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एस-जी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'लोगों तक पहुंच रहा पूरा सरकारी पैसा'
27-Jul-2020 4:49 PM
एस-जी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'लोगों तक पहुंच रहा पूरा सरकारी पैसा'

नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस) सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोविड -19 महामारी के दौरान केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताते हुए सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि अब केंद्र का हर एक रुपया अब पूरी तरह से लोगों तक पहुंच रहा है, जबकि इससे पहले हर एक रुपये का मात्र 15 पैसा लोगों तक पहुंचता था। मेहता ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि "सौभाग्य से हम उस दौर को पार कर चुके हैं, जब केंद्र द्वारा भेजा गया एक रुपया गरीबों तक मात्र 15 पैसा पहुंचता था। अब केंद्र 1 रुपये भेजता है और लोगों को 1 रुपये ही मिलता है।"

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट ऑफिसर के रूप में उपस्थित हुए थे और उनका आरोप था कि सॉलिसिटर जनरल इस मामले का राजनीतिकरण कर रहे हैं। ये प्रस्तुतियां कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन से प्रवासी श्रमिकों के सामने आने वाली समस्याओं पर स्वत:संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान दी गईं।

सिंघवी ने तर्क दिया कि पंजीकरण प्रक्रिया शुरू होने के बाद करीब 1.5 करोड़ प्रवासी श्रमिकों का पंजीकरण नहीं किया गया था और इसी वजह से उन मजदूरों को लाभकारी योजनाओं से बाहर रखा जा रहा है।

मेहता ने पीठ को सूचित किया कि राष्ट्रीय योजना, जैविक आपदा योजना और कोविड -19 प्रबंधन योजना जैसी कई योजनाएं पहले से ही लागू हैं। मेहता ने तर्क दिया कि कई चीजें ऐसी हैं जो हर जगह काम नहीं कर सकतीं।

उन्होंने कहा, "मुंबई में काम करने वाली कोई चीज कर्नाटक में काम नहीं कर सकती। एक समान योजना नहीं हो सकती।"

सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील दी कि पहला मुद्दा खाद्य सुरक्षा का है और अगर सॉलिसिटर जनरल इस पर गौर करते हैं तो इसका समाधान हो जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र द्वारा प्रस्तुतियां इस मामले में वास्तविक वितरण या डेटा को उजागर नहीं करती हैं।

सिंघवी ने तर्क दिया, "इसके बाद स्वास्थ्य बीमा आता है, जो कि किसी भी रूप में उपलब्ध नहीं है।"

मेहता ने कहा कि इस मामले में कोई एक स्थिर योजना नहीं हो सकती और इस प्रकार केंद्र विशेषज्ञों की मदद से कार्य कर रहा है। मेहता ने कहा, "हमारे पास रिस्क एसेसमेंट, वैश्विक अप्रौच जैसी सभी चीजें हैं। यदि आप विवरण देखना चाहते हैं, तो हम पूरी बात रिकॉर्ड पर रख सकते हैं।"

इस मामले में सुनवाई जारी है।

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