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अल-अक़्सा मस्जिद: फिर हुई हिंसा, इसराइल के ख़िलाफ़ बोले सऊदी और तुर्की
09-May-2021 4:29 PM
अल-अक़्सा मस्जिद: फिर हुई हिंसा, इसराइल के ख़िलाफ़ बोले सऊदी और तुर्की

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यरुशलम में शनिवार को फ़लस्तीनियों और इसराइली पुलिस के बीच लगातार दूसरी रात झड़पें हुईं, जिसमें दर्जनों लोग घायल हो गए.

प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और पुराने शहर के दमस्कस गेट पर आगज़नी की. पुलिस ने स्टेन ग्रेनेड और वाटर कैनन से जवाब दिया.

फ़लस्तीनी रेड क्रिसेंट के मुताबिक़ हिंसा में कम से कम 80 फ़लस्तीनी घायल हो गए हैं. 14 को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

इसराइली पुलिस के मुताबिक़ उनके एक जवान को चोट लगी है.

हिंसा की शुरुआत शुक्रवार रात को हुई थी, जब 200 से अधिक फ़लस्तीनी और कम से कम 17 इसराइली पुलिसकर्मी अल-अक्सा मस्जिद के पास घायल हो गए थे.

शनिवार को क्या हुआ?
शनिवार को हज़ारों मुसलमान अल-अक़्सा मस्जिद के दमस्कस गेट पर लायलात-अल-कदर यानी रमज़ान की सबसे पवित्र रात को प्रार्थना के लिए जुटे.

शनिवार की सुबह इसराइली पुलिस ने मस्जिद की तरफ़ जाती दर्जनों बसों को रास्ते में रोक लिया था.

27 साल के महमूद अल-मरबुआ ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "वो हमें नमाज़ करने नहीं देना चाहते. हर दिन लड़ाई होती है, हर दिन झड़पें होती हैं."

कई देशों ने चिंता ज़ाहिर की
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा कि उनका देश क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़िम्मेदारी के साथ काम कर रहा है.

फ़लस्तीनी नेता महमूद अब्बास ने इस बात की निंदा करते हुए इसराइल के हमले को 'गुनाह' बताया है.

अमेरिका, यूरोपीय संघ, रूस और संयुक्त राष्ट्र ने शनिवार को बढ़ती हिंसा पर "गहरी चिंता" व्यक्त की है.

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इसराइल के रवैये की निंदा की है. उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, "हम अल-अक्सा मस्जिद पर इसराइल के जघन्य हमले की निंदा करते हैं, जो कि दुर्भाग्य से हर रमज़ान के दौरान किए जाते हैं. तुर्की अपने फ़लस्तीनी भाइयों और बहनों से साथ हर मुश्किल घड़ी में खड़ा रहेगा."

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हिंसा की निंदा करते हुए लिखा, "अल अक्सा मस्जिद, जिस पर इसराइल ने कब्ज़ा कर रखा है. वहाँ निर्दोष लोगों पर रमज़ान के महीने में हमले की मैं निंदा करता हूं. इस तरह की क्रूरता मानवता और मानवाधिकार क़ानून की भावना के़ ख़िलाफ़ है. हम फ़लस्तीन के साथ खड़े हैं. "

सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात मे भी हिसा की निंदा की है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने अल-अरबिया चैनल पर प्रसारित एक बयान में कहा, "सऊदी अरब इसराइल द्वारा दर्जनों फ़लस्तीनी परिवारो को उनके घरों से बेदखल करने की योजना को ख़ारिज करता है."

अरब देशों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वो इस मामले में दखल दें ताकि उस इलाक़े से किसी को नहीं हटाया जाए.

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि इसराइल को किसी को भी वहाँ से हटाने से बचना चाहिए और प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ "बल प्रयोग में अधिकतम संयम" बरतना चाहिए.

सऊदी अरब ने यरुशलम से फ़लस्तीनियों को हटाकर उसे अपनी संप्रभुता का हिस्सा बनाने की इसराइल की योजना को नकार दिया है. सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से शनिवार को पूरे मामले पर बयान जारी किया गया है. सऊदी अरब ने एकतरफ़ा कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के उल्लंघन की निंदा की है. सऊदी अरब ने कहा कि वो फ़लस्तीनियों के साथ खड़ा है. सऊदी ने कहा कि उसकी पूरी कोशिश है कि फ़लस्तीनियों के लिए 1967 के बॉर्डर के आधार पर एक स्वतंत्र मुल्क बने.

क्या है विवाद?
अल-अक़्सा मस्जिद परिसर जो कि पुराने यरुशलम शहर में है, उसे मुसलमानों की सबसे पवित्र जगहों में से एक माना जाता है. लेकिन इस जगह पर यहूदियों का पवित्र माउंट मंदिर भी है.

यहाँ पहले भी हिंसा होती रही है. शुक्रवार रात को रमज़ान के आख़िरी जुम्मे के मौक़े पर हज़ारों लोग यहां जमा हुए, जिसके बाद हिंसा शुरू हुई.

शुक्रवार का दिन पिछले कई सालों में हिंसा के मामले में सबसे ख़राब दिनों में से एक रहा.

1967 के मध्य पूर्व युद्ध के बाद इसराइल ने पूर्वी यरुशलम को नियंत्रण में ले लिया था और वो पूरे शहर को अपनी राजधानी मानता है.

हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसका समर्थन नहीं करता. फ़लस्तीनी पूर्वी यरुशलम को भविष्य के एक आज़ाद मुल्क की राजधानी के तौर पर देखते हैं.

पिछले कुछ दिनों से इलाक़े में तनाव बढ़ा है. आरोप है कि ज़मीन के इस हिस्से पर हक़ जताने वाले यहूदी फलस्तीनियों को बेदख़ल करने की कोशिश कर रहे हैं.

अल-अक़्सा मस्जिद
अक्टूबर 2016 में संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक शाखा यूनेस्को की कार्यकारी बोर्ड ने एक विवादित प्रस्ताव को पारित करते हुए कहा था कि यरुशलम में मौजूद ऐतिहासिक अल-अक़्सा मस्जिद पर यहूदियों का कोई दावा नहीं है.

यूनेस्को की कार्यकारी समिति ने ये प्रस्ताव पास किया था. इस प्रस्ताव में कहा गया था कि अल-अक़्सा मस्जिद पर मुसलमानों का अधिकार है और यहूदियों से उसका कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है. यहूदी उसे टेंपल माउंट कहते रहे हैं और यहूदियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता रहा है. (bbc.com)

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