाजयुमो जिलाध्यक्ष योगीमाखन कश्यप ने कहा कि बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा लगातार भाजपा नेताओ को निशाना बनाया जा रहा है, हाल में नक्सलियों ने नारायणपुर में भाजपा जिला उपाध्यक्ष सागर साहू की हत्या कर दी। इसके पहले बीजापुर में मंडल अध्यक्ष नीलकंठ कक्केम व बस्तर में जिला मंत्री बुधराम करटॉप की निर्मम की गई। वही एक साल पहले विधायक भीमा मंडावी भी नक्सलियो ने हत्या कर दी थी। भाजपा नेताओं पर लगातार नक्सली हमला साजिश नजर आता है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार के राज में लचर कानून व्यवस्था के चलते नक्सलियों के हौसले बुलंद है, दिन ब दिन उनके उत्पात बढ़ते जा रहे है। इसके विरोध में ही मशाल रैली निकाल ज्ञापन सौंपा गया।
ज्ञापन में नारायणपुर घटना में सागर साहू की निर्मम हत्या करने वाले लोकतंत्र के हत्यारे नक्सलियों पर तत्काल कार्रवाई, पूर्व में नक्सलियों द्वारा किए गए भाजपा नेताओं की हत्या में कार्रवाई, छत्तीसगढ़ में बढ़ते दुष्कर्म, चाकूबाजी, गैंगवार, हत्या, अवैध गांजा तस्करी, नशीले पदार्था की ब्रिकी, जुआ सट्टा, लवजिहाद और धर्मांतरण के मामलों में कार्रवाई व रोकथाम की मांग की गई।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से जिला महामंत्री भाजुमयो युगल समदरिया, उपाध्यक्ष तोरण साहू, मंत्री प्रतीक तिवारी, रितेश यादव, दीपक तिवारी, संतोष सिन्हा, मंडल अध्यक्ष आनंद ठाकुर, राज डे, मनीष यादव, विवेक ढोंगरे, हरिशंकर मांझी, अविनाश दीवान, कुजर रामटेके, अजय ढोंगरे, गंगाधर ध्रुव, डागेश्वर कश्यप, शिव ढोंगरे, लक्ष्य ध््राव, मोहन कुलदीप, मोहन गुप्ता, हीरालाल गुप्ता, गैंदलाल ध्रुव, विकास ध्रुव, घनश्याम ध्रुव, कुलदीप ध्रुव, रघु बाम्बोड़े सहित बड़ी संख्या भाजयुमो कार्यकर्ता मौजूद थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 14 फरवरी। आदिवासी बाहुल्य गांव खट्टी में शिक्षकीय कार्य कर रहे गिरीश कुमार शर्मा का आकाशवाणी रायपुर से भेंटवार्ता का प्रसारण 13 फरवरी को प्रात: 7.30 बजे से किया गया। इसमें गिरीश कुमार शर्मा से विद्यालय में किस प्रकार से उन्होंने नवाचार किया, उसका विद्यार्थियों को क्या लाभ हुआ, बच्चे शाला त्यागी ना हो, स्कूल में बच्चों को किस प्रकार से पढ़ाई करवाई जाए की बच्चो का मन स्कूल में लगे इन बातों पर चर्चा की गई।
उल्लेखनीय है कि सहायक शिक्षक के रूप में शासकीय प्राथमिक शाला खट्टी में अपनी सेवा दे रहे गिरीश कुमार शर्मा ने विभिन्न नवाचारी गतिविधियां अपनी संस्था में की साथ ही क्रीड़ा, सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विशेष भूमिका का ये निर्वाह करते आ रहे है। शैक्षणिक कार्यों में विशेष भूमिका के कारण इन्हें 2019 में मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण शिक्षादूत सम्मान, कोविड 19 के समय ऑनलाइन एवं मोहल्ला क्लासेस लेने के कारण जिलाधीश द्वारा सम्मान, 2019 एवं 2022 में संकुल केंद्र द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक का सम्मान साथ ही समय समय पर अनेक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मान प्रदान किया गया है। गिरीश कुमार शर्मा के इन्हीं कार्यों के कारण आकाशवाणी रायपुर से इनके भेंटवार्ता का कार्यक्रम 13 फरवरी को सुबह 7.30 बजे प्रसारित किया गया।
