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नई दिल्ली, 22 जून। 23 जून से शुरू होने वाली ऐतिहासिक जगन्नाथपुरी रथयात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दिखा दी है। कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ यात्रा को इस साल भी निकालने की अनुमति दे दी है। आदेश में कहा गया है कि कुछ शर्तों के साथ केंद्र और राज्य सरकार इस रथयात्रा के लिए कोविड-19 के गाइडलाइंस के तहत इंतजाम करेंगी। कोर्ट ने कहा कि वो स्थिति को ओडिशा सरकार के ऊपर छोड़ रहा है। अगर यात्रा के चलते स्थिति हाथ से बाहर जाते हुए दिखती है, तो सरकार यात्रा पर रोक भी लगा सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कोलेरा और प्लेग के दौरान भी रथ यात्रा सीमित नियमों और श्रद्धालुओं के बीच हुई थी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन जजों वाली बेंच ने की। सीजेआई बोबडे ने कहा कि इस मामले में कोर्ट लोगों की सेहत के साथ समझौता नहीं कर सकता।
18 जून को इस मामले में हुई सुनवाई में आदेश दिया था कि जनस्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हित में पुरी में इस साल रथयात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती और अगर यदि हम अनुमति देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें क्षमा नहीं करेंगे। रथयात्रा 23 जून से शुरू होनी है और इसके बाद एक जुलाई को बहुदा जात्रा (रथयात्रा की वापसी) शुरू होनी है। आदेश के एक दिन बाद कुछ लोगों ने न्यायालय में याचिका दायर कर आदेश को निरस्त करने और इसमें संशोधन का आग्रह किया था।
सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
मामले में केंद्र का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ समझौता किए बिना और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए मंदिर ट्रस्ट के सहयोग से रथ यात्रा का संचालन किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने कहा, किसी भी स्वास्थ्य मुद्दे से समझौता नहीं किया जाएगा और लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाएगा।
एसजी ने कहा, जगतगुरू शंकराचार्य, पुरी के गजपति और जगन्नाथ मंदिर समिति से सलाह कर यात्रा की इजाजत दी जा सकती है। केंद्र सरकार भी यही चाहती है कि कम से कम आवश्यक लोगों के जरिए यात्रा की रस्म निभाई जा सकती है। सीजेआई ने इस पर सवाल पूछा कि शंकराचार्य को क्यों शामिल किया जा रहा है?
पहले से ट्रस्ट और मन्दिर कमेटी ही आयोजित करती है। तो शंकराचार्य को सरकार क्यों शामिल कर रही है? इस पर मेहता ने जवाब दिया कि केंद्र उनसे मशविरा लेने की बात कर रहे है क्योंकि वो ओडिशा के लिए धार्मिक सर्वोच्च गुरू हैं। वकील हरीश साल्वे ने सुनवाई के दौरान कहा कि कफ्र्यू लगा दिया जाय। रथ को सेवायत या पुलिस कर्मी खींचें जो कोविड निगेटिव हों।
उड़ीसा विकास परिषद का पक्ष रख रहे वकील रणजीत कुमार ने अपनी दलील में कहा कि केवल रथ यात्रा के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को अनुमति दिया जाना चाहिए। अगर मंदिर से सभी लोगों को अनुमति दी जाती है तो संख्या बहुत बड़ी हो जाएगी। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता की ओर से ढाई हजार पंडे मन्दिर व्यवस्था से जुड़े हैं। सबको शामिल करने से और दिक्कत-अव्यवस्था बढ़ेगी। 10 से 12 दिन की यात्रा होती है। इस दौरान अगर कोई समस्या होती है तो वैकल्पिक इंतजाम जरूरी है।
सीजेआई ने क्या-क्या कहा?
इस पर सीजेआई ने कहा कि हमें पता है। ये सब माइक्रो मैनेजमेंट राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। केंद्र की गाइडलाइन के प्रावधानों का पालन करते हुए जनस्वास्थ्य के हित मुताबिक व्यवस्था हो। तुषार मेहता ने कहा, गाइडलाइन के मुताबिक व्यवस्था होगी। तो इस पर सीजेआई ने उनसे सवाल किया- आप कौन सी गाइडलाइन की बात कर रहे हैं? जिसके जवाब ने एसजी ने कहा कि जनता की सेहत को लेकर गाइडलाइन का पालन होगा।