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ड्रग माफ़िया की गिरफ़्तारी और पुलिस ऑफ़िसर पर 'सीएम के दबाव' की कहानी
18-Jul-2020 5:46 PM
 ड्रग माफ़िया की गिरफ़्तारी और पुलिस ऑफ़िसर पर 'सीएम के दबाव' की कहानी

मणिपुर, 18 जुलाई। मणिपुर में एक महिला पुलिस अधिकारी ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और सत्ताधारी भाजपा के एक शीर्ष नेता पर गिरफ़्तार ड्रग माफ़िया को छोड़ने के लिए उन पर 'दबाव' डालने का आरोप लगाया है.

ये आरोप इसलिए गंभीर हैं क्योंकि मणिपुर पुलिस सेवा की अधिकारी थौनाओजम बृंदा (41 साल) ने ये सारी बातें 13 जुलाई को मणिपुर हाई कोर्ट में दाख़िल किए गए अपने हलफ़नामे में कही हैं.

दरअसल राज्य के नारकोटिक्स एंड अफ़ेयर्स ऑफ़ बार्डर ब्यूरो में तैनाती के दौरान बृंदा ने 19 जून 2018 को लुहखोसेई जोउ नामक एक हाई प्रोफ़ाइल ड्रग माफ़िया को भारी मात्रा में ड्रग्स के साथ गिरफ़्तार किया था.

पुलिस ने ड्रग्स माफ़िया जोउ समेत कुल सात लोगों को करीब 28 करोड़ रुपये से अधिक क़ीमत के अवैध नशीले पदार्थों और नकदी के साथ पकड़ा था.

पुलिस अधिकारी बृंदा ने अपने हलफ़नामे में बताया है कि जिस समय वो अपनी टीम के साथ ड्रग माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ छापेमारी की कार्रवाई कर रही थीं उसी दौरान बीजेपी के एक नेता ने उन्हें वॉट्सऐप कॉल करके मुख्यमंत्री बीरेन सिंह से बात करवाई थी.

इस मामले को लेकर मणिपुर की सियासत काफ़ी गरमा गई है क्योंकि मुख्य आरोपी और इलाके में ड्रग्स का कथित सरगना जोउ चंदेल ज़िले में एक प्रभावशाली बीजेपी नेता थे. जिस समय उन्हें गिरफ़्तार किया गया था उस दौरान वो चांदेल ज़िला स्वायत्तशासी परिषद् के अध्यक्ष थे.

पुलिस अधिकारी पर अवमानना का मामला

यह मामला अब फिर इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि 21 मई को अदालत ने आरोपी जोउ को अंतरिम ज़मानत दे दी थी. जिसके बाद पुलिस अधिकारी बृंदा ने नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्स्टेंस (एनडीपीएस) अधिनियम की अदालत के फ़ैसले की फेसबुक पोस्ट के ज़रिए कथित तौर पर आलोचना की थी.

न्यायपालिका की इस आलोचना के लिए उन पर अवमानना का मामला चलाया जा रहा है. इस अवमानना के मामले के ख़िलाफ़ बृंदा ने मणिपुर हाईकोर्ट में एक काउंटर एफ़िडेविट दाख़िल की है, जिसमें उन्होंने ये गंभीर आरोप लगाए हैं.

बीबीसी के पास मौजूद 18 पन्ने के इस हलफ़नामे में महिला पुलिस अधिकारी ने वॉट्सऐप कॉल करने वाले प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष मोइरंगथम अशनीकुमार का नाम लिया है.

उन्होंने कोर्ट में दाख़िल शपथपत्र में कहा है, "फ़ोन पर बातचीत के दौरान मैंने मुख्यमंत्री को ड्रग्स की तलाशी से जुड़ी छापेमारी के बारे में जानकारी दी और उन्हें बताया कि हम अब स्वायत्तशासी ज़िला परिषद के सदस्य के घर पर छिपा कर रखी गई ड्रग्स की तलाशी लेने जा रहे हैं. उस समय मुख्यमंत्री ने फ़ोन पर तारीफ़ करते हुए कहा था कि अगर स्वायत्तशासी ज़िला परिषद् के सदस्य के घर पर ड्रग्स मिलती है तो उन्हें गिरफ़्तार करो."