कड़ाके की ठंड में भी दर्शक अपनी जगह पर टिके रहे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 14 फरवरी। सोमवार की शाम मुख्य मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने दर्शकों को ऐसा परवान चढ़ा कि तेज हवा और कड़ाके की ठंड ने भी दर्शकों को डिगा नहीं पाए। दर्शक दीर्घा में दर्शकों की भीड़ छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध लोक मंच दुष्यंत हरमुख के रंग झरोखा का आनंद देर रात तक लेते रहे। उनके सुप्रसिद्ध गीतों की जब बौछार शुरू हुई तो स्वर के आनंद में दर्शक दीर्घा खुद-ब-खुद गोता लगाते रहे। उनके द्वारा गाए गए हर गीत का लुफ्त उठाते हुए दर्शक दीर्घा में मौजूद लोग अपने जगह पर ही थिरकते नजर आए। सोमवार की रात मेला अवधि में सबसे सर्द रात थी लगातार 3 घंटे तक अपने सुरो की गंगा में गोता लगाने पर मजबूर कर दिया।
दुष्यंत हरमुख ने अपनी पहली प्रस्तुति ब्रम्हा, विष्णु, महेश तीनों देवों को पूजा करते हुए की गई। इसी के साथ देवार कर्मा और कर्मा ददरिया जिसमें मटके मोर आंखी लचके मोर कनहिया.... पानी ले जियतभर ले ऐसे गीतों की प्रस्तुति ने मंच के द्वारा रंगझरोखा कलाकारों ने अपनी छाप छोड़ते रहे। स्व. रामचंद देशमुख, खुमान साव को स्मरण करते हुए मोर मन बगीया म फुल.... के माध्यम से अपने गुरू को श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। कार्यक्रम कर अगली कड़ी तोल भरोसा मोर मया के हावे ... ने दर्शकों को भी बहुत आनंदित किया। खिनवा नई मांगों मेहा.. सजना मोर परदेश... गीतों ने समा बांध दिया। इन्हीं गीतों की प्रस्तुति के बाद गम्मत नौसीखिया रामलीला की प्रस्तुति दी गई। जिसमेंएक से बढक़र एक हास्य पद वाक्य सुनाकर बैठे दर्शक खूब जोर-जोर से हंसते हुए लोट-पोट हुए। इसके बाद अगली प्रस्तुति तोर पैरी के झुन-झुन मोर दिल.... साथ ही रंगझरोखा के संस्थापक, निर्माता, निर्देशक दुष्यंत हरमुख ने संगी रे मोला सुरता में डाले जैसे गीतों की प्रस्तुति दी। इस गीत को सुनकर दर्शकों ने भी खूब आनंद लिये।
इसके पूर्व महासमुंद से आए माधुरिमा लोककला मंच से केे पवन कुमार ने छत्तीसगढ़ी परम्पराओं से परिपूर्ण कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। जय गणराज..., अरपा पैरी के धार..., झारा-झारा दिया बाती ओ.... छत्तीसगढ़ी गीत के साथ हिन्दी फिल्म आशिकी के गीत गाकर अपने स्वर को बदलते हुए और दर्शकों का मनोरंजन किया। मया होगे रे तोर संग..... ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। लोककला मंच मधुरिमा ने दर्शकों की खूब वाहवाही लुटी। कलाकरों का सम्मान स्थानीय जनप्रतिनिधियों, केन्द्रीय समिति के सदस्यों द्वारा किया गया। मंच का संचालन निरंजन साहू द्वारा किया गया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 14 फरवरी। माघी पुन्नी मेला में सोमवार को त्रिवेणी संगम में स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने नदी की रेत से शिवलिंग बनाकर जलाभिषेक किया। बिल्वपत्र, धतुरा, केशरईया, कनेर के साथ ही दूध, दही, घी, मिश्री, शक्कर, शहद, सुगंधित तेल, चंदन, गंगाजल समर्पित किया गया। आरती उतारी गई तथा अर्ध परिक्रमा किया गया। पश्चात मंदिरों में पूजा अर्चना एवं जलाभिषेक किये गये। किंवदंति के अनुसार वनवास काल के दौरान दशरथ पुत्र रामचन्द्र देवी सीता के साथ महर्षि लोमश से मिलने पैदल चलते हुए नदी मार्ग से पहुंचे थे। चर्तुमास व्यतीत कर यहां उपस्थित राक्षसों का समूल नाश किया। इस दौरान देवी सीता संगम नदी में स्नान कर शिव के अराधना के लिए रेत से शिवलिंग बनाकर जलाभिषेक किया। जैसे ही उन्होने जल डाला पांच ओर से धारा फूट गया और उसी दिन से शिवलिंग का नाम पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव नाम पड़ा। जानकारी के मुताबिक ऐसा शिवलिंग विश्व में कहीं और नहीं मिलता इसे विरले शिवलिंग के श्रेणी में रखा गया।
