राष्ट्रीय

सैनिकों के सोशल मीडिया इस्तेमाल के ख़तरे?
16-Jul-2020 6:12 PM
 सैनिकों के सोशल मीडिया इस्तेमाल के ख़तरे?

भारतीय सेना के जवानों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर लगाए गए बैन के ख़िलाफ़ दायर याचिका को सुनते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया.

सेना के वरिष्ठ अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें 'फ़ेसबुक ज़्यादा पसंद है तो उनके पास इस्तीफ़ा देने का विकल्प मौजूद है.'

याचिकाकर्ता लेफ़्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके परिवार के सदस्य विदेश में रहते हैं और सोशल मीडिया के इस्तेमाल के बिना उनसे संपर्क करना मुश्किल होगा, ऐसे में उन्हें सेना के इस आदेश से राहत दी जाए.

लेकिन इस याचिका पर हाईकोर्ट ने अकाउंट डिलीट करने का आदेश देते हुए कहा कि ये अकाउंट बाद में भी बनाए जा सकते हैं.

क्या है सेना का ये आदेश?

डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री इटेलिजेंस ने इस महीने की शुरुआत में एक आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक़ भारतीय सेना में कार्यरत 13 लाख जवानों को 89 ऐप की एक लिस्ट दी गई है जिसे उन्हें 15 जुलाई तक अनइंस्टॉल कर देना था. इस लिस्ट में अमरीकी सोशल नेटवर्किंग साइट्स फ़ेसबुक, इंस्टग्राम, ट्रू-कॉलर भी शामिल हैं.

सेना का कहना है कि ये आदेश सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए दिया गया है ताकि संवेदनशील जानकारियों को लीक होने से बचाया जा सके.

इससे पहले भारत सरकार ने देश में 59 चीनी ऐप्स को बैन किया था जिनमें से टिक-टॉक, वीचैट शामिल थे.

इससे पहले भी भारतीय सेना में फ़ेसबुक के इस्तेमाल को लेकर कई निर्देश जारी किए जा चुके हैं, साथ ही सेना के जवानों को औपचारिक कामों के लिए मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप का इस्तेमाल कम से कम करने को कहा जाता रहा है.

सोशल मीडिया से सेना को कितना ख़तरा?

सोशल मीडिया ऐप इस्तेमाल करने का सबसे बड़ ख़तरा डेटा की चोरी है. हालाँकि ये डेटा चोरी सिर्फ़ सेना तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका ख़तरा सभी सोशल मीडिया यूजर्स को है.

लेकिन सेना में काम करने वालों के लिए ये ख़तरा बढ़ जाता है क्योंकि ये ऐप कई बार लोकेशन ट्रैक कर सकते हैं. माइक्रोफ़ोन या कैमरे का इस्तेमाल कर सकते हैं जो सुरक्षा की दृष्टि से ख़तरनाक साबित हो सकता है.

साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल के मुताबिक़, "ऐप हमसे कई तरह के परमिशन मांगते हैं, हम अक्सर बिना पढ़े परमिशन दे देते हैं. ये परमिशन सोशल मीडिया कंपनियों को हमारे माइक्रोफ़ोन, लोकेशन से लेकर फ़ोटो तक इस्तेमाल करने का अधिकार दे देता है. किसी सैनिक के फ़ोन के फ़ोटो से उसके लोकेशन से जुड़ी जानकारियां मिल सकती हैं, जो देश की सुरक्षा के लिहाज़ से बहुत ख़तरनाक हो सकता है."

ये पहली बार नहीं है कि सेना में सोशल मीडिया को लेकर चर्चा हुई है.

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग कहते हैं, "ये बहस 8-10 सालों से चली आ रही है. दूसरे देशों में भी ऐसी बहस होती रही है. हर जवान के पास फ़ोन है, सभी सेनाओं ने इसे लेकर गाइडलाइन बनाई है लेकिन इसके बावजूद अगर बैन की ज़रूरत है, तो ये वाजिब क़दम है."
पनाग मानते हैं कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल से हनी ट्रैप का ख़तरा भी बना रहता है.

पनाग के मुताबिक, "अपनी पहचान छिपा पर सैनिकों से सोशल मीडिया पर फ़ेक अकाउंट बना कर बात करना और सैनिक जो अपने घर-परिवार से दूर अकेले रहते हैं उन्हें हनी ट्रैप करने की कोशिशें आम हैं. हमने कई ऐसी ख़बरें और मामले देखे हैं." पनाग के मुताबिक़ सेना के लिए ये बैन लागू करना भी आसान नहीं होगा.'

वहीं पवन दुग्गल मानते हैं कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल से जुड़े ख़तरे सिर्फ़ सेना ही नहीं बल्कि अर्धसैनिक बलों और पुलिस को भी है.

वो कहते हैं, "डेटा लीक होना और हनी ट्रैप का ख़तरा दोनों ही जगह हैं. हर विभाग को ऐसी समस्यों से निपटने के लिए अपने स्तर पर कोशिश करनी होगी. सेना की चिंता और गंभीरता दोनों ज़्यादा हो जाती हैं क्योंकि वो देश की सीमाओं पर रहते हैं, अधिकारी बड़ी-बड़ी रणनीतियाँ बनाते हैं. अगर इस स्तर पर जानकारी लीक हुई तो देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा बढ़ जाता है.

पाबंदी का ये कोई पहला मामला नहीं

जब सोशल मीडिया नहीं था तब भी सेना के जवानों पर कई तरह की चीज़ों से जुड़ी पाबंदियाँ लगती थीं.

पनाग कहते हैं, "ये कोई नई बात नहीं है. आज से 50 साल पहले जब मैं सेना में आया था उस वक्त कैमरा एक ख़तरा था, अगर आपके पास कैमरा था तो सेना के पास उसे रजिस्टर करवाना पड़ता था. ट्रांजिस्टर और रेडियों को लेकर भी सेना एहतियात बरता करती थीं. सोशल मीडिया आज की समस्या है, इससे या तो अच्छी शिक्षा के साथ निपटना होगा या अगर ख़तरा ज़्यादा है तो बैन लगाना एक अकेला विकल्प है. "

दूसरे देशों की सेना के लिए क्या हैं नियम?

भारत ही नहीं, कई दूसरे देशों में भी सोशल मीडिया और स्मार्टफ़ोन के इस्तेमाल को लेकर कई तरह की गाइडलाइन्स हैं.

साल 2019 से रूस ने सोशल मीडिया के ग़लत इस्तेमाल के डर से सैनिकों के स्मार्टफ़ोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी. सैनिकों को ऐसे मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल के लिए मना किया गया, जिनमें तस्वीरें खींचने, वीडियो रिकॉर्ड करने और इंटरनेट का इस्तेमाल करने की सुविधा होती है.

सिर्फ़ कॉलिंग करने वाले बेसिक फ़ोन के इस्तेमाल की इजाज़त दी गई है.

अमरीका ने भी सैनिकों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर कई तरह के नियम बनाए गए है. साल 2018 में एक फ़िटनेस कंपनी ने सैनिकों के व्यायाम रुटीन से जुड़ी जानकारियाँ साझा कर दी थीं, जिसके बाद सोशल मीडिया और सुरक्षा को लेकर अमरीका में कई सवाल उठाए गए थे.

इसके अलावा अमरीका ने सैनिकों के ऑफिशियल फोन पर चाइनीज़ ऐप टिक-टॉक पर बैन लगा रखा है.(bbc)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news