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दिल्ली में नवजात का इलाज, रोज हजार किमी दूर लेह से अपना दूध भेजती है मां
22-Jul-2020 11:53 AM
दिल्ली में नवजात का इलाज, रोज हजार किमी दूर लेह से अपना दूध भेजती है मां

नई दिल्ली, 22 जुलाई। मां की ममता से बढक़र इस दुनिया में कुछ भी नहीं है और लेह निवासी एक महिला ने इसे साबित भी कर दिया। दरअसल, इस महिला के नवजात बच्चे का दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में उपचार चल रहा था और उसे नियमित रूप से मां के दूध की जरूरत थी। ऐसे में यह महिला प्रतिदिन लेह से 1,000 किलोमीटर दूर दिल्ली में अपना दूध भेजती है। दूध हवाई जहाज से दिल्ली पहुंचता है और बच्चे को पिलाया जाता है।

खबर के अनुसार 16 जून को लेह निवासी जिकमेट वांगडू की पत्नी डोरजे पाल्मो ने ऑपरेशन के जरिए बेटे को जन्म दिया था। जन्म के बाद उसका बेटा दूध नहीं खींच पा रहा है। जांच में पता कि चला कि नवजात के फूड और विंड पाइप जुड़े हुए हैं और तत्काल सर्जरी की आवश्यकता है। वांगडू मैसूर में शिक्षक हैं और मां ऑपरेशन के कारण दिल्ली नहीं जा सकती थीं। ऐसे में बच्चे के मामा उसे दिल्ली ले गए।

शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल पहुंचने के बाद डॉ हर्षवर्धन की अगुआई में चिकित्सकों की टीम ने 19 जून को नवाजात की सर्जरी करते हुए फूड और विंड पाइप को अलग कर दिया। जिकमेट ने बताया सर्जरी के बाद बेटे को पाउडर वाला दूध दिया गया था, लेकिन वह असरकारक नहीं रहा। डॉक्टरों ने मां का दूध की जरूरत बताई। इस पर उन्होंने अपनी पत्नी से लेह में बात की और हवाई जहाज से दूध मंगवाने का निर्णय किया।

जिकमेट ने बताया कि हवाई जहाज से प्रतिदिन दूध मंगवाना मुश्किल काम था, लेकिन लेह एयरपोर्ट पर काम करने वाले उनके दोस्तों ने उसकी मदद का आश्वासन दिया। उसके दोस्त प्रतिदिन 60 एमएल दूध की बोतल किसी यात्री के साथ भेजते थे। इसके बाद वह या बच्चे का मामा एयरपोर्ट से उसे लेकर अस्पताल पहुंचाते थे। कुछ दिन बाद विस्तारा एयरलाइंस ने मुफ्त में दूध भेजना शुरू कर दिया। उसकी पत्नी प्रतिदिन तीन बार दूध एकत्र करती है।

डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि मां का दूध थर्मोकोल और रेक्सिन से बनी एक विशिष्ट बोतल में आता है। बच्चे के दूध पीने के बाद बोतल वापस लेह भेज दी जाती है। इसके बाद बच्चे मां फिर से बोतल को भरकर दिल्ली भेज देती है। समय पर मां का दूध मिलने से बच्चे के सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है। एक-दो दिन में उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी। बच्चे को अब मुंह से भी आहार देना शुरू कर दिया गया है।

डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि नवजात का मामा उसे लेकर दिल्ली पहुंचा था। जांच में उसके ट्रेकियोसोफेजल फिस्टुला और ओसोफैगल एट्रेसिया की शिकायत थी। यह बहुत असमान्य स्थिति थी। ऐसे में 48 घंटे में उसकी सर्जरी होना आवश्यक था। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार बच्चे के परिजनों ने काम किया है, उसकी जितनी सराहना की जाए वह कम है। डॉक्टर का कहना है कि मां का दूध बच्चे के लिए वरदान है। नवजात अब पूरी तरह से ठीक है।

जिकमेट ने कहा, मेरा बेटा अब ठीक हो रहा है और मजबूत भी हो रहा है। मैं अस्पताल प्रशासन का आभारी हूं। उन्होंने मदद करने के लिए अपने दोस्त और एयरलाइंस का भी आभार जताया है। (satyasamachar)

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