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नुसरत फ़तह अली ख़ान की 34 साल पहले रिकॉर्ड की गई चार क़व्वालियाँ अचानक मिलीं
01-Jul-2024 8:18 PM
नुसरत फ़तह अली ख़ान की 34 साल पहले रिकॉर्ड की गई चार क़व्वालियाँ अचानक मिलीं

सोशल मीडिया

-इमाद ख़ालिक़

पाकिस्तान और भारत समेत पूरी दुनिया में लीजेंड समझे जाने वाले गायक और क़व्वाल नुसरत फ़तह अली ख़ान की 90 के दशक की एक अल्बम उनकी मौत के 27 साल बाद इस साल रिलीज़ की जा रही है.

यह अल्बम लंदन के एक स्टूडियो के किसी स्टोर रूम में 34 साल पहले रखी गई थी, जिसे रियल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने ‘चेन ऑफ़ लाइट’ का नाम दिया है. कंपनी के अनुसार, इसमें चार क़व्वालियाँ हैं, जिनमें एक आज तक कभी बाक़ायदा तौर पर रिलीज़ नहीं हुई थी.

इस अल्बम के दोबारा मिलने की कहानी बहुत दिलचस्प है और अगर सन 2021 में रियल वर्ल्ड स्टूडियोज़ को अपनी पुरानी रिकॉर्डिंग्स को किसी दूसरी जगह ले जाने की ज़रूरत ना आई होती तो शायद यह अल्बम अभी कई साल तक प्रशंसकों तक नहीं पहुंच पाती.

लेकिन अब इस ख़बर के बाद दुनिया भर में नुसरत फ़तह अली ख़ान के चाहने वाले इस अल्बम का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं.

इस बात पर यह शे’र याद आता है:

रात यूं दिल में तेरी खोई हुई याद आई

जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाए

नुसरत की आवाज़ का जादू ऐसा है कि उनके प्रशंसकों ने अभी से 20 सितंबर की तारीख़ अपने पास नोट कर ली है यानी वह तारीख़ जब यह रिकॉर्डिंग्स रिलीज़ की जाएंगी.

नुसरत फ़तह अली ख़ान सन 1997 में केवल 48 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए थे. शायद यह रिकॉर्डिंग्स उन पीढ़ियों के लिए भी नुसरत की गायकी से परिचित होने का ज़रिया बनेंगी जिन्होंने इस सदी में होश संभाला है.

लेकिन 34 साल पहले रिकॉर्ड की गया गाना अब इतने सालों बाद सामने कैसे आया? इस बारे में हमने रियल वर्ल्ड स्टूडियोज़ से ईमेल के ज़रिए बात की है.

“जब हमें यह टेप मिली तो हमें बहुत ख़ुशी हुई”

वैसे तो नुसरत फ़तह अली ख़ान की आवाज़ में गाई गई ग़ज़ल ‘आफ़रीन’ के मुताबिक़ हुस्न-ए-जानां की तारीफ़ मुमकिन नहीं, लेकिन फिर भी नुसरत के प्रशंसक और गायकी में उनका साथ निभाने वाले अमेरिकी गायक जेफ़ बकली ने उनकी प्रशंसा इन शब्दों में की थी:

“उनमें बुद्ध भी हैं, भूत भी और एक पागल फ़रिश्ता भी… उनकी आवाज़ मखमली आग जैसी है, जिसका कोई जोड़ नहीं.”

यह रिकॉर्डिंग्स एक विदेशी लेबल की ओर से रिलीज़ करने के ऐलान के बाद से एक सवाल अक्सर लोगों ने पूछा कि नुसरत फ़तह अली ख़ान के विदेशी प्रशंसक कब और कैसे बने?

रियल वर्ल्ड रेकॉर्ड्स की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ के अनुसार, पीटर गैब्रियल और रियल वर्ल्ड रेकॉर्ड्स से नुसरत फ़तह अली ख़ान का रिश्ता सन 1985 के 'वोमैड' (WOMAD) फ़ेस्टिवल में उनकी परफ़ॉर्मेंस के बाद गहरा हुआ.

यह पहला मौक़ा था जब नुसरत ने पूरी तरह पश्चिम प्रशंसकों के सामने परफ़ॉर्म किया था.

वह अपने साथ नौ लोगों वाली क़व्वाल पार्टी भी लाए थे और यह परफ़ॉर्मेंस एसेक्स में छोटे से इलाक़े मेरीसा आइलैंड पर हुई थी. फ़ेस्टिवल में आने वाले लोगों ने देर रात तक चलने वाला यह शो देखा-सुना जो ऐतिहासिक था.

