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नई दिल्ली, 20 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह इस बात से चकित है कि गैंगस्टर विकास दुबे के खिलाफ इतने सारे मामले दर्ज होने के बावजूद वह जमानत पर रिहा कर दिया गया था। कोर्ट ने आगे कहा कि इससे उसके (विकास) जैसे किसी व्यक्ति को सलाखों के पीछे रखने में 'संस्थागत विफलता' जाहिर होती है। प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने कहा, "हम सभी आदेशों पर एक सही रिपोर्ट चाहते हैं। दांव पर सिर्फ उत्तर प्रदेश में घटी एक घटना भर नहीं है। पूरा सिस्टम दांव पर है। इसे याद रखिए ।"
अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को विकास दुबे मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके डिप्टी द्वारा दिए गए बयानों पर गौर करने का भी निर्देश दिया।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "यदि उन्होंने खास बयान दिए हैं और उसके बाद कुछ हुआ है, तो आपको इस पर गौर करना चाहिए।"
शीर्ष अदालत अब बुधवार को इस मामले की सुनवाई करेगी, और उस दौरान राज्य सरकार न्यायिक जांच पर जारी की गई अधिसूचना के मसौदा को प्रस्तुत करेगी, जिसमें उसने तीन जुलाई को बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और उसके बाद के घटनाक्रम के विभिन्न पहलुओं की जांच के आदेश दिए थे।
जब उत्तर प्रदेश पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि "हम पुलिस फोर्स का मनोबल नहीं गिरा सकते" तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "कानून के शासन को मजबूत कीजिए, पुलिस बल का मनोबल कभी नहीं गिरेगा।" (IANS)