अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो ये तय करने के लिए एक ऐतिहासिक केस की सुनवाई करेगा कि क्या डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति पद की होड़ में शामिल हो सकते हैं या नहीं.
इस केस की सुनवाई फरवरी में होगी और इसका फ़ैसला पूरे देश में लागू होगा.
सुप्रीम कोर्ट के जज कोलोराडो राज्य के एक फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुनवाई करने को तैयार हो गए हैं. कोलोराडो ने अपने फ़ैसले में ट्रंप को प्राइमरी चुनाव लड़ने से रोकने के लिए 2024 के बैलेट से हटा दिया था.
डोनाल्ड ट्रंप ने मेन राज्य के किए ऐसे ही एक फ़ैसले को भी चुनौती दी है.
राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन के हाथों हुई हार के बाद ट्रंप समर्थकों ने आज से ठीक तीन साल पहले यानी 6 जनवरी, 2021 को कैपिटल हिल में दंगे किए थे.
इस विद्रोह में ट्रंप के शामिल होने का आरोप लगाते हुए कई राज्यों में मामले दर्ज किए गए और मांग की गई कि ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव के लिए अयोग्य ठहराया जाए.
अब सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना है कि क्या गृहयुद्ध के समय (1861-65) हुआ संवैधानिक संशोधन ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनने से रोकता है या नहीं.
अमेरिकी संविधान का 14वां संशोधन 'विद्रोह या विद्रोह में शामिल' किसी भी व्यक्ति को फेडरल ऑफिस का पद संभालने से प्रतिबंधित करता है.
हालांकि ट्रंप के वकीलों का तर्क है कि यह संशोधन राष्ट्रपति पर लागू नहीं होता.
वैसे ये पहली बार होगा जब अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि इस प्रावधान की व्याख्या कैसे की जाए.
ट्रंप के वकीलों का तर्क है, "कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला असंवैधानिक तौर पर कोलोराडो के लाखों मतदाताओं को मत डालने के अधिकार से वंचित कर देगा. और संभवतः इसे देशभर में लाखों मतदाताओं को मत डालने के अधिकार से रोकने के लिए एक प्रारूप के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा." (bbc.com/hindi)