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असम-मिजोरम सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच सरकारी एडवाइजरी जारी
31-Jul-2021 1:15 PM
असम-मिजोरम सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच सरकारी एडवाइजरी जारी

सीमा विवाद पर असम और मिजोरम के बीच हुई हिंसा के बाद दोनों राज्यों में तनाव लगातार बढ़ रहा है. इस बीच, असम सरकार ने अपने नागरिकों को मिजोरम की यात्रा से बचने की सलाह दी है.

 डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट

दोनों राज्यों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के तेज होते दौर के बीच असम सरकार ने मिजोरम से राज्य में आने वाले सभी वाहनों की मादक वस्तुओं की तस्करी के सिलसिले में जांच का निर्देश दिया है. बराक घाटी के लोगों की ओर से नेशनल हाइवे की आर्थिक नाकेबंदी के कारण तीन दिनों से असम से कोई वाहन मिजोरम नहीं गया है. दूसरी ओर, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस सीमा पर सीआरपीएफ जवानों को तैनात करने का फैसला किया है.

हिंसा और तनाव
असम-मिजोरम सीमा पर सोमवार को तनाव बढ़ने के बाद मिजोरम पुलिस के जवानो की कथित फायरिंग में असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई थी. उसके बाद भी दोनों ओर से भड़काऊ बयानों का सिलसिला जारी है. असम सरकार ने जहां मिजोरम सीमा में बंकर बनाने का आरोप लगाया है वहीं मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने कहा है कि हमारे पास सबूत है कि असम ने पहले गोली चलाई. उनका कहना था, "असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा मेरे मित्र हैं और मैंने निजी तौर उनसे इस मुद्दे पर बात की है. मुझे लगता है कि कुछ तत्व हैं जिन्होंने असम सरकार को गुमराह करने कि कोशिश की."

इस बीच, सीमा पर हिंसक झड़प के बाद असम सरकार ने राज्य के लोगों से मिजोरम नहीं जाने की सलाह दी है. राज्य के गृह सचिव एमएस मणिवन्नन की ओर से जारी इस एडवाइजरी में कहा गया है कि मौजूदा परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए असम के लोगों को सलाह दी जाती है कि वे मिजोरम की यात्रा न करें. इससे उनको खतरा हो सकता है. सरकार का दावा है कि सोमवार की हिंसा के बाद भी कई मिजो संगठन असम और उसके लोगों के खिलाफ लगातार भड़काऊ बयान जारी कर रहे हैं. असम पुलिस के पास उपलब्ध वीडियो फुटेज से यह पता चला है कि कई नागरिक भारी हथियारों से लैस हैं.

हालांकि इससे पहले मिजोरम सरकार ने कहा था कि राज्य में रहने वाले असमिया लोगों को कोई खतरा नहीं है और उनकी सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की गई है. मिजोरम के विभिन्न इलाकों में असम के करीब तीन हजार लोग रहते हैं. इनमें से ज्यादातर दैनिक मजदूरी के काम से जुड़े हैं.

मिजोरम ने गुरुवार को केंद्र को एक लंबा पत्र लिख कर मौजूदा हालात में असम के साथ दोबारा अशांति भड़कने का अंदेशा जताया है. गृह सचिव की ओर से भेजे इस पत्र में कहा गया है कि असम सरकार जिस तरह सीमा पर सुरक्षाबलों के जवानों की भारी तैनाती कर रही है उससे हिंसा भड़कने का खतरा है.

आर्थिक नाकेबंदी
उधर, हिंसक झड़पों के बाद बराक घाटी के लोगों ने मिजोरम को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले नेशनल हाइवे 306 की नाकेबंदी कर दी है जिससे जरूरी सामान और खाद्यान्नों से लदे ट्रक मिजोरम नहीं जा पा रहे हैं. यही नहीं, मिजोरम के वैरांग्टी तक जाने वाली एकमात्र रेलवे लाइन पर भी तोड़-फोड़ की गई है जिससे ट्रेनों की आवाजाही भी ठप है. मिजोरम सरकार ने बुधवार को केंद्रीयय गृह सचिव को पत्र भेज कर इस नाकेबंदी को फौरन खत्म करने की मांग की थी. लेकिन असम सरकार ने ऐसी किसी नाकेबंदी से इंकार किया है. कछार की एसपी रमनदीप कौर ने कहा कि ट्रक वालों और खाद्यान्न व्यापारियों ने सोमवार की झड़प के बाद मिजोरम को सप्लाई स्‍वेच्‍छा से बंद कर दी है.

मिजोरम के खाद्य, नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता मामलों के मंत्री के. लालरिनलियाना ने कहा है कि असम की बराक घाटी के लोगों की ओर से की गई आर्थिक नाकेबंदी से राज्य में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पहले की तरह प्रभावित नहीं होगी. राज्य में खाद्यान्नों की कमी नहीं है और इसके वैकल्पिक इंतजाम किए जा रहे हैं.

लेकिन बढ़ती तनातनी के बीच ही असम सरकार ने गुरुवार को एक अधिसूचना में कहा है कि मिजोरम से असम में प्रवेश करने वाले सभी वाहनों की प्रतिबंधित मादक पदार्थों  के लिए जांच की जाएगी. मिजोरम ने इसे उकसाने वाली कार्रवाई बताया है. लेकिन असम सरकार ने यह कहते हुए इसे सही ठहराया है कि दो महीने के भीतर ऐसे 912 मामले दर्ज हुए हैं और 15 सौ से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसके साथ ही सीमा पार से पहुंचने वाली प्रतिबंधित नशीली दवाएं भी भारी मात्रा में जब्त की गई है.

कानूनी लड़ाई
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि उनकी सरकार सीमा पर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. उधर, मिजोरम ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए कहा कि वह किसी भी मुकदमे का सामना करने के लिए तैयार है. मिजोरम के उपमुख्यमंत्री पी तानलुइया ने कहा कि वे केवल अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हम तैयार हैं और अदालत में मुकदमा लड़ने के लिए भी तैयार हैं. हमारे पास अपना पक्ष साबित करने के लिए वैध दस्तावेज हैं."

इस बीच, कांग्रेस ने असम सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी के मुद्दे पर बीजेपी और केंद्र सरकार पर हमला किया है. कांग्रेस महासचिव और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला हिंदी में एक ट्वीट में कहा, "देश के इतिहास में सबसे शर्मसार करने वाला दिन. जब देशवासी एक प्रांत से दूसरे प्रांत में न जा पाएं तो क्या मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को अपने पद पर बने रहने का अधिकार है? मोदी है तो यही मुमकिन है.”  (dw.com)
 

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