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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 जुलाई। पाठ्य पुस्तक निगम के टेंडर में अनियमितता की ईओडब्ल्यू-एसीबी जांच कर रही है। ईओडब्ल्यू ने इस सिलसिले में निगम की जांच समिति की रिपोर्ट और गवाहों की जानकारी बुलाई है। बताया गया कि निगम ने टेंडर में गड़बड़ी की शिकायत की जांच के लिए समिति बनाई थी। जिसमें गड़बड़ी की पुष्टि हुई है।
पाठ्य पुस्तक निगम ने स्कूलों में ग्रीन बोर्ड, रेट्रो साइन बोर्ड लगाने के टेंडर में अनियमितता की शिकायत की पड़ताल के लिए चार सदस्यीय समिति बनाई थी। जांच समिति ने 14 मई को अपना प्रतिवेदन राज्य शासन को भेजा है। जांच में पाया गया कि निविदाकारों के हस्ताक्षर के बिना प्राप्त टेंडर जिसमें कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। उनका छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम, 2002 के प्रावधानों के अनुसार भली-भांति परीक्षण के बिना टेंडर की अनुशंसा कर दी गई।
टेंडर प्रक्रिया में फर्जी और बनावटी प्रतियोगी टेंडर और कूटरचित दस्तावेजों में पाए गए तथ्यों के अनुसार मेसर्स क्रिएटिव फाइवर ग्लास रायपुर, मेसर्स मिनी सिग्नसेस और मेसर्स एसआर इंटरप्राइजेस रायपुर के नाम से छल, कपटपूर्वक फर्जी और बनावटी प्रतियोगी निविदाएं प्रस्तुत की गई। और मेसर्स होप इंटरप्राइजेस, सुंदर नगर को अपात्र होते हुए भी निविदा स्वीकृत की गई।
जांच समिति ने अपने प्रतिवेदन में निविदा समिति के सदस्यों जीएम अशोक चतुर्वेदी, दीप्ति अग्रवाल, वरिष्ठ प्रबंधक, सच्चिदानंद शास्त्री, वरिष्ठ प्रबंधक (वितरण), जे शंकर वरिष्ठ प्रबंधक (वितरण), एससीआरटी, संजय पिल्ले उपप्रबंधक के द्वारा अपने कतव्र्यों के प्रति लापरवाही कर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। जिसके फलस्वरूप मेसर्स होप इंटरप्राइजेस को छह करोड़ 55 लाख 48 हजार 598 रूपए को अनियमित भुगतान की स्थिति निर्मित हुई है।
जांच प्रतिवेदन के आधार पर ईओडब्ल्यू-एसीबी प्रकरण दर्ज कर लिया है। साथ ही ईओडब्ल्यू-एसीबी ने सभी अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र, अभिकथन और गवाहों की सूची भी मांगी है। इससे परे कांग्रेस नेता विनोद तिवारी ने मंगलवार को स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह से मुलाकात की थी और दस्तावेज सौंपकर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने यह भी बताया कि चतुर्वेदी अभी भी महाप्रबंधक के पद पर बने हुए हैं और जांच को प्रभावित करने के लिए दस्तावेजों में हेरफेर कर रहे हैं।
तिवारी ने बताया कि फरवरी-2018 में अशोक चतुर्वेदी ने एमडी के फर्जी हस्ताक्षर कर एक प्रकरण पर गलत तरीके से निविदा जारी की थी। इसकी जांच में पुष्टि भी हो चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि खुद तत्कालीन एमडी संजय अलंग ने शासन को अवगत कराया था कि संबंधित कार्रवाई विवरण और उपस्थिति पत्रक के प्रथम पृष्ठ पर अंकित प्रबंध संचालक के हस्ताक्षर उनके द्वारा नहीं किए गए हैं। इस प्रकरण में तत्कालीन एमडी अलंग ने प्रकरण की जांच कर कार्रवाई के लिए लिखा है।
कांग्रेस नेता ने यह भी बताया था कि अशोक चतुर्वेदी ने अन्य दर्जनों मामलों में घपला किया है और इनके विरूद्ध की गई जांच में कई मामलों में जांच समिति ने घोटालों की पुष्टि की है। इसके बावजूद भी वे महाप्रबंधक पद पर लगातार बने हुए हैं तथा जांच को प्रभावित व दस्तावेजों में हेर-फेर कर रहे है। और जानकारी मांगी है।