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उत्तर प्रदेशः मंत्री से पूछा विकास पर सवाल, ‘पत्रकार’ बीजेपी कार्यकर्ता की शिकायत पर गिरफ़्तार
13-Mar-2023 8:31 PM
उत्तर प्रदेशः मंत्री से पूछा विकास पर सवाल, ‘पत्रकार’ बीजेपी कार्यकर्ता की शिकायत पर गिरफ़्तार

SCREENSHOT FROM VIDEO, स्थानीय पत्रकार संजय राणा ने उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री गुलाब देबी से गांव के विकास को लेकर सवाल पूछा था

-दिलनवाज़ पाशा

उत्तर प्रदेश के संभल में एक मंत्री से एक सभा में गांव के विकास को लेकर सवाल पूछने के बाद 'स्थानीय पत्रकार' को गिरफ़्तार कर लिया गया, उन पर बीजेपी के कार्यकर्ताओं से मारपीट करने का आरोप लगाया गया है.

पत्रकार का सवाल पूछने वाला वीडियो वायरल हो गया है, पहले जान लेते हैं कि वायरल वीडियो में क्या हो रहा है.

इस वीडियो में पत्रकार को ये कहते हुए सुना जा सकता है, "बुद्धनगर में एक भी बारातघर नहीं है, ना ही यहां पर सरकारी शौचालय है, आपने कहा था कि मंदिर से लेकर इस रोड को पक्का कराऊंगी, अभी तक ये रास्ता कच्चा है, बाइक से क्या पैदल चलने वाले लोग परेशान हो जाते हैं. आपने देवी मां के मंदिर की बाउंड्री का वादा भी किया था, आपने अभी तक उस पर भी कार्रवाई नहीं की, आपके दफ़्तर पर गांव के लोग गए, वहां भी सुनवाई नहीं हुई."

पत्रकार अपनी बात रख ही रहा था कि पीछे से मंत्री के साथ मौजूद किसी महिला की आवाज़ आती है, "आप समस्या रख रहे हो या अपना प्रचार कर रहे हो?"

इस पर पत्रकार कहता है, "जब तक जनता की आवाज़ आप तक नहीं पहुंचेगी, आप दावा करते हो कि काम किया है, लेकिन एक गांव में कोई काम ही नहीं हुआ तो हम क्या कहेंगे?"

फिर पत्रकार बुद्धनगर नाम के इस गांव के लोगों से पूछता है, 'आपके गांव में विकास हुआ है'

लोगों का जवाब मिलता है, 'कोई काम नहीं हुआ है.'

मंच पर बैठी मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार में माध्यमिक शिक्षा विभाग की स्वतंत्र प्रभार मंत्री गुलाब देबी कहती हैं, "तेरी निगाहें मैं बहुत देर से पहचान रही थी, जब तू वहां खड़ा था तब भी मैं तेरी निगाहें पहचान रही थी, जो बातें तूने कहीं हैं, ये सारी बातें ठीक हैं, अभी समय नहीं निकला है, गांव कुंदनपुर तू भूल गया, कुंदनपुर भी मेरा, बुद्धनगर भी मेरा है, ये दोनों ही गांव मेरे हैं, मैंने जो भी वादे किए हैं, मैं उन्हें पूरा करूँगी. जो काम तुमने बताए हैं, सभी काम होंगे."

दो मिनट बीस सेकंड का ये वीडियो इसी वार्तालाप के साथ ख़त्म हो जाता है.

लेकिन इस कार्यक्रम के बाद संभल के चंदौसी थाने की पुलिस ने संजय राणा नाम के इस स्थानीय पत्रकार को एक बीजेपी कार्यकर्ता से मारपीट के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया.

बीबीसी से संजय राणा की गिरफ़्तारी की पुष्टि करते हुए चंदौसी के सर्किल अधिकारी दीपक कुमार ने बताया, "एक युवक के ख़िलाफ़ मारपीट की शिकायत मिली थी, जिस पर एफ़आईआर दर्ज करके उसे गिरफ़्तार कर लिया गया."

हालांकि पुलिस संजय राणा को पत्रकार नहीं मान रही है. पुलिस के मुताबिक संजय राणा ज़िले के सूचना विभाग के साथ पंजीकृत नहीं हैं.

