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ये कौन, जिसके कारण गई डीएसपी समेत 8 पुलिस की जानें
03-Jul-2020 6:04 PM
ये कौन, जिसके कारण गई डीएसपी समेत 8 पुलिस की जानें

-समीरात्मज मिश्र

कानपुर में विकास दुबे को गिरफ़्तार करने गई पुलिस टीम पर हुए जबर्दस्त हमले में आठ पुलिसकर्मी मारे गए और सात पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए।

मरने वालों में बिल्हौर के पुलिस क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्र और एसओ शिवराजपुर महेश यादव भी शामिल हैं। जिस विकास दुबे को गिरफ्तार करने यह टीम गई थी, उन पर न सिर्फ अपराधों के संगीन आरोप हैं बल्कि दर्जनों मुकदमे भी दर्ज हैं। राजनीतिक दलों में भी उनकी अच्छी-खासी पहुंच बताई जाती है।

कानपुर के चौबेपुर थाने में विकास दुबे के ख़िलाफ़ कुल साठ मुकदमे दर्ज हैं। इनमें हत्या और हत्या के प्रयास जैसे कई गंभीर मुकदमे भी शामिल हैं।

कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बीबीसी को बताया कि जिस मामले में पुलिस विकास दुबे के यहां दबिश डालने गई थी वह भी हत्या से जुड़ा मामला था और विकास दुबे उसमें नामज़द हैं।

चौबेपुर थाने में दर्ज मुकदमों के आधार पर कहा जा सकता है कि पिछले करीब तीन दशक से अपराध की दुनिया से विकास दुबे का नाम जुड़ा हुआ है। कई बार उनकी गिरफ्तारी भी हुई लेकिन अब तक किसी मामले में सजा नहीं मिल सकी है।

कानपुर में स्थानीय पत्रकार प्रवीण मोहता बताते हैं, साल 2001 में विकास दुबे पर थाने के अंदर घुसकर बीजेपी के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या करने का आरोप लगा। संतोष शुक्ला की हत्या एक हाई प्रोफ़ाइल हत्या थी। इतनी बड़ी वारदात होने के बाद भी किसी पुलिस वाले ने विकास के ख़िलाफ़ गवाही नहीं दी। कोर्ट में विकास दुबे के ख़िलाफ़ कोई साक्ष्य नहीं पेश किया जा सका जिसकी वजह से उसे छोड़ दिया गया।

इसके अलावा साल 2000 में कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या के मामले में भी विकास दुबे को नामज़द किया गया था।

थाने में दर्ज रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2000 में ही विकास दुबे के ऊपर रामबाबू यादव की हत्या के मामले में साजिश रचने का आरोप भी लगा था। बताया जा रहा है कि यह साजिश विकास ने जेल से ही रची थी।

साल 2004 में एक केबल व्यवसायी की हत्या में भी विकास दुबे का नाम सामने आया था। पुलिस के मुताबिक, इनमें से कई मामलों में विकास दुबे जेल जा चुके हैं लेकिन ज़मानत पर लगातार छूटते रहे। साल 2013 में भी विकास दुबे का नाम हत्या के एक मामले में सामने आया था। यही नहीं, साल 2018 में विकास दुबे पर अपने चचेरे भाई अनुराग पर भी जानलेवा हमला कराने का आरोप लगा था जिसमें अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।

प्रवीण मोहता बताते हैं कि वो बताते हैं, हर राजनीतिक दल में विकास दुबे की पैठ है और यही वजह है कि आज तक उन्हें नहीं पकड़ा गया। पकड़ा भी गया तो कुछ ही दिनों में जेल से बाहर आ गया।

विकास दुबे मूल रूप से कानपुर में बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र के बिकरू गांव के रहने वाले हैं। गांव में उन्होंने अपना घर किले जैसा बना रखा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, बिना उनकी मजऱ्ी के घर के भीतर कोई जा नहीं सकता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि साल 2002 में जब राज्य में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी, उस वक़्त विकास दुबे की तूती बोलती थी। बिकरू गांव के ही रहने वाले एक शख्स नाम न बताने की शर्त पर बताते हैं कि इस दौरान उन्होंने न सिर्फ अपराध की दुनिया में अपना दबदबा कायम किया बल्कि पैसा भी ख़ूब कमाया।

चौबेपुर थाने में दर्ज तमाम मामले अवैध तरीक़े से जमीन की खरीद-फरोख्त से भी जुड़े हैं। इन्हीं की बदौलत विकास दुबे ने कथित तौर पर ग़ैरकानूनी तरीके से करोड़ों रुपए की संपत्ति बनाई है। बिठूर में ही उनके कुछ स्कूल और कॉलेज भी चलते हैं।

बिकरू गांव के लोग बताते हैं कि न सिर्फ अपने गांव में बल्कि आस-पास के गांवों में भी विकास का दबदबा कायम था। जिला पंचायत और कई गांवों के ग्राम प्रधान के चुनाव में विकास दुबे की पसंद और नापसंद काफी मायने रखती रही है।

गांव के एक बुज़ुर्ग बताते हैं, बिकरू गांव में पिछले 15 साल से निर्विरोध प्रधान बन रहे हैं जबकि विकास दुबे के परिवार के ही लोग पिछले पंद्रह साल से जिला पंचायत सदस्य का भी चुनाव जीत रहे हैं।

गाँव वालों के मुताबिक़, विकास दुबे के पिता किसान हैं और ये कुल तीन भाई है जिनमें एक भाई की करीब आठ साल पहले हत्या कर दी गई थी। भाइयों में विकास दुबे सबसे बड़े हैं। विकास की पत्नी ऋचा दुबे फि़लहाल जिला पंचायत सदस्य हैं।

बकरू गांव के ही रहने वाले एक व्यक्ति नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि विकास दुबे के खिलाफ थाने में चाहे जितने मुकदमे दर्ज हों लेकिन गांव में उनकी बुराई करने वाला कोई नहीं मिलेगा और न ही उनके ख़िलाफ़ कोई गवाही देता है। उनके मुताबिक, साल 2000 के आस-पास शिवली के तत्कालीन नगर पंचायत के चेयरमैन लल्लन वाजपेयी से विवाद के बाद विकास दुबे ने अपराध की दुनिया में कदम रखा।

गाँव वालों के मुताबिक, विकास दुबे के दो बेटे हैं जिनमें से एक इंग्लैंड में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है जबकि दूसरा बेटा कानपुर में ही रहकर पढ़ाई कर रहा है। (bbc)

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