राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 4 मई । हाल ही में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के इस्तीफ़े के एलान पर शिवसेना के सामना में संपादकीय छपा है.
मंगलवार को इस्तीफ़े के एलान के फ़ौरन बाद एनसीपी नेता और कार्यकर्ताओं ने शरद पवार से भावुक अपील करते हुए अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए कहा था.
तब शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने कहा था कि शरद पवार अपने फ़ैसले पर दोबारा विचार करने के लिए तैयार हो गए हैं.
हालांकि शरद पवार की घोषणा के फ़ौरन बाद अजित पवार ने कहा था कि शरद पवार एक मई को ही इस्तीफ़ा देने वाले थे, लेकिन महा विकास अघाड़ी की रैली के चलते उन्होंने अपना फ़ैसला टाल दिया था.
अजित पवार ने कहा था कि अगला अध्यक्ष शरद पवार के निर्देश में रहते हुए काम करेगा, लेकिन कुछ ही घंटों के बाद अजित पवार के सुर बदल गए.
अब अजित पवार की भूमिका पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में संपादकीय छपा है. इस संपादकीय में अजित पवार पर सवाल उठाए गए हैं.
सामना में क्या कुछ लिखा?
''अजित पवार और उनका गुट अलग भूमिका अपनाने की तैयारी में हैं, क्या उसे रोकने के लिए पवार ने यह क़दम उठाया है?
शरद पवार के इस्तीफ़ा देते ही उनको मनाने की कोशिश शुरू हो गई, यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है. पवार इस्तीफ़ा वापस लें, ऐसी मांग नेता कर रहे हैं, लेकिन अजित पवार ने अलग भूमिका अपनाई.
तब अजित ने कहा था- 'पवार साहब ने इस्तीफ़ा दिया. वे वापस नहीं लेंगे. उनकी सहमति से दूसरा अध्यक्ष चुनेंगे.' यह दूसरा अध्यक्ष कौन?
अजित पवार की राजनीति का अंतिम उद्देश्य महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनना है.
शरद पवार ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देकर सभी की पोल खोल दी.
आज जो पैर पर गिरे, वही कल पैर खींचनेवाले होंगे तो उनका मुखौटा खींचकर निकाल दिया.
भले ही ये राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी मसला हो, फिर भी शरद पवार इस घटनाक्रम के नायक हैं. उनके इस्तीफ़े का फ़ैसला आने तक महाराष्ट्र में हलचलें जारी ही रहेंगी.
पवार राजनीति के भीष्म हैं, लेकिन भीष्म की तरह हम शैय्या पर पड़े नहीं, बल्कि हम सूत्रधार हैं, यह उन्होंने दिखा दिया है.'' (bbc.com)