राष्ट्रीय
लखनऊ, 17 जुलाई। उत्तर प्रदेश की सरकार का कहना है कि पुलिस ने आत्मरक्षा में विकास दुबे पर गोली चलाई. यूपी सरकार ने ये बात सुप्रीम कोर्ट में कही है.
विकास दुबे की कथित पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी. इस कथित एनकाउंटर को लेकर कई सवाल भी उठे थे कि इतनी संख्या में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में विकास दुबे ने भागने की कैसे कोशिश की.
उत्तर प्रदेश की सरकार का कहना है कि 10 जुलाई को मध्य प्रदेश के उज्जैन से कानपुर लाते समय पुलिस की गाड़ी पलट गई थी और विकास दुबे ने वहाँ से भागने की कोशिश की. सरकार का कहना है कि भागते समय वो लगातार पुलिसवालों पर गोलियाँ चला रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफ़नामे में उत्तर प्रदेश की सरकार ने कहा है कि विकास दुबे के ख़िलाफ़ 64 आपराधिक मामले दर्ज थे और एक मामले में वे आजीवन कारावस की सज़ा पा चुके थे.
यूपी सरकार ने कहा है कि 2 जुलाई की रात बिकरू गाँव में हुई मुठभेड़ के दौरान विकास दुबे ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी.
कथित एनकाउंटर में विकास दुबे की मौत पर सरकार का कहना है कि पुलिस के पास गोली चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि विकास दुबे पुलिसवालों को मारकर भागने की कोशिश कर रहे थे.
कथित एनकाउंटर पर सवाल
अपने हलफ़नामे में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने कहा है कि विकास दुबे ने पुलिस से पिस्तौल छीनकर फ़ायरिंग शुरू कर दी थी. उन्होंने दावा किया कि घटना बिल्कुल वास्तविक है, इसे गढ़ा नहीं गया है.
उन्होंने ये भी बताया कि सरकार इस मामले में एक न्यायिक जाँच आयोग का गठन पहले ही कर चुकी है. लेकिन उनका कहना था कि इस मामले को फर्जी मुठभेड़ नहीं कहना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में अपराधी-पुलिस-राजनेता संबंध के अलावा बिकरू गाँव में हुई मुठभेड़ और उसके बाद विकास दुबे और उनके कई साथियों की एनकाउंटर में मौत को लेकर कई याचिकाएँ दायर की गई हैं. इसी के जवाब में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर किया है.
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट 20 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई कर सकता है. कोर्ट ने पहले ही ये संकेत दिया है कि हैदराबाद एनकाउंटर की जाँच की तर्ज पर वो इस मामले में भी एक कमेटी का गठन कर सकता है. हालांकि यूपी सरकार का कहना है कि ये मामला हैदराबाद एनकाउंटर से बिल्कुल अलग है.
हैदराबाद में एक डॉक्टर के गैंगरेप और हत्या के मामले में चारों अभियुक्तों को एक कथित एनकाउंटर में पुलिस ने मार दिया था.
क्या है विकास दुबे का पूरा मामला
उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक़ स्पेशल टास्क फ़ोर्स की एक टुकड़ी दुबे को लेकर 10 जुलाई को मध्य प्रदेश से कानपुर लौट रही थी जब उनकी एक गाड़ी पलट गई जिसके बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और पुलिस की कार्रवाई में अभियुक्त की मौत हो गई.
दरअसल, विकास दुबे प्रकरण की शुरुआत 2-3 जुलाई की रात से हुई, जब विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस की एक टीम पर हमला हुआ.
विकास दुबे और उनके साथियों को पकड़ने गई पुलिस की टीम पर ताबड़तोड़ फ़ायरिंग की गई. इस गोलीबारी में एक डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे. यह मुठभेड़ कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के दिकरू गाँव में हुई थी.
मुठभेड़ में कम से कम छह पुलिसकर्मी घायल भी हुए थे. इसके बाद यूपी पुलिस ने विकास दुबे की धरपकड़ का अभियान शुरू किया.
लेकिन नौ जुलाई तक विकास दुबे यूपी पुलिस की गिरफ़्त में नहीं आ सका. नौ जुलाई को उसे उज्जैन के महाकाल मंदिर से पकड़ा गया, जहां उसने खुद से ही अपनी पहचान ज़ाहिर किया था.(bbc)