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तिरुपति मंदिर:‘ प्रसाद के लड्डू में जानवरों की चर्बी’ होने के दावे का पूरा विवाद
20-Sep-2024 3:01 PM
तिरुपति मंदिर:‘ प्रसाद के लड्डू में जानवरों की चर्बी’ होने के दावे का पूरा विवाद

आंध्र प्रदेश के मशहूर तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलने वाले लड्डू को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है।

दावा किया जा रहा है कि प्रसाद के लड्डू में जानवरों की चर्बी मिली हुई है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी गुरुवार को कहा, ‘पिछली सरकार के दौरान तिरुमला लड्डू को बनाने में शुद्ध घी की बजाय जानवरों की चर्बी वाला घी इस्तेमाल किया जाता था।’

जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने नायडू की टिप्पणी पर विरोध जताया है और इन आरोपों को ख़ारिज किया है। इस मामले पर बीजेपी समेत कई राजनीतिक दल अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

सत्ताधारी तेलुगू देशम पार्टी यानी टीडीपी जिस रिपोर्ट के हवाले से ये दावा कर रही है, बीबीसी उस रिपोर्ट की पुष्टि नहीं करता है। इस मामले में कौन क्या कह रहा है और प्रसाद का ये लड्डू कौन सा है, जो पहले भी विवादों में रहा है।

जिस रिपोर्ट के हवाले आरोप लगाए गए, उसमें क्या है

आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु जाते हैं। मंदिर जाने वाले लोगों को प्रसाद में लड्डू दिया जाता है।

टीडीपी गुजरात की नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड यानी एनडीडीबी के हवाले से बता रही है कि लड्डू में जानवरों की चर्बी होने की पुष्टि हुई है।

हालांकि एनडीडीबी ने इस पूरे विवाद पर कोई टिप्पणी ख़बर लिखे जाने तक नहीं की है। न ही इस बारे में कोई बयान आया है कि जिस सैंपल पर विवाद हो रहा है, वो क्या वाक़ई तिरुपति मंदिर से लिया गया है।

जो रिपोर्ट शेयर की जा रही है, उसमें भी इस बात का जि़क्र नहीं दिखा है कि सैंपल तिरुपति मंदिर का है।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा, ‘लड्डू और दूसरे प्रसाद बनाने के लिए जो घी इस्तेमाल होता है, वो वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के दौर में कई एजेंसियों से लिया गया था।’

टीडीपी की ओर से जो रिपोर्ट पेश की जा रही है, उसमें कई चीज़ों का जिक्र है।

इसमें सोया बीन, सूरजमुखी, कपास का बीज, नारियल जैसी चीजें लिखी हैं। मगर जिन चीज़ों पर आपत्ति जताई जा रही है, वो हैं- लार्ड, बीफ टेलो और फिश ऑयल।

लार्ड यानी किसी चरबी को पिघलाने पर निकलने वाला सफेद सा पदार्थ। फिश ऑयल यानी मछली का तेल और बीफ टेलो यानी बीफ की चर्बी को गर्म करके निकाले जाने वाला तेल।

साथ ही ये भी दावा गया है कि इनमें तय अनुपात के हिसाब से चीजें नहीं थीं। इसे एस वैल्यू कहा गया है। यानी अगर ऊपर लिखी चीज़ों का एस वैल्यू सही नहीं है तो ये गड़बड़ बात है।

चंद्रबाबू नायडू ने और क्या कहा

चंद्रबाबू नायडू ने कहा, ‘कोई ये सोच भी नहीं सकता कि तिरुमला लड्डू को इस तरह अपवित्र किया जाएगा। पिछले पाँच सालों में वाईएसआर ने तिरुमला की पवित्रता को अपवित्र कर दिया है।’

नायडू ने दावा किया, ‘इस बात की पुष्टि हो गई है कि तिरुमला लड्डू के घी में जानवर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया। इस मामले में जांच चल रही है। इसके लिए जो भी दोषी होंगे, उन्हें सज़ा दी जाएगी।’

टीडीपी के महासचिव नारा लोकेश ने दावा किया, ‘पिछली सरकार में प्रसाद के लड्डू के घी में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल हुआ। प्रसाद के नमूनों के परीक्षण में पाया गया है कि इन लड्डुओं में मछली का तेल और बीफ़ चर्बी का इस्तेमाल हुआ है।’