शुभम राघव नाम के एक बीजेपी कार्यकर्ता की शिकायत पर संजय राणा के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 323, 504 और 506 के तहत एफ़आईआर दर्ज की गई है.

बीजेपी युवा मोर्चा के ज़िला महामंत्री शुभम राघव बीबीसी से बात करते हुए कहते हैं, "संजय राणा ने मंत्री गुलाब देवी के कार्यक्रम में हंगामा किया था. जब मैंने उसे समझाया तो मेरे साथ अभद्रता की. उसके साथ तीन-चार शराबी और थे, जिन्होंने मेरे साथ मारपीट की. मुझे थप्पड़ मारा गया. मेरी ही शिकायत पर उसके ख़िलाफ़ एफ़आईआर हुई है."

शुभम राघव कहते हैं, "संजय राणा पत्रकार नहीं है, बल्कि ऐसे ही हाथ में माइक लेकर घूमता रहता है और स्थानीय ग्राम प्रधानों और ग्राम विकास सचिवों को विकास ना करने के नाम पर ब्लैकमेल करता रहता है. आप उसे पत्रकार नहीं कह सकते हैं."

एक स्थानीय पत्रकार ने बताया कि संजय राणा एक लोकल यूट्यूब चैनल के लिए काम करते हैं और वे पिछले तीन सालों से रिपोर्टिंग कर रहे हैं.

शुभम राघव के मुताबिक ये वीडियो 11 मार्च का है जब मंत्री गांव में एक चैकडेम का उद्घाटन करने गईं थीं.

शुभम राघव दावा करते हैं, "वायरल वीडियो रिकॉर्ड होने के क़रीब पंद्रह-बीस मिनट बाद ही संजय राणा ने मेरे साथ अभद्रता और मारपीट की. मैंने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं माना. फिर मैंने थाने में मुक़दमा दर्ज करवा दिया."

वहीं मंत्री गुलाब देवी का कहना है कि उनका इस एफ़आईआर से कोई संबंध नहीं है.

गुलाब देवी की बेटी और बीजेपी की प्रवक्ता साक्षी देवी ने कहा, "मंत्री जी से किसी तरह की कोई बात नहीं हुई है, ना ही उन्होंने कोई शिकायत दी है. संबंधित व्यक्ति का किसी और के साथ विवाद हुआ था जिन्होंने शिकायत दी और एफआईआर दर्ज करवाई."

वहीं बीबीसी से बात करते हुए बुद्धपुर के गांव के लोगों ने कहा कि मंत्री के कार्यक्रम के दौरान कोई झगड़ा नहीं हुआ था, गांव के युवा संजय राणा ने उनसे विकास को लेकर सवाल किए थे.

संजय राणा की माँ कश्मीरी देवी कहती हैं, "मेरा बेटा पढ़ाई कर रहा है, आजकल प्रेस में भी लग गया है. मंत्री जी ने कहा था कि उन्होंने गांव के विकास पर 75 लाख रुपए ख़र्च किए हैं. मेरे बेटे ने बस यही पूछ लिया कि कहां ख़र्च किए हैं."

कश्मीरी देवी कहती हैं कि शाम के वक्त पुलिस आकर उनके बेटे को पकड़ कर ले गई थी. उसे गिरफ़्तार करने का कोई कारण नहीं बताया है.

कश्मीरी देवी कहती हैं, "किसी भी तरह का कोई झगड़ा नहीं हुआ है. पुलिस ने बस उसका नाम पूछा और पकड़ कर ले गए."

बुद्धनगर खडवा गांव राजधानी दिल्ली से करीब 240 किलोमीटर और चंदौसी क़स्बे से क़रीब 12 किलोमीटर दूर है.

गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क टूटी हुई है जिसमें जगह-जगह गड्ढे हैं.

गांव की ही महिला बिरजा देवी बीबीसी से बात करते हुए कहती हैं, "गांव से अगर बाहर जाना हो तो कपड़े हाथ से उठाने पड़ते हैं क्योंकि सड़क पूरी तरह टूटी हुई है. गंदा पानी बहता रहता है."

बिरजा देवी कहती हैं, "उस दिन कोई झगड़ा नहीं हुआ था, हमारे गांव के लड़के ने बस मंत्रीजी से पूछ लिया था कि टूटी हुई सड़कें कब बनेंगी. इसी बात पर पकड़ कर ले गए."

