अंतरराष्ट्रीय
2014 में आईएस ने सैकड़ों यजीदी लोगों की हत्या की थी. यजीदी लड़कियों और महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाया गया और छोटे लड़कों को युद्ध में लड़ाया गया. यूएन ने भी अपनी जांच में पाया था कि आईएस ने यजीदी समुदाय का नरसंहार किया.
जर्मनी, 2014 में इराक में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों द्वारा की गई यजीदी समुदाय की हत्याओं को "नरसंहार" की मान्यता देने जा रहा है. इससे जुड़ी प्रक्रिया अगले हफ्ते जर्मन संसद के निचले सदन- बुंडसटाग में पूरी की जाएगी. जर्मनी के सत्तारूढ़ गठबंधन के तीन संसदीय समूह और कन्जर्वेटिव सांसद इस संबंध में 19 जनवरी को बुंडसटाग में एक प्रस्ताव को मंजूरी देने पर राजी हो गए हैं.
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, इससे जुड़े ड्राफ्ट में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं द्वारा की गई कानूनी समीक्षाओं के आधार पर बुंडसटाग यजीदी समुदाय के खिलाफ हुए अपराधों को नरसंहार की मान्यता देगा. इस ड्रफ्ट में आईएस लड़ाकों द्वारा की गई "बयां ना की जा सकने वाली क्रूरताओं" और "दमनकारी अन्याय" की निंदा की गई है. साथ ही, यह भी कहा गया कि आईएस ने यजीदी समुदाय को पूरी तरह खत्म करने के इरादे से ये अत्याचार किए. जर्मनी से पहले ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और नीदरलैंड्स भी ऐसा कर चुके हैं.
आईएस के खास निशाने पर थे यजीदी
आईएस जिहादियों ने अगस्त 2014 में 1,200 से ज्यादा यजीदी लोगों की हत्या की थी. यजीदी, कुर्दी भाषा बोलने वाला समूह है. ये उत्तर-पश्चिम इराक में रहते हैं. आईएस उन्हें "शैतान को पूजने वाला" मानता है. इस आतंकी संगठन ने यजीदी अल्पसंख्यकों को खासतौर पर निशाना बनाया. बड़ी संख्या में यजीदी लड़कियों और महिलाओं को जबरन सेक्स गुलाम बनाया गया और छोटे लड़कों को सिपाही बनाकर लड़ाया गया. यूएन के एक विशेष जांच दल ने मई 2021 में बताया था कि उन्होंने स्पष्ट और ठोस सबूत जमा किए हैं, जिनसे साबित होता है कि आईएस ने यजीदी समुदाय का नरसंहार किया.
जर्मनी की सोशल डेमोक्रैटिक (एसपीडी) की डेप्युटी दैर्या टर्क नाखबावर, जर्मन संसद में पेश होने वाले प्रस्ताव के प्रस्तावकों में हैं. उन्होंने कहा, "हमारा यह कदम पीड़ितों की आवाज मजबूत करेगा." नाखबावर ने कहा, "जर्मन संसद चाहती है कि इतनी तकलीफें झेलने के बाद कम-से-कम यजीदी समूह की पहचान मजबूत हो सके."
ग्रीन पार्टी के सांसद माक्स लूकस ने कहा, "माना जाता है कि जर्मनी में करीब डेढ़ लाख यजीदी रहते थे. ये प्रवासी याजिदियों की सबसे ज्यादा संख्या है. ऐसे में जर्मनी की यजीदी समूह के प्रति विशेष जिम्मेदारी है." उन्होंने कहा, "मानसिक आघात, हमेशा असुरक्षा के डर में जीने का डर, यह एहसास कि दुनिया यजीदी लोगों पर बीत रहे मानवीय संकट पर ध्यान नहीं दे रही है- हम अपनी इस पहल से इन सब चीजों पर रोक लगाना चाहते हैं."
कई स्तरों पर हुई है कार्रवाई
जर्मनी, आईएस पर कानूनी कार्रवाई करने वाले चुनिंदा देशों में है. जुलाई 2022 में बुंडसटाग ने यजीदी समुदाय के साथ हुए अपराध को नरसंहार की मान्यता दिए जाने की एक याचिका को मंजूरी दी थी, लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए फाइनल वोटिंग बाकी है. इसके अलावा नवंबर 2021 में जर्मनी की एक अदालत ने इराक के एक आतंकवादी को यजीदी के खिलाफ नरसंहार का दोषी मानकर सजा भी सुनाई थी. यह दुनिया में इस तरह की पहली कार्रवाई थी.
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नादिया मुराद ने इसे आईएस द्वारा किए गए अत्याचारों की पहचान के संघर्ष में जीत बताया था. इसी क्रम में जर्मनी के कोबलांस शहर में एक जर्मन महिला पर मुकदमा शुरू हुआ. उसपर सीरिया में एक यजीदी महिला को गुलाम बनाकर युद्ध अपराधों और नरसंहार में आईएस की मदद का आरोप है.
बुंडसटाग में पेश होने वाले प्रस्ताव और नरसंहार की मान्यता को मानवाधिकार कार्यकर्ता बड़ी सांकेतिक कार्रवाई मान रहे हैं. इस प्रस्ताव में यह मांग भी की गई है कि जर्मनी की न्यायिक व्यवस्था इस मामले से जुड़े संदिग्धों पर आपराधिक मुकदमे चलाए. साथ ही, इराक में हुए अपराधों से जुड़े सबूत जमा करने के लिए आर्थिक सहयोग भी बढ़ाए और प्रभावित यजीदी समूहों को फिर से खड़ा होने में भी मदद करे.
एसएम/ (एएफपी)