सौ बिल्वपत्र के बदले मिला सौ पुत्र
श्रीमद्राजीलोचनमहातम्य ग्रंथ के अनुसार राजा का उम्र बीतता चला जा रहा था। पुत्र की आकांक्षा से अनेक धार्मिक अनुष्ठान किये। व्रत, उपवास, दान,स्नान इत्यादि कृत्य के बाद भी मनोकामना पूर्ण नहीं हुई। थक हारकर राजा बैठ गये। एकाएक एक ब्रम्हऋषि से मुलाकात हुए। उन्होंने दण्डकारण्य स्थित त्रिवेणी संगम के मध्य में विराजमान कुलेश्वरनाथ ज्योतिर्लिंग दर्शन की बात कहीं। उनके कहे अनुसार पति-पत्नि तीन नदी के संगम पर स्नान किये तथा पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव के जलाभिषेक पश्चात् 100 बिल्वपत्र चढ़ाये। जिसके कारण उन्हें सौ पुत्रों की प्राप्ति हुई।
मंदिर तीन ओर सीढिय़ों से घिरा
सोंढूर, पैरी एवं महानदी के संगम पर बने विशाल मंदिर नदी तल से 17 फुट ऊंची जगती तल पर बनाये गये है जिसमें बड़ी-बड़ी पत्थरों का उपयोग हुआ है। पहुंचने के लिए तीन ओर से सीढिंया हैं। पहला सीढी पूर्व दिशा की ओर, दूसरा उत्तराभिमुख तथा तीसरा दक्षिण दिशा में कम चौड़ाई के है। मंदिर निर्माण की तिथि सातवी शताब्दी बतायी जाती है। महामण्डप को पार कर गर्भगृह पहुंचा जाता है। जहां आशुतोष महादेव शिवलिंग के रूप में विराजमान है ़िद्वतीय गर्भगृह में जगतजननी मां सीता स्थापित है। मंदिर के चौराहे पर विशाल पीपल का वृक्ष सुंदरता में चार चांद लगाये हुए है।
राम ने चतुर्मास किया व्यतीत
लोमश ऋषि का आश्रम कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर से तकरीबन 300 गज की दूरी पर स्थित है। त्रेतायुग में बनवास काल के दौरान रामचंद्र जी पहुंचे तब लोमश ऋषि से उनकी मुलाकात हुई। डॉ. मन्नुलाल यदु ने अपने लेख में लिखा है कि चतुर्मास रूककर रामचंद्र ने यहां मौजूद आसुरी शक्तियों का समूल नाश किया। छत्तीसगढ़ सरकार ने राम वनगमन परिपथ के अंतर्गत राजिम का विकास कर रही है।
सोमवार को रहीं मंदिरों में भीड़
सोमवार को शिव का वार माना गया है इसलिए बड़ी संख्या में श्रध्दालुओं ने जल डालकर जलाभिषेक किये भीड़ ज्यादा होने के कारण कतारबध्द होकर अपने बारी का इंतजार किया। इसी तरह से अन्य मंदिरों में भी खासा भीड़ रही।
राजिम, 14 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला में विभिन्न विभागों के शासकीय स्टॉल लगा हुआ है। जिसमें मेलार्थी जाकर शासकीय योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर रहे है।
मेले में कृषि, उद्यानिकी, पशुधन विकास एवं मछली पालन विभाग गरियाबंद द्वारा स्टॉल लगाया गया है। इस प्रदर्शनी में लगे मॉडल को देखकर विशेष रूप से किसान स्टॉल में पहुंचकर जानकारी ले रहे है और वहां उपस्थित अधिकारियों से इन पर मिलने वाली अनुदानों के बारे में चर्चा भी कर रहे है। क्योंकि गांव में साहूकारों से ऋण लेने पर ऋण बढ़ता जाता है और किसान उसे चुकाने में सक्षम नहीं हो पाते। इसलिए हितग्राही अनुदान हेतु आवश्यक दस्तावेज की जानकारी ले रहे है जिससे किसान अनुदान प्राप्त कर अपने कृषि उद्यानिकी, पशु एवं मछली पालन कर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकता है और प्रगति कर सके। छत्तीसगढ़ प्रशासन द्वारा मेला में ऐसे स्टॉल लगाना तारीफे काबिल है जिसके कारण मेले में लगे स्टॉल में सभी जानकारी मिल जाती है लोगों को भटकने की जरूरत नहीं पड़ती।
