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![स्वरूपानंद सरस्वती पर भडक़े अयोध्या के संत, कहा-बयान राजनीति से प्रेरित स्वरूपानंद सरस्वती पर भडक़े अयोध्या के संत, कहा-बयान राजनीति से प्रेरित](https://dailychhattisgarh.com/2020/article/1595586195hankaracharya_Swami.jpg)
अयोध्या, 24 जुलाई (आईएएनएस)। अयोध्या में 5 अगस्त को राममंदिर के लिए भूमि पूजन की निकाली गई तिथि पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपांनद सरस्वती द्वारा सवाल उठाए जाने पर रामनगरी के संत भडक़ उठे। संतों ने उनके इस बयान को राजनीति से प्रेरित बताया है।
श्रीरामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने आईएएनएस से कहा, किसी भी शुभ काम में बाधा जरूर आती है। जब वाराणसी के ज्योतिषियों ने मुहूर्त निकाल दिया है और कहा है कि यह बहुत शुभ घड़ी है। यह ज्योतिष विज्ञान और रामभक्तों की दृष्टि में शुभ अवसर है। ऐसे में स्वरूपानंद सरस्वती का बयान राजनीति से प्रेरित है। इस माह किए गए कार्य हानिकारक नहीं हो सकते। भगवान के काम के लिए हर माह शुभ होता है।
रामकचहरी के महंत और सरयू आरती के संयोजक शशिकांत दास ने कहा, सारे विद्वान-मनीषी सब जानते हैं। कई विद्वानों ने अपना मत दिया है। कई लोगों ने कहा कि इस समय भगवान झूलन में होते हैं तो ऐसे में यह अशुभ घड़ी कैसे हो सकती है? स्वरूपानंद व्यक्तिगत राजनीति से प्रेरित होकर ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। वह मंदिर आंदोलन के जमाने से हर चीज में अड़ंगेबाजी करते रहे हैं।
वहीं, हनुमानगढ़ी के पुजारी राजूदास ने कहा, भगवान राम के लिए कौन सा मुहूर्त होता है, जिनसे सृष्टि की उत्पत्ति हुई है। उनके लिए यह मायने नहीं रखते हैं। यह सब साधारण मनुष्य के लिए होते हैं। ईश्वर का हर क्षण और हर भूमि शुभ है। स्वरूपानंद अपन टीस के कारण ऐसा बयान दे रहे हैं। कांग्रेस के समय रामालय ट्रस्ट बना था। उसमें वह कुछ करा नहीं सके, इसीलिए अब मंदिर बन रहा तो ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं। इनके बयान पूर्णतया राजनीतिक घरानों जैसे हैं।
अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष कन्हैया दास ने कहा, स्वरूपानंद आंदोलन से लेकर आज तक सिर्फ मंदिर के खिलाफ ही तो बोलते आ रहे हैं तो अब भमि पूजन में कौन सा अच्छा बोल देंगे। उनका यह बयान पूर्णतया राजनीति से जुड़ा हुआ है। उसे बढ़ावा देने वाला है। उनके बयान का कोई मतलब नहीं है
उधर, बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा, भगवान से बड़ा कोई नहीं है। ये संत-महात्मा की बाते हैं। इन पर क्या कहा जाए। हर धर्म में सबसे बड़ा ईश्वर को बताया गया है। बाकी संत-महात्मा सब स्वयं बुद्धिमान हैं।
ज्ञात हो कि रामनगरी अयोध्या में 5 अगस्त को श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण को लेकर भूमि पूजन की तैयारी जोरों पर है। इसी बीच भूमि पूजन के लिए निकाले गए शुभ मुहूर्त पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने सवाल उठाया है। उनका मानना है कि 5 अगस्त को भूमि पूजन के लिए शुभ मुहूर्त नहीं है।