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क्रिप्टोक्वीनः क्या यही वो महिला हैं जिनके पास दुनिया के सबसे अधिक बिटकॉइन हैं?
11-Jul-2022 9:29 AM
क्रिप्टोक्वीनः क्या यही वो महिला हैं जिनके पास दुनिया के सबसे अधिक बिटकॉइन हैं?

-जेमी बार्टलेट और रॉब बार्न

क्रिप्टोकरेंसी के बाज़ार में मची उथलपुथल के साथ ही बीबीसी की देखी गई फ़ाइलों के मुताबिक ये संभावना भी है कि एक अप्रत्याशित बिटकॉइन निवेशक, लापता क्रिप्टोक्वीन, डॉ. रुजा इग्नातोवा की किस्मत भी डूब गई होगी.

ये ठग 2017 में तब गायब हो गई थीं जब उनका क्रिप्टोकरेंसी वनकॉइन अपने चरम पर था और निवेशकों ने उसमें अरबों लगाए थे.

धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की वजह से वे अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी एफ़बीआई के 10 सबसे वांछित भगोड़ों में से एक बन गईं.

ऑक्सफर्ड में पढ़ी इस उद्यमी ने अपने निवेशकों से कहा कि उन्होंने बिटकॉइन किलर बनाया है लेकिन फ़ाइलों से पता चलता है कि गायब होने से पहले उन्होंने गुप्त रूप से अपनी प्रतिद्वंद्वी करेंसी में अरबों जमा किए थे.

इसकी विस्तृत जानकारी पहली बार 2021 में सामने आई जब दुबई के एक कोर्ट के दस्तावेज़ को एक वकील ने ऑनलाइन पोस्ट किया, इसमें डॉ. रुजा को 'इतिहास का सबसे सफल अपराधी' बताया गया था.

एक नई किताब और बीबीसी पॉडकास्ट के आने वाले एपिसोड 'द मिसिंग क्रिप्टोक्वीन' में इस बात की पड़ताल की गई है कि डॉ. रुजा कैसे छिपी रहीं और कैसे उन्होंने क्रिप्टो जमा कीं.

द दुबई फ़ाइल
बीबीसी ने दुबई फ़ाइल में से कुछ जानकारियों को स्वतंत्र रूप से सत्यापित करने में सफलता हासिल की है.

कम से कम, यह लीक यह संकेत देता है कि दुबई डॉ. रुजा के लिए एक अहम वित्तीय रूट था. यहां तक कि एफ़बीआई ने जिन पांच देशों का नाम डॉ. रुजा से जोड़ा है उनमें संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल है.

फ़ाइलों को ऑनलाइन पोस्ट करने वाले वकील डॉ. जोनाथन लेवी कहते हैं, "यहां सैकड़ों मिलियन डॉलर दांव पर लगे हैं."

डॉ. लेवी वनकॉइन के पीड़ितों के मुआवजे के दावे में उनसे मिली जानकारी पर भरोसा कर रहे हैं.

ये दावा ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of the British Indian Ocean Territory) में ये दावा रखा गया. इसे यहां रखने के पीछे तर्क यह दिया गया कि ये कथित रूप से वनकॉइन के उपयोग किए जाने वाले वेब डोमेन को होस्ट करता है.

डॉ. लेवी को एक व्हिसलब्लोअर से हज़ारों दस्तावेज़ मिले, जिनमें से अधिकतर अरबी में थे. इस व्हिसलब्लोअर का ये कहना था कि दुबई में लोगों को "ग़लत तरीक़े से समृद्ध" बनाया जा रहा है.

डॉ. लेवी के क़ानूनी केस में सबसे बड़ा दावा ये है कि एक अमीर बिजनेस टाइकून के बेटे अमीरात के शाही शेख सऊद बिन फ़ैसल अल क़ास्सिमी के साथ एक बड़ा बिटकॉइन सौदा हुआ है.

फ़ाइल में ये भी बताया गया है कि 2015 में शेख सऊद ने डॉ. रुजा को चार यूएसबी वाली मेमरी स्टिक दी थी जिसमें उस वक़्त के 48.3 मिलियन यूरो के बराबर 230,000 बिटकॉइन थे.

