अंतरराष्ट्रीय
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में गर्भपात के अधिकार का मुद्दा डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन, दोनों पार्टियों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है. कई मतदाताओं के लिए अबॉर्शन अधिकार इस बार के सबसे अहम चुनावी मुद्दों में से एक है.
डॉयचे वैले पर रितिका की रिपोर्ट-
इस साल मार्च में अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने मिनेसोटा में गैर-सरकारी संगठन 'प्लान्ड पेरेंटहुड' के एक गर्भपात क्लिनिक का दौरा किया. इससे पहले किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति या उप-राष्ट्रपति ने पद पर रहते हुए ऐसा नहीं किया था. देश के गर्भपात अधिकार कार्यकर्ताओं ने हैरिस के इस दौरे को ऐतिहासिक बताया.
गर्भपात अधिकारों का लगातार समर्थन करती रही हैं हैरिस
अमेरिकी चुनाव 2024 में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार के तौर पर जो बाइडेन का समर्थन मिलने के बाद हैरिस के पहले संबोधन में भी अबॉर्शन अधिकार केंद्र में रहे. उन्होंने कहा, "हम जिन प्रजनन अधिकारों और आजादी में भरोसा करते हैं, वे मिलकर गर्भपात पर डॉनल्ड ट्रंप के कठोर प्रतिबंधों को रोकेंगे."
उन्होंने आगे की रणनीति रेखांकित करते हुए कहा,"हम महिलाओं पर भरोसा करते हैं कि वे अपने शरीर के बारे में खुद फैसले ले सकती हैं. जब कांग्रेस प्रजनन अधिकारों को वापस लाएगी, तो मैं बतौर राष्ट्रपति उस पर हस्ताक्षर करूंगी."
हैरिस, अबॉर्शन अधिकारों पर जारी प्रतिबंध को स्वास्थ्य संकट के रूप में देखती हैं. वह लगातार अपने संबोधनों में इस आशंका पर जोर डालती हैं कि अगर ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो वह अबॉर्शन अधिकारों पर देशभर में प्रतिबंध लगा देंगे. इसलिए ट्रंप को रोकना जरूरी है.
चुनाव में अहम साबित हो सकता है गर्भपात का मुद्दा
जुलाई में ही रिपब्लिकन पार्टी का राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस आयोजन के दौरान गर्भपात के मुद्दे का जिक्र बेहद कम हुआ. इसके उलट, हैरिस अपने हर चुनावी दौरे में अबॉर्शन का मुद्दा उठाती रही हैं.
डेमोक्रेटिक पार्टी के रणनीतिकारों ने भी इसे भांप लिया है कि हैरिस की छवि इस मुद्दे पर लोगों, खासकर महिलाओं के बीच सकारात्मक बनी हुई है. इसलिए हैरिस के ज्यादातर संबोधनों में गर्भपात और प्रजनन अधिकारों का जिक्र जरूर आता है.
रॉयटर्स से बातचीत के दौरान 'फंडरेजिंग कमिटी प्रायॉरिटीज' के कार्यकारी निदेशक डेनियल बटरफील्ड ने कहा कि 2023 में हुए चुनावों के नतीजे और रिसर्च को देखते हुए कह सकते हैं कि गर्भपात का मुद्दा डेमोक्रेटिक पार्टी को जीत दिला सकता है.
बाइडेन के मुकाबले हैरिस अबॉर्शन अधिकारों पर अधिक मुखर रही हैं. अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन पर ट्रंप के साथ हुई तीखी बहस के दौरान बाइडेन अबॉर्शन के मुद्दे पर कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए थे. अमेरिकी मीडिया ने यह आलोचना भी की कि बाइडेन अपने संबोधनों में अबॉर्शन शब्द का इस्तेमाल करने से भी हिचकिचाते हैं.
हैरिस को गर्भपात अधिकार समूहों का पूरा समर्थन
अबॉर्शन अधिकार, अमेरिका में आगामी राष्ट्रपति चुनाव के सबसे अहम मुद्दों में से एक है. हैरिस यौन एवं प्रजनन अधिकारों के मुद्दों पर प्रगतिशील विचार रखती हैं. ऐसे में उनकी उम्मीदवारी को अबॉर्शन अधिकार कार्यकर्ताओं का भी पूरा समर्थन मिल रहा है.
जैसे ही बाइडेन ने कमला हैरिस की उम्मीदवारी को समर्थन देने का एलान किया, उसके तुरंत बाद अमेरिकी राजनीतिक फर्म 'एमिली लिस्ट' ने भी हैरिस को आधिकारिक तौर पर समर्थन देने की घोषणा की. यह संस्था उन डेमोक्रेटिक पार्टी की महिलाओं का साथ देती है, जो यौन एवं प्रजनन अधिकारों के मुद्दे पर मुखर हैं. खबरों के मुताबिक, इस संस्था ने हैरिस के चुनावी अभियान में 20 मिलियन डॉलर का चंदा देने की भी बात की है.
'प्लान्ड पेरेंहुड' ने भी उम्मीद जताई है कि अबॉर्शन के बुनियादी अधिकारों को, जिन्हें छीन लिया गया था, हैरिस उन्हें वापस लाने की लड़ाई जारी रखेंगी.
हालांकि, जितने सक्रिय इस वक्त अमेरिका में गर्भपात अधिकार कार्यकर्ता हैं, उतने ही सक्रिय इनके विरोधी भी हैं. ऐसी ही एक संस्था है, एसबीए प्रो लाइफ अमेरिका. हाल ही में इस संस्था ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हैरिस को 'अबॉर्शन जार' की उपाधि दी. यह संस्था गर्भपात को अजन्मे बच्चों की हत्या के रूप में देखती है. एसबीए और अमेरिका की दूसरी गर्भपात विरोधी संस्थाएं ट्रंप की उम्मीदवारी को समर्थन देती आई हैं. (dw.com)