लोगों को लुभा रहा है चिंगरा पगार की प्रदर्शनी
कृषि विभाग के स्टाल में विभाग के द्वारा किसानों को मिलने वाली लाभ की जानकारी प्रदान की जा रही है लेकिन इसके अलावा स्टाल में प्रदर्शित किया गया गरियाबंद जिले के प्रसिद्ध वाटरफॉल चिंगरा पगार का प्रदर्शनी भी लगाया गया है, जो लोगों को काफी लुभा रहा है। विदित हो कि जिले में चिंगरा पगार बरसात के दिनों में अपने पूरे शबाब पर रहता है और लोगों की भीड़ स्वमेव इस मनमोहक नजारा को देखने के लिए खींची चली जाती है जो आकर्षक का केंद्र भी बना रहता है। इसके अलावा जतमई घटारानी में भी वाटरफॉल का जबरदस्त नजारा रहता है। कृषि विभाग ने पहली बार इसे प्रदर्शनी में शामिल कर यहां दूरदराज से पहुंचने वाले लोगों को इसकी विस्तृत जानकारी दे रहे हैं। कई लोग कौतूहल वॉच प्रदर्शनी को देखकर जानकारी भी ले रहे है।
रीपा से मिलेगा ग्रामीणजनों को रोजगार
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के में एक अमृत सरोवर का भी निर्माण किया गया है। जिसके बारे में जिला पंचायत के इंजीनियर जितेन्द्र पाठक ने बताया कि हर जिले में 75 तालाबों का उन्नयन करके उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों के नाम दिया जायेगा। ये आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत किया जा रहा है। इन तालाबों में चारों ओर लाईट, बैठने का स्थान और घुमने की व्यवस्था होगी। इसी प्रदर्शनी में जैविक खेती, आदर्शग्राम, गौठान का मॉडल में लगाया गया है। जिसका अवलोकन कर लोग आनंदित हो रहे है। इसी स्टॉल में रीपा का भी प्रदर्शनी लगाई गई है ये आर.आई.पी.ए. ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को रोजगार और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा 2023 में रीपा का शुभारंभ किया गया है। जिसमें मशरूम उत्पादन, फिनाईल, निरमा, टोकरी इत्यादि कार्यो के लिए छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा रीपा के तहत् अनुदान में दी जा रही है। जिससे गांव में होने वाले पलायन को रोका जा सकेगा।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा- राजिम, 14 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला एवं आगामी महाशिवरात्रि के अवसर पर गोबरा नवापारा के छांटा रोड मण्डल डबरी राधा स्वामी सत्संग के निकट भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग प्रतिमा स्थापित की गई।
उक्त धार्मिक अवसर पर भगवती मानव कल्याण संगठन के द्वारा 5 घंटे का दुर्गा चालीसा पाठ का आयोजन किया गया जिसमें समस्त शिवनगर कालोनी निवासियों द्वारा नशा एवं मांसाहार मुक्त जीवन जीने का संदेश दिया गया।
पंडित की उपस्थिति में भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित की गई। जिससे मंडल डबरी का माहौल भक्ति मय हो चुका था। उक्त मौके पर शिवनगर निवासी कुसुम कावले, प्रीतम लवतरिया, ममता ध्रुव, पिंकी निषाद,रितु कावले, खिलेश्वरी निबाद, नितु गायकवाड़,पूर्णिमा साहू, नूतन साहू, हेमलता ध्रुव, मालती साहू, ममता चक्रधारी सहित कालोनीवासियों का सहयोग रहा अंत में सभी श्रद्धालुओं को भोजन स्वरूप प्रसाद का वितरण किया गया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 14 फरवरी। माघी पुन्नी मेला में शासकीय स्टॉलों द्वारा योजनाओं की जानकारी मेला में मेलार्थियों को स्टॉल में उपस्थित अधिकारी व कर्मचारियों के द्वारा जानकारी दी जा रही है।
