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भारत: 2027 तक डीजल गाड़ियों पर बैन की सिफारिश
09-May-2023 12:33 PM
भारत: 2027 तक डीजल गाड़ियों पर बैन की सिफारिश

भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय की सलाहकार समिति ने केंद्र को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि भारत को 2027 तक 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में डीजल से चलने वाली गाड़ियों पर बैन लगा देना चाहिए.

      डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-

सलाहकार समिति ने सिफारिश की है कि उत्सर्जन में कटौती और प्रदूषित शहरों में इलेक्ट्रिक और गैस-ईंधन वाले वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए. भारत, ग्रीन हाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जकों में से एक है. इन कदमों से वह साल 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को नेट जीरो तक लाने का लक्ष्य प्राप्त करना चाहता है. इसी के तहत देश नवीकरणीय ऊर्जा से अपनी 40 फीसदी बिजली का उत्पादन करना चाहता है. दुनिया में चीन स्वच्छ ऊर्जा में सबसे ज्यादा निवेश करने वाला देश है. भारत भी 2030 तक 40 फीसदी ऊर्जा जीवाश्म ईंधन के बिना पैदा करना चाहता है.

2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य
समिति ने पेट्रोलियम मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट की गई एक रिपोर्ट में कहा, "2030 तक, ऐसी सिटी बसें नहीं जोड़ी जानी चाहिए जो इलेक्ट्रिक नहीं हैं...सिटी ट्रांसपोर्ट के लिए डीजल बसें 2024 से नहीं जोड़ी जानी चाहिए."

समिति का कहना है कि लंबी दूरी की बसों को लंबी अवधि में बिजली से संचालित करना होगा. समिति ने कहा कि ऐसे मोटरसाइकिल, स्कूटर और तिपहिया वाहनों को हटा देना चाहिए जो ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं.

साथ ही समिति का मानना है कि साल 2024 से सिर्फ बिजली से चलने वाले सिटी डिलीवरी वाहनों के नए रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जानी चाहिए. साथ ही कार्गो की आवाजाही के लिए रेलवे और गैस से चलने वाले ट्रकों का अधिक इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है.

बिजली और गैस से चलने वाले वाहनों पर जोर
यह स्पष्ट नहीं है कि पेट्रोलियम मंत्रालय पूर्व पेट्रोलियम सचिव तरुण कपूर की अध्यक्षता वाली एनर्जी ट्रांजिशन एडवाइजरी सलाहकार समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेगा या नहीं.

देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को 31 मार्च से आगे के लिए फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक एंड हाइब्रिड व्हीकल्स स्कीम (फेम) के तहत दिए गए प्रोत्साहनों के "लक्षित विस्तार" पर विचार करना चाहिए.

भारत में डीजल की खपत का 80 फीसदी हिस्सा ट्रांसपोर्ट सेक्टर से आता है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि देश को अंडरग्राउंड गैस स्टोरेज पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि दो महीने की मांग पूरी की जा सके. (dw.com)

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