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औद्योगिक श्रमिकों को प्रदूषण से बचाने की कार्ययोजना हाईकोर्ट में पेश नहीं कर पाई सरकार
10-May-2024 12:59 PM
औद्योगिक श्रमिकों को प्रदूषण से बचाने की कार्ययोजना हाईकोर्ट में पेश नहीं कर पाई सरकार

अब वेकेशन के बाद सुनवाई होगी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 10 मई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में औद्योगिक श्रमिकों की प्रदूषण की वजह से बीमारी व मौत को लेकर दायर जनहित याचिका पर न्यायमित्रों ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। राज्य सरकार को भी हाईकोर्ट ने कार्ययोजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, जिसके लिए उसने समय मांग लिया। अब ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अगली सुनवाई होगी।

उत्कल सेवा समिति, लक्ष्मी चौहान, गोविंद अग्रवाल, अमरनाथ अग्रवाल और अन्य की ओर से हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर कर कहा गया है कि प्रदेशभर में संचालित उद्योगों में प्रदूषण के कारण श्रमिकों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सीमेंट और लोहे के संयंत्रों से उत्पन्न होने वाली डस्ट से श्रमिकों को श्वास और फेफड़े से संबंधित रोग हो रहे हैं और उनकी मौतें भी हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने औद्योगिक संयंत्रों के श्रमिकों को प्रदूषण से बचाने के लिए दिशानिर्देश दिए हैं, जिनका पालन नहीं हो रहा है। हाईकोर्ट ने मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है और सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही है। शासन की ओर से जानकारी दी गई कि प्रदेश के 60 स्पंज आयरन और सीमेंट प्लांट ऐसे हैं, जिनमें प्रदूषण की शिकायत है। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह प्रदूषण से सुरक्षित रखने के लिए उपयुक्त कार्य योजना बनाकर प्रस्तुत करे। हाईकोर्ट ने इसके लिए समय मांग लिया है।

हाईकोर्ट ने संयंत्रों की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए 11 अधिवक्ताओं को न्याय मित्र नियुक्त किया था। इन्होंने प्रदेश के कई संयंत्रों का दौरा कर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर दी। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन संयंत्रों में काम करने वाले श्रमिकों की हालत खराब है, स्थिति में तत्काल सुधार लाने की आवश्यकता है।

हाईकोर्ट ने शासन को ग्रीष्मावकाश के बाद होने वाली सुनवाई में कार्ययोजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

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