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‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : बलात्कार को राजनीतिक हथियार बनाने वालों पर कड़ी कार्रवाई जरूरी...
10-May-2024 6:12 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय :  बलात्कार को राजनीतिक हथियार बनाने वालों पर कड़ी कार्रवाई जरूरी...

फोटो : सोशल मीडिया

इंसानों के बीच किसी भी तरह के मुमकिन जुर्म में से बलात्कार एक सबसे भयानक जुर्म होता है। देश में जगह-जगह बलात्कार को लेकर जिस तरह की राजनीति चल रही है, वह भयानक है। अभी कुछ महीने पहले पश्चिम बंगाल के संदेशखाली नाम की एक जगह से तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर स्थानीय महिलाओं ने बलात्कार के आरोप लगाए थे। उस मामले को भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर उठाया था, और लोकसभा चुनाव प्रचार के चलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ममता बैनर्जी सरकार और तृणमूल पार्टी पर खूब हमले किए थे, और उन्होंने भाषणों में कहा था कि संदेशखाली से उठा तूफान पूरे बंगाल में तृणमूल सरकार का अंत कर देगा। उन्होंने कहा था कि संदेशखाली की महिलाओं की नाराजगी वहीं तक सीमित नहीं रहेगी। उस वक्त जिस तरह से संदेशखाली की तथाकथित हिंसा का प्रचार हुआ था, ऐसा लग रहा था कि वहां के तृणमूल नेता एक किस्म का जंगल राज चला रहा थे। अब एक के बाद एक, बलात्कार की शिकायत करने वाली कम से कम दो ऐसी महिलाओं ने यह खुलासा किया है कि उनके साथ कोई बलात्कार नहीं हुआ था, और भाजपा नेताओं ने उनसे कोरे कागजों पर दस्तखत कराकर पुलिस में रिपोर्ट कर दी गई थी। उन्होंने बाद में मजिस्ट्रेट के सामने भी अपना बयान दर्ज कराया है। इसमें से एक महिला ने कहा कि अभी जब उन्होंने यह शिकायत वापिस ली है, तो उन्हें मारने की धमकियां मिल रही हैं। एक दूसरी महिला ने रिपोर्ट वापिस लेते हुए कहा है कि उसने भाजपा की स्थानीय महिला नेता को मनरेगा की बकाया रकम न मिलने की शिकायत की थी, तो उससे कोरे कागज पर दस्तखत करवा लिए गए थे, और फिर पुलिस में रेप की शिकायत कर दी गई थी। एक महिला का यह भी कहना है कि उसके नाम पर एक दूसरी महिला को ले जाकर राष्ट्रपति से मिलवा दिया गया था। अब बंगाल से दूर बैठे हुए हमारे लिए यह अंदाज लगाना मुश्किल है कि बलात्कार की शिकायत सही थी, या उसका यह खंडन सही है। लेकिन अभी वीडियो-कैमरों के सामने महिलाएं यह कहते दिख रही हैं कि किस तरह उनके नाम से बलात्कार की झूठी रिपोर्ट करवाई गई थी। 

