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नयी दिल्ली, 24 जुलाई केरल, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र समेत देश के अनेक हिस्सों में मानव-पशु संघर्ष के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए बुधवार को लोकसभा में कुछ दलों के सदस्यों ने सरकार से मांग की कि वन संरक्षण अधिनियम में बदलाव किया जाना चाहिए और खेतों में आने वाले क्रूर पशुओं को मारने की अनुमति मिलनी चाहिए।
शून्यकाल में कांग्रेस के डीन कुरियाकोस ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से अनुरोध किया कि वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन का यह सही समय है और वन्य क्षेत्र से निकलकर खेतों में आने वाले क्रूर पशुओं को मारने की और पशुओं की जन्मदर नियंत्रण की नीति अपनानी होगी।
केरल के इडुक्की से सांसद कुरियाकोस ने हाल में अपने क्षेत्र में 48 वर्षीय एक आदिवासी पुरुष को हाथियों द्वारा मारे जाने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र ही नहीं राज्य सरकार ने भी पशुओं से मनुष्य की रक्षा के मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया है।
उत्तर प्रदेश के बिजनौर से राष्ट्रीय लोकदल के सदस्य चंदन चौहान ने भी हाल में अपने क्षेत्र में 15 साल की एक बालिका को तेंदुए द्वारा मारे जाने की घटना का जिक्र करते हुए सरकार से मांग की कि क्षेत्र में तेंदुओं के बढ़ते प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए क्षेत्र में अधिक से अधिक पिंजड़ों और बचाव वाहनों को तैनात किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में किए गए प्रयासों के कारण अभयारण्यों में बाघों की संख्या बढ़ी है जो अच्छी बात है, लेकिन इसके कारण तेंदुए वन क्षेत्र से बाहर आकर ग्रामीण और शहरी इलाकों में घुस रहे हैं।
चौहान ने सरकार से इस ओर ध्यान देने का अनुरोध किया। (भाषा)