इसके बदले में डॉ. रुजा ने मशरेक़ बैंक में शेख सऊद को तीन चेक सौंपे, जो कि 210 मिलियन अमीराती दिरहम या क़रीब 50 मिलियन यूरो के बराबर थे.

इस कथित डील से पहले दुबई के मशरेक़ बैंक ने डॉ. रुजा के खातों को मनीलॉन्ड्रिंग को लेकर बंद करना शुरू कर दिया था इसलिए उस चेक को वो भुना नहीं सकीं.

इस तथ्य के बावजूद कि एक साल से भी अधिक समय पहले से अमेरिकी न्याय विभाग ने डॉ. रुजा पर आरोप लगाया था. साथ ही वनकॉइन को धोखाधड़ी वाली क्रिप्टोकरेंसी कहा गया था, 2020 में दुबई के अधिकारियों ने डॉ. रुजा के फंड से रोक हटा ली.

इस फ़ैसले के महीनों पहले डॉ. रुजा के पूर्व फंड मैनेजर मार्क स्कॉट को भी न्यूयॉर्क में वनकॉइन की 400 मिलियन डॉलर की लॉन्ड्रिंग का दोषी पाया गया था.

इस फ़ैसले के बारे में पूछे गए बीबीसी के सवाल का दुबई के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है.

दुबई कोर्ट ऑफ़ अपील के रिकॉर्ड्स के मुताबिक 28 अप्रैल 2022 को शेख सऊद ने मांग की कि डॉ. रुजा के फंड उन्हें सौंप दिए जाएं, वो ख़ुद के साथ डॉ. रुजा के किसी डील की बात का हवाला दे रहे थे.

इस मामले में डॉ. रुजा प्रतिवादी हैं जबकि क़रीब पांच वर्षों से उन्हें कहीं नहीं देखा गया है.

डॉ. रुजा और शेख
शेख सऊद के बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक कम लंबाई के गठीले बदन वाले शेख बॉडी बिल्डिंग का शौक रखते हैं और सार्वजनिक रूप से बहुत कम देखे जाते हैं.

वे द इंटरगवर्नमेंटल कोलैबोरेटिव एक्शन फंड फॉर एक्सीलेंस (आईसीएएफ़ई) नामक एक संस्था जो शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का दावा करती है उसके 2017 के एक यूट्यूब वीडियों में दिखे लेकिन जब दुबई फ़ाइलें जारी की गईं, उसमें शेख अल कास्सिमी का बतौर आईसीएएफ़ई सेकेट्री ज़िक्र इसकी वेबसाइट से गायब हो गया.

हाल में लॉन्च की गई एक क्रिप्टोकरेंसी में भी शेख को बतौर अध्यक्ष बताया गया है. लीक हुईं दुबई फाइलें बताती हैं कि कभी अल कास्सिमी के परिवार और डॉ. रुजा के बीच घनिष्ठ संबंध थे.

3 सितंबर 2015 को दुबई के मशरेक़ बैंक ने डॉ रुजा को लिखित सूचना दी कि वो उनके निजी खातों को बंद कर देगा.

11 दिन बाद, एक अमेरिकी अदालत को एक ईमेल मिला जिसमें डॉ. रुजा ने वनकॉइन के अपने एक सहयोगी को मशरेक़ बैंक से 50 मिलियन यूरो ट्रांसफर करने को लिखा था. उन्होंने उसमें अगले हफ़्ते दुबई में एक शेख से मुलाक़ात का ज़िक्र भी किया था. उन्होंने लिखा कि वो कोशिश करेंगी कि 'वहां कुछ हमारे लिए हो सके.'

डॉ. रुजा किससे मिलने वालीं थीं या बैठक हुई भी या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है लेकिन फ़ाइलें एक और कहानी की ओर इशारा करती हैं.

फ़ाइलों से तस्वीर मिली है जिस पर 8 अक्तूबर 2015 की तारीख़ तो है लेकिन वो कहां ली गई है इसका पता नहीं है, इस तस्वीर में डॉ. रुजा, शेख सऊद के पिता शेख फ़ैसल के ठीक बगल में खड़ी हैं.