बृंदा ने अपने हलफ़नामे में लिखा है,"इस कार्रवाई के दूसरे दिन यानी 20 जून को भाजपा नेता अशनीकुमार सुबह सात बजे हमारे घर पहुंच गए और इस मामले का ज़िक्र करते हुए कहा कि परिषद् के जिस सदस्य को गिरफ़्तार किया गया है वो मुख्यमंत्री की पत्नी ओलिस का राइट हैंड है. इस गिरफ़्तारी को लेकर मुख्यमंत्री की पत्नी बेहद नाराज़ हैं."

"इसके बाद भाजपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री का आदेश है कि गिरफ़्तार किए गए व्यक्ति को रिहा कर उसके बदले उनकी पत्नी या फिर बेटे को गिरफ़्तार किया जाए. मैंने उनसे कहा कि यह संभव नहीं है क्योंकि हमने ड्रग्स उनके बेटे या के पास से बरामद नहीं बल्कि उस व्यक्ति के पास से बरामद की है."

"इसलिए हम उन्हें नहीं छोड़ सकते. इसके बाद अशनीकुमार दूसरी बार भी मुझसे मिलने आए और कहा कि मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी इस मामले को लेकर बेहद गुस्से में है. मुख्यमंत्री का आदेश है कि गिरफ़्तार ड्रग माफ़िया को छोड़ दिया जाए. मैंने उनसे साफ़ कह दिया था कि जांच हो जाने दीजिए. इस बारे में कोर्ट निर्णय लेगा."

'मुख्यमंत्री ने मुझे डांटा और कहा...'

महिला पुलिस अधिकारी ने शपथपत्र में है कहा कि 150 पुलिस जवानों को साथ लेकर इस ड्रग माफ़िया के ख़िलाफ़ यह ऑपरेशन चलाया गया था.

उन्होंने कहा है, "हमें उनके ख़िलाफ़ सारे सबूत मिले थे. हमारी टीम ने छापेमारी के दौरान लुहखोसेई जोउ के पास से 4.595 किलो हेरोइन पाउडर, 2,80,200 'वर्ल्ड इज़ योर्स' नाम की नशीली टैबलेट और 57 लाख 18 हजार नगदी बरामद किए थे. इसके अलावा हमने 95 हज़ार के पुराने नोट समेत कई आपत्तिजनक सामग्रियां बरामद किए थे. छापेमारी के दौरान आरोपी के घर से जब ड्रग्स बरामद हुई तो पहले वो हमसे समझौता करने का अनुरोध करने लगा और बाद में उसने डीजीपी और मुख्यमंत्री को फ़ोन करने की अनुमति मांगी."

हाई कोर्ट में दाख़िल हलफ़नामे में प्रदेश के डीजीपी पर भी मामले में दबाव बनाने के आरोप लगाए गए हैं.

पुलिस अधिकार ने लिखा है, "14 दिसंबर को नारकोटिक्स एंड अफ़ेयर्स ऑफ़ बार्डर ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक ने फ़ोन करके कहा कि पुलिस महानिदेशक ने सुबह 11 बजे एक बैठक बुलाई है. मैं जब बैठक के लिए पुलिस मुख्यालय पहुंची तो डीजीपी ने मुझसे इस मामले से जुड़े आरोपपत्र मांगे जो कि हम अदालत में दाख़िल कर चुके थे. जब मैंने उन्हें यह बात बताई तो डीजीपी ने कहा कि मुख्यमंत्री चाहते है कि इस मामले के आरोपपत्र कोर्ट से वापस लिए जाएं."