नायडू ने कहा, ‘हम सबकी जि़म्मेदारी है कि वेंकटेश्वर भगवान की पवित्रता की रक्षा करें।’

वाईएसआर ने क्या कहा

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है और नायडू के आरोपों को ख़ारिज किया है। वाईएसआर नेता और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के चेयरमैन रहे वाई वी सुब्बारेड्डी ने सोशल मीडिया पर लिखा, ''नायडू ने तिरुमला मंदिर की पवित्रता को नुक़सान पहुंचाकर और करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाकर पाप किया है। कोई भी व्यक्ति ऐसे आरोप नहीं लगा सकता।’

सुब्बारेड्डी ने, ‘ये एक बार फिर साबित हो गया है कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए नायडू हिचकेंगे नहीं। तिरुमला प्रसाद के मामले में मैं और मेरा परिवार ईश्वर की कसम खाने के लिए तैयार हैं। क्या चंद्रबाबू नायडू अपने परिवार के साथ कसम खाकर ये बात कहेंगे?’

वाईएसआर के सोशल मीडिया हैंडल्स पर वाईएसआर नेता सुब्बारेडी ने कहा, ‘भगवान के प्रसाद के लिए बीते तीन साल से घी समेत जो सामग्री इस्तेमाल होती है, वो सब ऑर्गेनिक हैं।’

सुब्बारेड्डी ने कहा, ‘ये आरोप लोगों को गुमराह करने के मक़सद से लगाए जा रहे हैं।’

बीजेपी और कांग्रेस ने क्या कहा

आंध्र प्रदेश में कांग्रेस नेता शर्मिला ने इस मामले पर टीडीपी और वाईएसआर पर राजनीति करने के आरोप लगाए हैं और सीबीआई जांच की मांग की है।

शर्मिला ने कहा, ‘हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई। चंद्रबाबू नायडू की टिप्पणी परेशान करने वाली है।’

बीजेपी सांसद लक्ष्मण ने कहा, ''लड्डुओं में जानवर की चर्बी का इस्तेमाल दुर्भाग्यपूर्ण है। पूरा हिंदू समाज इस घटना की निंदा कर रहा है।’

लक्ष्मण ने चंद्रबाबू नायडू सरकार से उन अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए कहा, जो कथित तौर पर इसमें शामिल थे।

चंद्रबाबू नायडू ने लड्डू को लेकर ये भी कहा, ‘हमारी सरकार में पवित्र लड्डू बनाए जा रहे हैं।’

आंध्र प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी है।

पवन कल्याण ने लिखा, ‘तिरुपति बालाजी के प्रसाद में जानवर की चर्बी (मछली का तेल, पोर्क और बीफ़ फ़ैट) मिले होने की पुष्टि से हम सभी बहुत परेशान हैं। तत्कालीन वाईसीपी सरकार की ओर से गठित टीटीडी बोर्ड को कई सवालों के जवाब देने होंगे।’

बोर्ड की भूमिका और जवाब

तिरुपति मंदिर से जुड़ा ट्रस्ट 'तिरुमला तिरुपति देवस्थानम' यानी टीटीडी के नाम से जाना जाता है। ये ट्रस्ट मंदिर से जुड़े कामों में शामिल रहता है। इस ट्रस्ट से जुड़े लेबर यूनियन के कंदारपु मुरली ने सीएम नायडू के बयान की आलोचना की है और इसे टीटीडी कर्मचारियों का अपमान बताया है।

मुरली ने कहा, ‘टीटीडी में पारदर्शी प्रक्रिया है। टीटीडी के अंदर ही लैब है, जहाँ प्रसाद में डलने वाली चीज़ों की जांच की जा सकती है। जांच परख के बाद ही प्रसाद का इस्तेमाल होता है।’

मुरली ने कहा, ‘टीटीडी को जो प्रसाद मिलता है, वो रोज सर्टिफाइड होने के बाद ही मिलता है।’

फैक्ट चेकर मोहम्मद ज़ुबैर ने टीटीडी के एक पुराने ट्वीट को साझा किया है।

इस ट्वीट की तस्वीरों में जून 2024 में टीटीडी के एक्जीक्यूटिव ऑफिसर बने श्यामला राव दिख रहे हैं।

