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राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने आंबेडकर जयंती पर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी
14-Apr-2023 1:56 PM
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने आंबेडकर जयंती पर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी

नयी दिल्ली, 14 अप्रैल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी सहित अनेक नेताओं, सांसदों आदि ने संसद भवन परिसर में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संदेश में कहा, ‘‘ज्ञान और विलक्षणता के प्रतीक डॉ. आंबेडकर ने विपरीत परिस्थितियों में भी, एक शिक्षाविद्, विधि विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक के रूप में महान योगदान दिया और राष्ट्र के कल्याण के लिए ज्ञान का प्रसार किया।’’

उन्होंने कहा कि उनका (बाबा साहेब) मूल मंत्र- ‘वंचित समुदाय को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए शिक्षित हों, संगठित बनो और संघर्ष करो’- हमेशा ही प्रासंगिक बना रहेगा।

वहीं, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ट्वीट किया, ‘‘ डा. बी आर आंबेडकर को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। वे एक दिग्गज बुद्धिजीवी, विधिवेत्ता, सामाज सुधारक और सच्चे राष्ट्रवादी थे।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि बाबा साहेब कानून के शासन के पक्षधर, न्याय की अनथक वकालत करने वाले और सभी के लिए समान अधिकारों के लिए काम करने वाले व्यक्ति थे।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि डॉ भीमराव आंबेडकर सामाजिक बदलाव के प्रणेता थे और उन्होंने समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व के मूल्यों को बढ़ावा दिया ।

बिरला ने कहा, ‘‘ बाबा साहेब ने संपूर्ण विश्व को प्रेरणा देने वाले संविधान की रचना की। भारत तथा भारतीयों के प्रति उनका योगदान वंदनीय है।’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘समाज के वंचित और शोषित वर्ग के सशक्तीकरण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले पूज्य बाबा साहेब को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। जय भीम!" संसद परिसर में आयोजित एक समारोह में, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित अनेक नेताओं, सांसदों आदि ने बाबा साहेब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।

गौरतलब है कि आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। एक साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हाशिए पर पड़े लोगों की मुखर आवाज बने। उन्हें कई सामाजिक सुधारों की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है। (भाषा)

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