इस ऐतिहासिक फ़ेस्टिवल के तुरंत बाद उन्हें इस लेबल के लिए साइन कर लिया गया और यहाँ से उनकी अंतरराष्ट्रीय साख में इज़ाफ़ा होने लगा. उन्होंने गैब्रियल के साथ 1989 में उनकी अल्बम ‘पैशन’ में भी गाया जो फ़िल्म ‘द लास्ट टेंप्टेशन ऑफ़ क्राइस्ट’ में फ़ीचर हुई.

पीटर गैब्रियल कहते हैं, “मैंने दुनिया भर के कई संगीतकारों के साथ काम किया है लेकिन शायद उनमें सबसे महान गायक मेरे समय में नुसरत फ़तह अली ख़ान थे. जो वह अपनी आवाज़ से कर सकते थे और आपको महसूस करवा सकते थे वह असामान्य एहसास था."

उनका कहना है, "हमें इस बात पर गर्व है कि हम उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिचित करवाने में भूमिका अदा कर पाए. जब हमें यह टेप मिली तो हमें बहुत ख़ुशी हुई. इस अल्बम में वह अपनी हुनर की बुलंदियों पर नज़र आते हैं.”

नुसरत के लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय मैनेजर रहने वाले राशिद अहमद दीन कहते हैं, “सन 1990 नुसरत के करियर का अहम मोड़ था. उस दौरान वह पश्चिमी देशों में अपने क़दम जमा रहे थे. उनके लिए सब कुछ जैसे ख़ुद-ब-ख़ुद हो रहा था. वह हमेशा से चाहते थे कि वह प्रयोग करें और ख़ुद को एक ही तरह के संगीत तक सीमित ना करें और रिकॉर्डिंग्स में यह बहुत साफ़ है.”

इलियास हुसैन नुसरत की जवानी से उनके शागिर्द थे और उनकी क़व्वाल पार्टी में बतौर प्रॉम्प्ट सेवा देते आए हैं.

उन्होंने बीबीसी से सितंबर सन 2020 में बात करते हुए उनके विदेशी दौरों और पश्चिमी प्रशंसकों के बारे में बताया था.

इलियास हुसैन के अनुसार, “यूरोप के दौरे पर जब उन्होंने ‘अल्लाह हू अल्लाह हू’ गाया तो गोरों को समझ में नहीं आता था मगर वह दीवाने होकर झूमते रहते थे उन्हें फ़्रांस में लोगों ने मिस्टर ‘अल्लाह हू’ का ख़िताब दिया.”

इलियास हुसैन के अनुसार, वह यूरोप में कहीं जाते तो लोग नुसरत फ़तह अली ख़ान को ‘मिस्टर अल्लाह हू’ कह कर पुकारते.

जापान में जब फ़ोकोहाको में उन्होंने म्यूज़िक के मेले में परफ़ॉर्म किया तो जापानी जनता ने उनके सुर और गायकी पर उन्हें ‘सिंगिंग बुद्धा’ कहा.

इलियास हुसैन ने बताया कि जब भी जापान किसी शो के लिए जाते तो हॉल में उनके अंदर जाते ही सभी लोग अपनी सीटों से उठ जाते और शो शुरू होने से पहले उनके सम्मान में कम से कम एक मिनट का मौन धारण करते.

इलियास हुसैन के अनुसार यूरोप में उनके बहुत से शागिर्द थे.

खोई हुई अल्बम कहां से मिली?

रियल वर्ल्ड रेकॉर्ड्स से जब हमने यही सवाल पूछा कि आख़िर यह रिकॉर्डिंग्स इतने समय बाद मिलीं कैसे तो उन्होंने ईमेल से हमें इसके बारे में पूरी जानकारी दी.

“सन 90 के दशक की शुरुआत में नुसरत फ़तह अली ख़ान रियल वर्ल्ड स्टूडियोज़ में कई बार रिकॉर्डिंग कर चुके हैं जिनमें पारंपरिक क़व्वाली और माइकल ब्रूक और पीटर गैब्रियल के साथ सेशन भी शामिल हैं.”