21 जून को टीटीडी के एक्स हैंडल से तस्वीरों को साझा कर लिखा गया- शुद्ध घी से बने सैंपल लड्डू ट्राई किए।

इस पोस्ट में लड्डुओं के अच्छे शुद्ध घी से बनने और बेसन इस्तेमाल किए जाने की बात बताई गई।

मोहम्मद ज़ुबैर ने इन तस्वीरों के साथ लिखा, ‘टीडीपी सरकार ने 14 जून 2024 को श्यामला राव को नियुक्त किया था। वो 21 जून को अच्छे घी से प्रसाद बनने की बात इस ट्वीट में कह रहे हैं।’

लड्डू पहले भी विवाद में रहे

सितंबर 2024 की शुरुआत में लड्डू पाने के लिए टोकन दिखाने की व्यवस्था की गई है।

एक लड्डू सबको फ्री में दिया जाता है। हां, अगर आपको एक लड्डू और हासिल करना है तो 50 रुपये चुकाने होंगे।

श्रद्धालुओं के लिए आधार कार्ड दिखाने की भी व्यवस्था की गई। जिन लोगों ने दर्शन नहीं किए, वो आधार कार्ड दिखाकर लड्डू हासिल कर सकते हैं।

मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए 7500 बड़े लड्डू और 3500 वड़ा बनाए जाते थे।

2008 तक एक लड्डू के अलावा अगर किसी को प्रसाद चाहिए होता तो 25 रुपये में दो लड्डू दिए जाते थे। इसके बाद क़ीमत बढ़ाकर 50 रुपये कर दी गई।

2023 में इन लड्डुओं को ब्राह्मणों से बनवाए जाने से जुड़े एक नोटिफिकेशन पर भी विवाद हुआ था।

इतिहासकार गोपी कृष्णा रेड्डी ने बीबीसी से कहा था, ‘शुरू से ही ऐसा कोई जि़क्र नहीं मिलता है कि लड्डू किस जाति के लोगों को बनाना चाहिए और किसे नहीं। शुरू में ईसाई और मुसलमान भी टीटीडी में थे। अब भी हो सकते हैं। सब तरह के लोगों को शामिल करना चाहिए।’

तिरुमला मंदिर और लड्डू

भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित तिरुमला तिरुपति मंदिर भारत के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है।

यहाँ सोने के चढ़ावे को लेकर अक्सर ख़बरें आती रहती हैं। मंदिर में रोज़ाना औसतन एक लाख से ज़्यादा श्रद्धालु न केवल प्रार्थना करते हैं बल्कि दान भी देते हैं।

मंदिर की दानपेटियों में लाखों रुपए तो पड़ते ही हैं, ज़ेवरात चढ़ाने वालों की भी कमी नहीं है।

तिरुपति मंदिर देश का सबसे अमीर मंदिर प्राचीन मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर जब पद्मावती से अपना विवाह रचा रहे थे तो उन्हें पैसे की कमी पड़ गई, इसलिए वो धन के देवता कुबेर के पास गए और उनसे एक करोड़ रुपये और एक करोड़ सोने की गिन्नियां मांगी।

मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर पर अब भी वो कजऱ् है और श्रद्धालु इस कजऱ् का ब्याज चुकाने में उनकी मदद करने के लिए दिल खोलकर दान देते हैं।

तिरुमाला मंदिर को हर साल लगभग एक टन सोना दान में मिलता है। मुख्य मंदिर परिसर मज़बूत दीवारों से घिरा है और मंदिर के अंदर किसी तरह की फोटोग्राफ़ी की इजाज़त नहीं है।

अब जो लड्डू चर्चा में हैं, उसे मंदिर के गुप्त रसोईघर में तैयार किया जाता है। ये रसोईघर पोटू कहलाता है।

माना जाता है कि यहां हर रोज़ हज़ारों लड्डू तैयार किए जाते हैं।

साल 2009 में तिरुपति के लड्डू को भौगोलिक संकेत या जियोग्राफिकल इंडिकेटर दे दिया गया था।

लड्डू को चने के बेसन, मक्खन, चीनी, काजू, किशमिश और इलायची से बनाया जाता है।

कहा जाता है कि इस लड्डू को बनाने का तरीक़ा 300 साल पुराना है।   (www.bbc.com/hindi)

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