ग्रामोद्योग संचानालय रेशम विभाग स्टॉल में उपस्थित किरवई से आए सूरजभान साहू ने बताया कि कोसे से धागा निकालने के लिए तितली द्वारा अंडा प्राप्त होते है, उस अंडे से ईल्ली निकलने में 9 दिन लगते है। फिर उस ईल्ली को कहुआ और शहतूत के ठंडल लेकर ईल्ली के पास ले जाया जाता है और ईल्ली उस डंठल में आते है, फिर उस डंठल को ले जाकर कहुआ और शहतूत के पेड़ में ईल्ली को डाल देते है, फिर ईल्ली पत्ते को खाकर लार छोड़ते-छोड़ते कोसे का निर्माण करते है और ईल्ली का आकार भी छोटा होता जाता है और वह ईल्ली अपने बनाये कोसे के अंदर ही होते है, फिर कोसा उत्पादक कहुआ पेड़ में फल के समान दिखने वाले कोसे को कांट लेते है और कोसे के ऊपर हिस्से को कांटते है उसके अंदर ईल्ली जो है तितली बन चुका रहता है। उसे पकड़ कर उसके पंख कांट कोसा पालन करने वाला उससे फिर से अंडा प्राप्त करता है।
प्राप्त हुए कोसे को निरमा, माटी राख, खाने का सोडा से दो से ढाई घंटा उबाला जाता है, फिर उसे धोया जाता है। उसके बाद धागा निकाला जाता है। सरकार को 1 किलो धागा बेचने पर कोसा पालक को 1 हजार रूपये मिलता है। ये कोसा की साड़ी बाजार में 3-7 हजार तक बिकती है जो हमारे छत्तीसगढ़ की परंपरा बनीं हुई है। छत्तीसगढ़ी गीत कोसा के साड़ी पहिनाहु तोला ओ... गीत ने कोसा साड़ी का महत्व को और बढ़ा दिया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा- राजिम, 14 फरवरी। सोमवार को राजिम माघी पुन्नी मेला में संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन के सौजन्य से नदी मंच में हर्षाल्लास के साथ त्रिवेणी संगम साहित्य समिति राजिम नवापारा द्वारा कवि सम्मेलन कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में जनपद पंचायत अध्यक्ष पुष्पा-जगन्नाथ साहू एवं रेखा-जितेन्द्र सोनकर, अध्यक्ष नगर पंचायत राजिम एवं अध्यक्षता पुष्पा गोस्वामी पार्षद राजिम, के आतिथ्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में सर्वप्रथम विद्या की देवी माता सरस्वती के छायाचित्र पर वंदन, माल्यार्पण कर किया गया। तत्पश्चात अतिथियों का पुष्पगुच्छ एवं गुलदस्ता देकर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम तुषार शर्मा के द्वारा माता सरस्वती वन्दना से कविता की बौछार हुआ जिसमें मकसूदन साहू बरीवाला ने कोका कोला कोल्ड्रिंग एवं भारतीय पेय पदार्थ नींबू पानी पर जबरदस्त व्यंग्यात्मक कविता पाठ किया। कई आवार्डां से सम्मानित एवं मीरा से सम्बोधित होने वाली कवयित्री केंवरा यदु ने बेटी पर कविता पढ़ी। मोहनलाल मानिकपन ने संस्कार पर कविता पढ़ा। रोहित साहू माधुर्य ने भारतीय जवानों पर कविता पढ़ा। संतोष प्रकृति ने त्रिवेणी संगम,डॉ. रमेश कुमार सोनसायटी ने समसामयिक नशा नाश की जड़ है, एवं राजिम माघी पुन्नी मेला पर कविता पढ़ा। किशोर निर्मलकर ने भेद झन करव बेटी अउ बेटा में, प्रिया देवांगन मत काटो गा पेड़ ला, प्रकृति पर, तुषार शर्मा ने कांवरिया और महादेव पर जबरदस्त चित्रण करते हुए कविता पढ़ा, रामेश्वर रंगीला ने राजिम महात्मय, छग्गूयास आडिल ने श्रृंगार रस एवं नूतन साहू छत्तीसगढ़ की बासी चटनी एवं संस्कृति थामसिंग ने छत्तीसगढ़ महतारी पर कविता पढ़ा। इस प्रकार से कवियों ने अलग-अलग रस और शिक्षा व संदेशप्रद कविता पाठ किया पुष्पा जगन्नाथ साहू ने कहा कि साहित्य समाज का सृजन करता है एवं संस्कृति को आगे बढ़ाता है जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि की कविता इस प्रकार से शब्दों के साथ कवियों को बधाई एवं छत्तीसगढ़ शासन जो इस प्रकार से कार्यक्रम करवाते है, उसको धन्यवाद ज्ञापित किया।