“उनमें से एक लाइव सेशन की रिकॉर्डिंग रिलीज़ नहीं की गई थी और उसे रियल वर्ल्ड टेप आर्काइव में सुरक्षित कर दिया गया था जहां यह कई सालों तक ऐसे ही पड़ी रही. हाल के वर्षों में हम अपनी टेप कलेक्शन को दूसरी जगह ले जाने की कोशिश कर रहे थे और इस दौरान हमें एक ऐसा टेप बॉक्स मिला जिस पर यह लिखा था कि यह नुसरत फ़तह अली ख़ान की रेकॉर्डिंग्स हैं. लेकिन उनमें मौजूद गीत इससे पहले रिलीज़ नहीं हुए थे और यह देखकर हम बहुत ख़ुश हुए.”

वह बताते हैं, "पुरानी एनालॉग टेप का इस्तेमाल बहुत सतर्कता से करना था. जब उसे एक बार डिजिटल फ़ॉर्मेट में ला दिया गया और रियल वर्ल्ड के स्टूडियोज़ में उसका एक मिक्स बनाया गया तो इसकी पुष्टि हो सकी कि यह सब पहले कभी नहीं सुनी गई और ना ही उन्हें पहले रिलीज़ किया गया.”

“हमें यह अल्बम ढूंढ़ कर बहुत ख़ुशी हुई लेकिन अब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो यह बहुत हैरान करने वाली बात नहीं लगती है कि यह टेप हमारे पास थी. सन 90 के दशक में हम नुसरत की अल्बम रिलीज़ करने के सिलसिले में बहुत सतर्क रहते थे क्योंकि हमारे पास उनके संगीत को प्रमोट करने के लिए वक़्त भी था और जगह भी.”

उन्होंने कहा कि उस समय हम केवल सीडी और एलपी के ज़रिए उनकी रिकॉर्डिंग्स रिलीज़ कर सकते थे क्योंकि उस समय कोई डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म मौजूद नहीं था.

“इसलिए हम अपना रिलीज़ शेड्यूल बहुत अधिक व्यस्त भी नहीं करना चाहते थे. हम नहीं चाहते थे कि एक ही वक़्त में सारी अल्बम रिलीज़ कर दें. इसलिए कुछ गानों को बाद में रिलीज़ करने के लिए एक तरफ़ रख देना कुछ नया नहीं था.”

“लेकिन उन टेप्स को हम समय गुज़रने के साथ भूल चुके थे. अब कई सालों के बाद हम उन्हें दोबारा ढूंढ पाए हैं.”

रिकॉर्डिंग्स रिलीज़ करने में इतना वक़्त क्यों लगा?

कंपनी को यह रेकॉर्डिंग्स सन 2021 में मिल गई थी लेकिन उन्हें रिलीज़ करने में कंपनी को इतना वक़्त क्यों लगा? इसके जवाब में रियल वर्ल्ड का कहना है, “हमें इस टेप को सही हालत में लाने में, माइकल ब्रूक से सलाह मशवरा कर मिक्स बनाने और फिर उसे एक कलाकृति का रूप देने में समय लगा.”

“हम यह तसल्ली करना चाहते थे कि हम इस बेहद विशेष अल्बम को बेहतरीन अंदाज़ में रिलीज़ करें.”

कंपनी का कहना है कि इस अल्बम में चार क़व्वालियां कुल 42 मिनट की हैं और सभी सेशन रिलीज़ किए जा रहे हैं.

रियल वर्ल्ड रेकॉर्ड्स का कहना है, “हम इसके बारे में नुसरत के परिवार से लगातार संपर्क में हैं और हमेशा से ही उनसे संपर्क में रहे हैं. “रियल वर्ल्ड रेकॉर्ड्स के पास अतीत में भी नुसरत की कई अल्बम्स रही हैं और हम उन्हें रिलीज़ करने के बारे में भी काम करते रहे हैं. इसलिए कोई ऐसा वक़्त नहीं रहा जब हम उनके साथ संपर्क में ना हों.”

“लेकिन हमारे लिए वह एक बेहतरीन लम्हा था जब हमने उन्हें यह बताया कि हमने एक बेहतरीन रिकॉर्डिंग हासिल की है.”

उनका कहना था, “हमें उम्मीद है कि किसी भी दूसरी चीज़ से ज़्यादा यह रेकॉर्डिंग्स और उसकी रिलीज़ के बारे में पाई जाने वाली उत्सुकता गायक नुसरत फ़तह अली ख़ान की विरासत को ज़िंदा रखेगी.”

“उनका संगीत हर दौर में ज़िंदा रहेगा और उसकी कशिश लोगों को अपनी तरफ़ खींचती रहेगी. हमारे लिए यह ख़ुशी की बात है कि नुसरत की अहमियत आज भी बहुत ज़्यादा है.”

(bbc.com/hindi)

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