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नयी दिल्ली, 10 मई। मतदान प्रतिशत के आंकड़ों पर विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं के बीच, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं ने शुक्रवार को निर्वाचन आयोग के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की।
यह बैठक निर्वाचन आयोग द्वारा पहले दो चरणों में जारी किए गए मतदान आंकड़ों के साथ-साथ चल रहे लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा नेताओं द्वारा आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन पर हुई।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने निर्वाचन आयोग (ईसी) द्वारा जारी मतदान आंकड़ों में कथित “विसंगतियों” के मुद्दे पर मंगलवार को विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं को पत्र लिखा था। इसके बाद विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे पर निर्वाचन आयोग से संपर्क करने का फैसला किया।
निर्वाचन आयोग ने हालांकि शुक्रवार को खरगे द्वारा साथी ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ नेताओं को लिखे पत्र का जवाब दिया और उनके आरोपों को खारिज कर दिया कि उसने लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों के लिए अंतिम मतदाता संख्या जारी करने में देरी की थी।
कड़े शब्दों में लिखे पत्र में निर्वाचन आयोग ने कहा कि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के अध्यक्ष के बयान चुनावी कदमों और प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता पर हमला कर रहे हैं और मतदाताओं की भागीदारी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा उठाई गई चिंताओं का बचाव करते हुए जवाब दिया।
निर्वाचन आयोग के साथ बैठक से ठीक पहले रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा ‘इंडिया’ के घटक दलों को लिखे अपने पत्र में उठाए गए मुद्दों पर निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की प्रतिक्रिया वर्णन से परे है। निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक निकाय है जिसे एक निष्पक्ष निकाय होने की जिम्मेदारी सौंपी गई है जो सभी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करता है।”
उन्होंने कहा, “पत्र की विषयवस्तु और मंशा दोनों उस संस्थान की प्रतिष्ठा पर एक स्थायी धब्बा होगी जिससे सुकुमार सेन, टीएन शेषन, जेएम लिंगदोह और अन्य दिग्गज जुड़े रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने “पूरी तरह से वैध मुद्दे” उठाए थे, जिन पर व्यापक चिंताएं और टिप्पणियां थीं। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों को समाधान करने के लिए निर्वाचन आयोग का दृष्टिकोण “बेहद खेदजनक” है। (भाषा)