रेखा जितेन्द्र सोनकर ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है। समाज को अच्छा व बुरा का दिशा निर्देश देते हुए अपने शब्दों को पिरो कर कविता के माध्यम से हम सबको सचेत करते रहते है। जिसके लिए धन्यवाद के पात्र है। जितना कहें कम ही है। पुष्पा गोस्वामी अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि कवि लोग हमारे समाज को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। कार्यक्रम में अतिथियों के द्वारा सभी साहित्यकारों का संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया कार्यक्रम में सुखेन साहू नदी मंच प्रभारी किशोर निर्मलकर मंच संचालक दिनेश्वर साहू लाइटिंग प्रभारी का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में रोहित साहू माधुर्य ने आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 14 फरवरी। रायपुर से पहुंचे स्टार नाईट कलाकार अनुराग शर्मा ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि खुली मानसिकता आगे बढ़ाने में सहायक सिध्द होते है, दबाव में मार्ग अवरूध्द हो जाता है। हिट होने के लिए फिट रहने की आवश्यकता है। सस्ती लोकप्रियता लम्बे समय तक नहीं टिकती। कलाकार मेहनत करें, सीखें, जाने। उनको आगे बढऩे से कोई रोक नहीं सकता। छत्तीसगढ़ी फिल्म का भविष्य सबसे अच्छा है जिसमें काम अच्छा हो रहा है परन्तु पर्दे की कमी है। फिल्म इंडस्ट्री इन 22 वर्षों में तेजी के साथ बढ़ा है। मेरी मंचीय प्रस्तुति हिन्दी गाने से हुई है। छत्तीसगढ़ी लोकगायक मिथलेश साहू, महादेव हिरवानी मेरे पसंदीदा हैं।
श्री शर्मा ने आगे बताया कि राजिम का महोत्सव मंच कलाकारों का सपना होता है। आज प्रस्तुति देकर मंै बहुत प्रसन्न हूं। मेरी कोशिश रहती है कि अपना हर काम ईमानदारी के साथ करूं। पिछले 20 सालों से गा रहा हूं जिस तरह से पंजाब, ओडिशा, बंगाल आदि के कलाकारों की मुंबई में पैठ होती है। वह अपनी फोक के साथ बॉलवुड स्टाइल को मर्ज करते है ताकि उन्हें पूरा देश जाने। मेरी खयालात भी ऐसा ही है। कर्मा, ददरिया, सुवा ने मुझे आगे बढ़ाया। संस्था चंदैनी गोंदा से ंलोक संगीत सीखा। छत्तीसगढ़ी भाषा हिन्दी के सबसे नजदीक है।
मेरा पूरा कार्यक्रम छत्तीसगढ़ी में होते है। हालांकि कभी-कभार हिन्दी गानों का उपयोग कर लेता हूं। भाषा कभी संकट पैदा नहीं करती, वह हमेशा जोडक़र रखते है। गीत तोर सुरता म, तोर आंखी म दीवानी...गीत ने मुझे आगे बढ़ाया। मेरे कार्यक्रम में कोई सेटेड नहीं होते माहौल के अनुसार प्रस्तुति देना ज्यादा अच्छा समझता हूं। 1500 से भी ज्यादा गाना फिल्मों में गा चुका हूं। 7 बार प्लेबैक आवार्ड मिला है आने वाला एलबम तोर बोली म मंदरस धूम मचाएगा मुझे पूरा विश्वास है। तोर आंखी म दिवानी गीत को अरूण यादव ने लिखा है।
उन्होंने प्रण कर लिया था कि मेरी नौकरी लगेगी तब उनकी पहली तंख्वाह से यह गीत अनुराग शर्मा के आवाज में श्रोताओं तक पहुंचेगी। ऐसा ही हुआ और इस गीत ने मुझे प्रसिध्दि दिला दी। सन् 2018 में स्थापित होने का मौका मिला। गीत छम-छम बाजे पांव के पैरी के 90 मिलियन के आसपास विवर्स है श्री शर्मा ने आगे बताया कि मेरे दादा अपने लिए रामायण गाते थे। मेरे घर में कोई संगीत का माहौल नहीं रहा। मेरी रूझान संगीत के प्रति होने से लोग आश्चर्य मानते है।