अल क़ास्सिमी परिवार शारजाह पर शासन करता है, जो दुबई और रास अल खैमाह (आरएके) की सीमा से सटा है.

बीबीसी ने शेख फ़ैसल से उनके परिवार और डॉ. रुजा के रिश्ते के बारे में जानना चाहा लेकिन हमारे सवालों का जवाब उनकी ओर से अब तक नहीं आया है.

राजनयिक आईडी का राज?
इस फ़ाइल में एक राजनयिक आईडी भी मिली है, जिसे रुजा के नाम से आईसीएएफ़ई के विशेष सलाहकार के रुप में जारी किया गया था. ये वो ही संस्था है जिसके वरिष्ठ के रूप में कभी शेख सऊद का नाता था.

यह संस्था संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी मालूम पड़ती है लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता को इसके संयुक्त राष्ट्र से जुड़े होने के कोई रिकॉर्ड नहीं मिले.

हालांकि इसके सह संस्थापक शहरियार रहीमी ने कहा कि आईसीएएफ़ई यूएन से रजिस्टर्ड है लेकिन इसे लेकर कोई सबूत देने में वो नाकाम रहे.

डॉ. रुजा के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें (रुजा को) दिया गया आईसीएएफ़ई का दस्तावेज़ शेख सऊद से आया था.

डॉ. रुजा के बिटकॉइन डील के कुछ समय बाद दोनों के रिश्तों में खटास आ गई. लीक फ़ाइल में मिले एक ख़त के मुताबिक शेख सऊद ने डॉ. रुजा को आईसीएएफ़ई के राजदूत की भूमिका से बर्खास्त कर दिया था ये उनकी (डॉ. रुजा की) संपत्ति के क़ानूनी विवाद में शामिल होने से पहले की बात है.

दोनों के बीच इस मामले का अंत दुबई की कोर्ट ऑफ़ अपील में 28 जून को हुआ.

डॉ. रुजा के पास अब कितनी रकम?
कथित बिटकॉइन डील, डॉ. रुजा के साथ उनके संबंध और आईसीएएफ़ई में उनकी भूमिका के बारे में पूछे जाने पर शेख सऊद के वकील ने सीधे जवाब नहीं दिया लेकिन लिखा कि, "आपके पास जो भी जानकारियां हैं, वो आधारहीन हैं."

बताया जाता है कि कथित बिटकॉइन डील 'कोल्ड स्टोरेज वॉलेट' का उपयोग कर किया गया था जिससे ये पता लगाना मुश्किल हो गया कि वास्तव में हुआ क्या था.

बिटकॉइन लेनदेन का अक्सर पता लगाया जा सकता है क्योंकि वॉलेट के बीच वर्चुअल करेंसी के सभी ट्रांसफर एक सार्वजनिक रूप से देखे जा सकने वाले डेटाबेस पर रिकॉर्ड किए जाते हैं.

हालांकि अदालती दस्तावेज़ों में इसका कोई विवरण नहीं है कि ये बिटकॉइन किस या कितने वॉलेट में जमा किए गए थे.

अगर ये अब भी उनके (डॉ. रुजा) पास हैं तो डॉ. रुजा के लिए इतनी बड़ी मात्रा में बिटकॉइन को ट्रांसफ़र करना मुश्किल हो सकता है.

क्रिप्टो के लेखक डेविड बर्च को लगता है कि बिटकॉइन की बतौर गुमनाम करेंसी साख ग़लत है क्योंकि सरकारी एजेंसियां इन कॉइन के बहाव को ट्रैक करने के लिए बेहतर एल्गोरिद्म का इस्तेमाल कर रही हैं.

वे कहते हैं कि कुछ बिलियन डॉलर से छुटकारा पाना आपकी सोच से कहीं अधिक मुश्किल है.

अगर डॉ. रुजा के पास अब भी 230,000 बिटकॉइन हैं तो वो इस करेंसी की सबसे बड़ी मालिक हैं. नवंबर 2021 में, उनकी हिस्सेदारी 15 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई होगी. लेकिन जब इस लेख को लिखा जा रहा है तब ये लुढ़क कर पांच बिलियन डॉलर पर आ गिरा है. अब भी ये उनके छिपे रहने के लिए कहीं अधिक है. (bbc.com)

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