ताजा खबर

कर्नाटक : हिजाब विवाद जहां से शुरू हुआ, वहां सरकारी कॉलेजों में 50% घटे मुस्लिम छात्र- प्रेस रिव्यू
08-Jan-2023 1:02 PM
कर्नाटक : हिजाब विवाद जहां से शुरू हुआ, वहां सरकारी कॉलेजों में 50% घटे मुस्लिम छात्र- प्रेस रिव्यू

कर्नाटक, 8 जनवरी । शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के कर्नाटक सरकार के आदेश के बाद बड़ी संख्या में मुस्लिम छात्रों ने सरकारी की जगह अब प्राइवेट कॉलेजों का रुख़ कर लिया है. अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने आंकड़ों के हवाले से ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट प्रकाशित की है. आज के प्रेस रिव्यू की शुरुआत इसी ख़बर से.

इसके अनुसार, बीते साल हिजाब विवाद का केंद्र रहे कर्नाटक के उडुपी ज़िले में एक साल के अंदर सरकारी कॉलेजों में दाखिला लेने वाले मुस्लिम छात्रों की संख्या घटकर आधी से भी कम हो गई है.

ये आंकड़े ग्यारहवीं कक्षा (कर्नाटक में इसे प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज पीयूसी भी कहा जाता है) में साल 2021-22 के बीच कुल 1,296 बच्चों ने दाखिला लिया. 2022-23 में भी ये संख्या 1,320 रही. हालांकि, सरकारी कॉलेजों में ग्यारहवीं कक्षा में साल 2021-22 में 388 मुस्लिम छात्रों ने दाखिला लिया था जो 2022-23 के सत्र में घटकर 186 ही रह गए.

रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा सत्र में केवल 91 मुस्लिम लड़कियों ने सरकारी कॉलेजों का रुख किया जबकि 2021-22 वाले सत्र में ये संख्या 178 थी. वहीं सरकारी कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले मुस्लिम लड़कों की संख्या भी 210 से घटकर 95 पर आ गई.

इसके उलट उडुपी ज़िले के निजी या गैर-सरकारी कॉलेजों में दाखिला लेने वाले मुस्लिम छात्रों की संख्या बढ़ी है. 2022-23 में मुस्लिम समुदाय के 927 छात्रों ने पीयूसी में दाखिला लिया, जबकि इससे एक साल पहले ये संख्या 662 थी. इसके साथ ही दाखिला लेने वाले मुस्लिम लड़कों की संख्या भी 334 से बढ़कर 440 और लड़कियों की संख्या 328 से 487 हो गई है.
उडुपी के सलीहथ ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन के प्रशासक असलम हेकदी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, "हमारे पीयू कॉलेज में पहली बार मुस्लिम लड़कियों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है. ये दिखाता है कि कैसे हिजाब मामले ने उनपर निजी और शैक्षिक तौर पर असर डाला है."

एक अन्य निजी संस्थान अलीहसन पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "लड़कों में ये चलन शायद इसलिए बढ़ा क्योंकि उनके माता-पिता बच्चों को हिजाब पर किसी भी तरह के विरोध से दूर रखना चाहते हैं. उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेजों में हिजाब मुद्दे पर हो रही राजनीति और इसको सांप्रदायिक रंग देने की वजह से शायद माता-पिता ने ये तय किया है कि उनके बच्चे इस शैक्षणिक वर्ष में प्राइवेट कॉलेजों में रहकर शिक्षा और अनुशासन पर ध्यान दें."
कर्नाटक सरकार ने क्या कहा?
राज्य के स्कूली शिक्षा और साक्षरता मंत्री बीसी नागेश ने इस ट्रेंड को लेकर किए गए सवाल पर कहा, "जब छात्रों के दाखिले की बात आती है तो हम उनकी समग्र प्रवृत्ति के तौर पर देखते हैं, चाहे उनका धर्म, जाति या पंथ कुछ भी हो. हम किसी विशेष समुदाय या छात्रों के वर्ग के छात्रों के दाखिला लेने वालों का अलग से आंकलन नहीं करते हैं."

"आखिरकार, हम ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दें, भले ही उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो. हमें लगता है कि पिछले सालों की तुलना में सरकारी पीयू कॉलेजों में दाखिला लेने वाले सभी छात्रों की संख्या में काफ़ी वृद्धि हुई है. हालांकि, अगर उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेजों में मुसलमान छात्रों की संख्या में कोई कमी आती है, तो हम इस पर गौर करेंगे."

बीते साल उडुपी के एक सरकारी पीयू कॉलेज की छह छात्राओं ने ये दावा किया था कि उन्हें हिजाब पहनकर क्लास में जाने से रोका गया है. इसके बाद लगभग पूरे राज्य में इस मुद्दे पर विवाद शुरू हो गया था और कई जगह हिंसा भी हुई. बढ़ते विवाद के बीच छात्रों से ग्यारहवीं, बारहवीं कक्षा और डिग्री कॉलेजों में तय यूनिफॉर्म का पालन करने का आदेश जारी किया गया. सरकारी कॉलेजों में हिजाब यूनिफॉर्म का हिस्सा नहीं है. वहीं कई निजी कॉलेजों में हिजाब को यूनिफॉर्म के तौर पर मंज़ूरी दी गई है.

बीते साल कर्नाटक हाई कोर्ट की तीन जजों वाली पीठ ने राज्य सरकार के आदेश को बरकरार रखते हुए ये कहा था कि स्कूल यूनिफॉर्म तय करना मौलिक अधिकारों का हनन नहीं करता है. हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जहां दो जजों वाली पीठ ने खंडित फ़ैसला दिया. याचिका को बड़ी बेंच के पास सुनवाई के लिए रेफ़र किया गया, जो अभी गठित होनी बाकी है. (bbc.com/hindi)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news