राष्ट्रीय
बर्लिन, 19 अगस्त जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज से शुक्रवार को हैम्बर्ग में राज्य की संसदीय समिति दूसरी बार पूछताछ करेगी। समिति इस बात की जांच कर रही है कि क्या स्कोल्ज ने ट्रेडिंग स्कीम के जरिए टैक्स अधिकारियों को धोखा दिया। डीपीए न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, "कम-एक्स" नाम के इस घोटाले के तहत यूरोप में ट्रेडर्स ने लाभांश का भुगतान किए जाने के समय तेजी से शेयर स्थानांतरित किए ताकि उनको इस बात के लिए रिफंड मिले जिसका टैक्स उन्होंने चुकाया ही नहीं।
जांच इस बात की हो रही है कि क्या स्कोल्ज या अन्य प्रमुख सोशल डेमोक्रेट्स ने वारबर्ग बैंक को करों में 47 मिलियन यूरो वापस भुगतान करने में मदद करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया।
हैम्बर्ग संसद की एक संसदीय जांच समिति 2016 और 2017 में स्कोल्ज और वारबर्ग बैंक के सह-मालिकों, मैक्स वारबर्ग और क्रिश्चियन ओलेरियस के बीच तीन बैठकों के बारे में जानना चाहती है।
स्कोल्ज ने अपनी पहली पूछताछ के दौरान बैठकों के बारे में स्वीकार किया, लेकिन कहा कि उन्हें अब बातचीत का मुद्दा याद नहीं है।
ओलेरियस की गवाही के अनुसार, पहली बैठकों के बाद स्कोल्ज ने हैम्बर्ग के तत्कालीन राज्य वित्तमंत्री पीटर चंट्शर को पत्र भेज कर सिफारिश की थी, कि वापस किए जाने वाले कैपिटल गेन्स टैक्स के रूप में 47 मिलियन यूरो की वसूली सही नहीं है।
चंट्शर, जो अब हैम्बर्ग के मेयर हैं, ने कर अधिकारियों को "मामलों की स्थिति के बारे में जानकारी के लिए अनुरोध" के साथ पत्र अग्रेषित किया, जिसमें मूल योजनाओं के विपरीत, 47 मिलियन यूरो के दावे को समाप्त करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया था।
सेंटर-लेफ्ट सोशल डेमोक्रेट्स के सदस्य चंट्शर ने भी पत्र को अग्रेषित करने की पुष्टि की है।
हालांकि, उन्होंने प्रभाव के आरोप को "निराधार" बताया। (आईएएनएस)|