"मैंने जब पुलिस प्रमुख से कहा कि अब कोर्ट से आरोपपत्र वापस नहीं लिया जा सकता तो उन्होंने इस मामले के जांच अधिकारी को कोर्ट भेजकर आरोप-पत्र हटाने के आदेश दिए लेकिन कोर्ट ने जांच अधिकारी को आरोपपत्र वापस करने से इनकार कर दिया. पुलिस पर दबाव डालने और आरोपपत्र वापस लेने का मामला जब मीडिया में आया तो डीजीपी ने एसपी को विभाग की तरफ से एक स्पष्टीकरण देने के लिए कहा कि पुलिस पर इस मामले को लेकर कोई दबाव नहीं है. मैंने अपनी तरफ़ से किसी भी तरह का स्पष्टीकरण देने से इनकार कर दिया था लेकिन विभाग की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी जिसमें लिखा गया कि इस मामले को लेकर पुलिस पर किसी तरह का दबाव नहीं है."

बृंदा के मुताबिक़, "ठीक उसी दिन सुबह मुख्यमंत्री ने मुझे और हमारे विभाग कुछ पुलिस अधिकारी को अपने बंगले पर बुलाया था. उस दौरान मुख्यमंत्री मुझे यह कहते हुए डांटने लगे कि क्या इसलिए मैंने तुम्हें वीरता पदक दिया है. उन्होंने विशेष रूप से मुझे और एसपीपी को निर्देश देते हुए कहा आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम नाम की कुछ बातें होती है. मुझे आज तक समझ में नहीं आया कि हमें अपने विधिपूर्वक कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए क्यों डांटा गया था."

मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े की मांग

कांग्रेस ने इस मामले में नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री बीरने सिंह से इस्तीफ़ा देने की मांग की है. मणिपुर प्रदेश युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने इस मामले को लेकर शुक्रवार को राजधानी इंफाल में विरोध प्रदर्शन किया. कांग्रेस के नेता ज़िला स्वायत्तशासी परिषद के पूर्व चेयरमैन लुहखोसेई जोउ से जुड़े ड्रग और नकद जब्ती के मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग कर रहे हैं.

हालांकि बीरेन सिंह ने मीडिया में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह मामला फ़िलहाल न्यायलय में विचाराधीन है इसलिए इस पर टिप्पणी करना क़ानूनी रूप से उचित नहीं होगा. यह सभी को पता है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी न्यायिक कार्यवाही या अदालती मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. इस मामले में कानून अपना काम कर रहा है."

उन्होंने कहा,"ड्रग्स के ख़िलाफ़ हमारी सरकार सख़्ती से निपट रही है और यह अभियान लगातार जारी रहेगा. इस तरह के ग़ैर-क़ानूनी काम में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख़्शा नहीं जाएगा. फिर चाहे कोई दोस्त हो या रिश्तेदार."

मुख्यमंत्री के इस तरह के आश्वासन के बाद भी इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग उठ रही है. कई संगठनों ने राज्यपाल के ज़रिए इस मामले को देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष उठाया है.

'बृंदा ने बेहतरीन काम किया है'

मणिपुर के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप फनजौबम ड्रग्स के इस पूरे मामले को मणिपुर के लिए बेहद गंभीर मानते हैं.

वो कहते हैं, "मणिपुर में ड्रग्स का धंधा व्यापक स्तर पर फैलता जा रहा है. ऐसे समय में महिला पुलिस अधिकारी ने जो गंभीर आरोप लगाए हैं, उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता क्योंकि एक पुलिस अधिकारी ने ड्रग्स माफ़िया और उससे जुड़ी तमाम सांठगांठ के आरोप अदालत के समक्ष लिखित में लगाए हैं. पुलिस पर दबाव की बात सच हो सकती है लेकिन अब इस पूरे मामले में एक उच्च स्तरीय जांच की ज़रूरत है."

प्रदीप फनजौबम के अनुसार इस महिला पुलिस अधिकारी ने मणिपुर में ड्रग्स के धंधे के ख़िलाफ़ काफ़ी काम किया है. इससे पहले बृंदा ने ड्रग्स के ख़िलाफ़ अभियान चलाकर कई लोगों को गिरफ़्तार किया था.

फ़िलहाल मणिपुर सरकार ने उनका नार्कोटिक्स एंड अफ़ेयर्स ऑफ़ बार्डर ब्यूरो विभाग से तबादला कर दिया है लेकिन उन्हें अब तक अन्य विभाग में चार्ज़ नहीं दिया गया है.(bbc)

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