संभल ज़िले के स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक संजय राणा को यहां कम ही लोग जानते हैं, इसी वजह से उनकी गिरफ़्तारी पर कोई चर्चा नहीं हुई.

बीबीसी ने इस संबंध में गुलाब देवी का पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी.

वहीं समाजवादी पार्टी ने पत्रकार और मंत्री के बीच की वार्ता का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करते हुए सवाल उठाया है, "ये बीजेपी सरकार में अघोषित इमरजेंसी और तानाशाही नहीं तो और क्या है?"

समाजवादी पार्टी ने अपने ट्वीट में कहा है, "संभल में ग्राउंड रिपोर्टर संजय राणा ने BJP सरकार में मंत्री गुलाब देवी से विकास के मुद्दे पर सवाल पूछे तो मंत्री महोदया ने पत्रकार को जेल में डलवा दिया. ये बीजेपी सरकार में अघोषित इमरजेंसी और तानाशाही नहीं तो और क्या है ? बीजेपी सिर्फ़ चाटुकार पत्रकारिता चाहती है ,सवाल पूछना मना है?"

उत्तर प्रदेश में पहले भी दर्ज होते रहे हैं पत्रकारों पर मुक़दमे
ये पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश में किसी पत्रकार पर मुक़दमा दर्ज किया गया है.

सितंबर 2019 में उत्तर प्रदेश के ही मिर्ज़ापुर में एक पत्रकार पर मिड-डे मील में नमक-रोटी खिलाये जाने पर रिपोर्ट करने के बाद मुक़दमा कर दिया गया था.

प्रशासन ने पत्रकार पवन जायसवाल पर साज़िश के तहत उत्तर सरकार को बदनाम करने का आरोप लगाया था.

फ़रवरी 2021 में पत्रकार इस्मत आरा पर उत्तर प्रदेश के रामपुर में मुक़दमा दर्ज कर दिया गया था. इस्मत आरा ने दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान मारे गए रामपुर के एक सिख किसान के परिवार के दावों पर रिपोर्ट की थी. इस्मत आरा पर फ़र्ज़ी ख़बर फ़ैलाने के आरोप लगाए गए थे. रामपुर पुलिस ने ये रिपोर्ट शेयर करने वाले द वॉयर के एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर की थी.

'मीडिया से बड़ी डुगडुगी और सरकार से बड़ा मदारी शायद कोई नहीं'
वहीं सितंबर 2021 में ग़ाज़ियाबाद के इंदिरापुरम थाने में पत्रकार राणा अय्युब पर कोविड राहत के लिए ऑनलाइन मिले दान के ग़लत इस्तेमाल को लेकर मुक़दमा दर्ज किया गया था.

जून 2021 में ग़ाज़ियाबाद में ही पत्रकार राणा अय्यूब, मोहम्मद ज़ुबैर, लेखिका सबा नक़बी और कई लोगों के ख़िलाफ़ एक मुसलमान बुज़ुर्ग पर हमले की फ़र्ज़ी रिपोर्ट करने के संबंध में मुक़दमा दर्ज किया गया था.

जून 2020 में पत्रकार सुप्रिया शर्मा पर भी उत्तर प्रदेश के वाराणासी में मुक़दमा दर्ज हुआ था. सुप्रिया शर्मा ने प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में कोविड महामारी के हालात पर रिपोर्ट की थी. जिस महिला का बयान उन्होंने अपनी रिपोर्ट में शामिल किया था उसने ही सुप्रिया शर्मा पर बयान को ग़लत तरीक़े से पेश करने के आरोप लगाए थे.

केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन को हाथरस में हुए कथित गैंगरेप की रिपोर्ट करने जाने के दौरान गिरफ़्तार कर लिया गया था. कप्पन पर शांति भंग करने का प्रयास करने के आरोप लगाए गए थे. बाद में उन पर यूएपीए भी लगा दिया गया था.

फ़्री स्पीच कलेक्टिव की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2010 से 2020 के बीच उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर 29 मुक़दमे दर्ज हुए हैं. इनमें से 27 2017 से 2020 के बीच दर्ज हुए. (bbc.com/hindi)

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