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कोलकाता, 25 नवंबर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव एवं पूर्व लोकसभा सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा कि पश्चिम बंगाल में फिर से अपना खोया आधार प्राप्त करने में जुटे मार्क्सवादी अपने ‘मुख्य शत्रु’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर ध्यान केंद्रित करेंगे । हालांकि माकपा का चुनावी मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजप) और तृणमूल कांग्रेस दोनों से होगा।
सलीम ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ हमने आरएसएस की पहचान देश के लिए सबसे बड़े खतरे के तौर पर की है, क्योंकि हमारा मानना है कि हमारा देश जिन दो सिद्धांतों पर खड़ा है, वे धर्मनिरपेक्षता व लोकतंत्र है। उसने (आरएसएस ने) नफरत के माहौल को बढ़ावा दिया है, छद्म विज्ञान और पौराणिक कथाओं के खतरनाक घालमेल को बढ़ावा दिया। हमारी लड़ाई इसी के खिलाफ है।’’
सलीम ने कहा कि जहां तक चुनाव की बात है तो यह स्पष्ट है कि पार्टी ‘‘ भाजपा और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस दोनों को टक्कर देगी। हम केवल नाम का विपक्ष नहीं हैं। हम उन दोनों का विरोध करेंगे।’’
राज्य में 2011 में तृणमूल कांग्रेस की सरकर बनने से पहले तक 34 साल तक माकपा का शासन था। माकपा के मत प्रतिशत में भी लगातार गिरावट आई है । 2011 विधानसभा चुनाव में 30.1 प्रतिशत, 2016 के विधानसभा चुनाव में 19.75 और 2019 के लोकसभा चुनाव में यह घटकर 6.34 प्रतिशत रह गया था। (भाषा)