दूसरी तरफ कर्नाटक में जहां देवेगौड़ा कुनबे के सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर सैकड़ों महिलाओं से जबरिया सेक्स करने, और उसके वीडियो भी बनाने के आरोप लगे हैं, और कई महिलाएं कर्नाटक पुलिस में रिपोर्ट लिखा चुकी हैं, और इसी मामले में इन्हीं हरकतों के लिए इसके बाप विधायक एच.डी.रेवन्ना को गिरफ्तार भी किया गया है, और प्रज्वल शायद देश के बाहर फरार हो गया है। अब राष्ट्रीय महिला आयोग ने कर्नाटक पुलिस में दर्ज मामलों के ठीक खिलाफ एक बयान जारी किया है, और कहा है कि उसके सामने कर्नाटक की कोई भी महिला प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने नहीं आई है, और कुल जमा एक महिला यह रिपोर्ट दर्ज कराने आई है कि उसे प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ फर्जी शिकायत के लिए मजबूर किया गया था। इस मामले में एक तरफ तो कर्नाटक में सार्वजनिक रूप से 2976 सेक्स-वीडियो मौजूद हैं, और बाप-बेटे के खिलाफ शिकायत करने वाली महिलाएं भी। साथ-साथ यह भी है कि महिलाओं से जबरिया सेक्स करके उसके वीडियो बनाने के आरोपी जेडीएस सांसद प्रज्वल रेवन्ना देश छोडक़र भाग भी गया है। अब केन्द्र के भाजपा अगुवाई वाले गठबंधन एनडीए की कर्नाटक की भागीदार जेडीएस के उम्मीदवार के साथ अगर यह मामला चल रहा है, तो केन्द्र सरकार के मनोनीत किए गए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की महिला अध्यक्ष एक किस्म का यह रियायती बयान दे रही है जो कि सैकड़ों बलात्कारों के आरोप से घिरे हुए भाजपा के भागीदार उम्मीदवार को बचाने वाला दिख रहा है। ऐसा महिला आयोग भी किस काम का जो बलात्कार के ऐसे भयानक मामले में बलात्कारी का हिमायती बने रहने के लिए ओवरटाईम कर रहा है? दुनिया के इतिहास में कर्नाटक सेक्सकांड जैसा मामला पहले कभी नहीं आया था जिसमें एक निर्वाचित नेता सैकड़ों महिलाओं के साथ जबरिया सेक्स के हजारों वीडियो में अच्छी तरह दर्ज हो, और उसके बाद भी राष्ट्रीय महिला आयोग उसे बचाने में जुट गया हो। 

हमने अभी-अभी बरेली की एक अदालत का एक फैसला अपने यूट्यूब चैनल, इंडिया-आजकल, पर सामने रखा था कि एक नाबालिग लडक़ी ने एक बालिग लडक़े पर बलात्कार का आरोप लगाया था, और वह नौजवान चार बरस से अधिक, 1653 दिनों से जेल में था। अब बालिग हो चुकी इस शादीशुदा लडक़ी ने अदालत में खुद माना है कि उसने झूठा बयान दिया था, तो जिला अदालत के जज ने उसे 1653 दिन कैद काटने का फैसला दिया है, और इतने ही दिन की सरकारी रेट से मजदूरी उस नौजवान को देने का जुर्माना भी सुनाया है। लोकतंत्र में लोग शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं, और बाद में उसे वापिस भी ले सकते हैं, या अपना बयान भी बदल सकते हैं। लेकिन यह भी समझने की जरूरत है कि ऐसे गंभीर जुर्म का आरोप झूठा लगने पर किसी की जिंदगी किस हद तक खराब हो सकती है, और ऐसे झूठे आरोप पर क्या सजा होनी चाहिए? हम बरेली के जज की सुनाई सजा से कई वजहों से असहमत हैं, लेकिन अगर बलात्कार की झूठी शिकायत लडक़ी या महिला खुद दर्ज करा रहे हैं, या फिर कोई और उनसे धोखे में, या दबाव डालकर ऐसी रिपोर्ट लिखवा रहे हैं, तो इन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि आगे किसी और को ऐसी साजिश का हौसला न हो सके। राजनीतिक दल अगर बलात्कार की शिकायत को एक औजार या हथियार की तरह इस्तेमाल करके राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने का काम करते हैं, तो वह सिलसिला खत्म होना चाहिए, कानून को कड़ाई बरतनी चाहिए। बरेली के जज ने बेकसूर नौजवान की कैद जितनी लंबी ही सजा उस लडक़ी को सुनाई है जो कि शिकायत करने के दिन नाबालिग थी, मां के दबाव में उसने रिपोर्ट लिखाई थी। लेकिन जो बालिग महिलाएं किसी साजिश के तहत ऐसी रिपोर्ट लिखाती हैं, या राजनीतिक या दूसरे किस्म की ताकतें किसी साजिश में लड़कियों और महिलाओं को शतरंज की बिसात के प्यादों की तरह इस्तेमाल करती हैं, तो सभी लोगों को कड़ी सजा होनी चाहिए। बलात्कार को औजार या हथियार की तरह इस्तेमाल करने से जो सचमुच ही बलात्कार की शिकार होंगी, उनकी जायज शिकायत की विश्वसनीयता भी घट जाएगी। इसलिए आम लोगों, और बलात्कार की शिकार लड़कियों और महिलाओं को इंसाफ मिलने के लिए भी यह जरूरी है कि ऐसे आरोपों वाली झूठी शिकायतों की तुरंत जांच करके साजिश का भांडाफोड़ करना चाहिए।  

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

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