राष्ट्रीय

सरकारी संविदाकर्मियों को बच्चे के लिए छुट्टी न मिलना, बच्चा हक से वंचित-हाईकोर्ट
28-Jul-2020 4:19 PM
सरकारी संविदाकर्मियों को बच्चे के लिए छुट्टी न मिलना, बच्चा हक से वंचित-हाईकोर्ट

नई दिल्ली, 28 जुलाई। उत्तराखंड हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने कहा है कि संविदा पर काम करने वाली महिला को भी बच्चे की देखभाल के लिए छुट्टी (सीसीएल) लेने का अधिकारी है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन, न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, सीसीएल प्रथमत: बच्चों की भलाई के लिए है। अगर किसी बच्चे की मां सरकार में संविदा के आधार पर काम कर रही है, तो उसके बच्चों की भी आवश्यकताएँ वही हैं जो दूसरे बच्चों की। अगर सरकार में संविदा की व्यवस्था के तहत काम करने वाले कर्मचारियों को सीसीएल नहीं दिया जाता है तो इसका अर्थ यह हुआ उसके बच्चे को इस अधिकार से वंचित करना। इस बच्चे को संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत यह अधिकार प्राप्त है।

पीठ ने इसके साथ ही यह भी कहा कि इस तरह के कर्मचारी को 31 दिनों का वेतन सहित सीसीएल दिया जा सकता है और इसकी सभी शर्तें वही होंगी जो अर्जित छुट्टी की होती हैं और जो 30 मई 2011 के आदेश के मुताबिक़ अन्य सरकारी कर्मचारियों को मिलती हैं। पूर्ण पीठ ने कहा, संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी का रोजगार सिर्फ एक साल के लिए होता है और और उन्हें 730 दिनों की छुट्टी नहीं दी जा सकती है। इस तरह के कर्मचारियों को उन्हीं सभी शर्तों और सिद्धांतों पर 31 दिनों की छुट्टी दी जा सकती है जो अर्जित छुट्टी के रूप में होगी जैसा कि 30 मई 2011 के सरकारी आदेश के अनुरूप होगा।

पृष्ठभूमि अदालत ने यह फैसला एक मां की याचिका पर दिया जो आयुर्वेदिक डॉक्टर के रूप में राज्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, उत्तराखंड में काम करती है। अपने मातृत्व अवकाश की अवधि पूरी करने के बाद याचिकाकर्ता तनुजा टोलिया ने सीसीएल के लिए आवेदन दिया जिसे आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाओं के निदेशक ने यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि सीसीएल की सुविधा संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों को उपलब्ध नहीं है। 

याचिकाकर्ता के मामले की इसके बाद हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने सुनवाई की जहां उन्होंने कहा कि क़ानून में सीसीएल की इस सुविधा का प्रावधान विशेषकर महिला कर्मचारियों के लिए किया गया है और किसी की नौकरी की प्रकृति क्या है इस पर ग़ौर किए बिना यह सभी महिला कर्मचारियों को मिलना चाहिए। इस बारे में डॉक्टर शांति महेरा बनाम उत्तराखंड राज्य मामले में इस अदालत के फ़ैसले का हवाला दिया गया। उसमें यह भी कहा गया कि संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को 730 दिनों का सीसीएल दिया जा सकता है। खंडपीठ ने इस मामले की बड़ी पीठ से सुनवाई की अनुशंसा की। एक व्यक्ति जिसे 365 दिन का रोजगार मिला हुआ है, उसको 730 दिनों या दो साल का सीसीएल देने का मतलब यह है कि उसके कॉन्ट्रेक्ट को एक साल के लिए अपने आप आवश्यक रूप से बढ़ाया जाए। प्रतिवादियों ने कहा कि कर्मचारी के रोजग़ार की कुल अवधि 12 महीने की है यानी 365 दिनों की और इसलिए यह संभव नहीं है कि उसे 370 दिनों की सीसीएल छुट्टी दी जाए। 

पीठ ने स्पष्ट किया कि सीसीएल महिला का कोई अधिकार नहीं है बल्कि यह बच्चों के अधिकारों की स्वीकारोक्ति है। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम बनाम महिला कार्यकर्ता (मस्टर रोल) एवं अन्य (2000) 3 स्ष्टष्ट 224 मामले में अपने फैसले में कहा कि सभी तरह के रोजगारों में मातृत्व अवकाश देना अनिवार्य है और इसमें किसी निगम में मस्टर रोल पर काम करनेवाली महिलाएं भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, हमें इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि 12 महीनों के लिए काम पर रखे गए संविदा कर्मचारियों को भी सीसीएल प्राप्त करने का अधिकार है और इस अधिकार को 30 मई 2011 को जारी सरकारी आदेश में भी पढ़ा जा सकता है।

अदालत ने मोहिनी जैन बनाम कर्नाटक राज्य एवं अन्य (1992) 3 स्ष्टष्ट 666 मामले में आए फैसले पर भी भरोसा किया। इस फैसले में कोर्ट ने कहा, राज्य का यह संवैधानिक दायित्व है कि वह ऐसा माहौल बनाए कि संविधान के पार्ट 3 में नागरिकों को मौलिक अधिकारों की जो गारंटी दी गई है उसका लाभ सब को मिले। जिस महिला की नौकरी की कुल अवधि 365 दिनों की है उसको 730 दिनों का सीसीएल देने में जो विरोधाभास है, पीठ इससे पूरी तरह वाकिफ थी। इस विरोधाभास को दूर करने के लिए अदालत ने डोली गोगोई बनाम असम राज्य मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया। 

इस मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने ठेके पर काम करनेवाले कर्मचारियों को सीसीएल देने की बात कही पर कहा कि यह सामानुपातिक (प्रो राटा) आधार पर होना चाहिए। इस आधार पर पीठ ने कहा, हमें कहा गया है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को एक साल में 31 दिनों का अर्जित अवकाश मिलता है। वही सिद्धांत यहां भी उन कर्मचारियों के संदर्भ में लागू होगा जिनकी रोजगार की पूरी अवधि एक साल की है बशर्ते कि वे 30 मई 2011 को जारी सरकार के आदेश के तहत अन्या अर्हता पूरी करते हों- मतलब यह कि जिनके दो बच्चे 18 साल से कम उम्र के हैं उन्हें भी सीसीएल का लाभ मिलेगा। अदालत ने कहा कि सीसीएल अधिकार नहीं है और कोई भी सरकारी आदेश के बिना सीसीएल पर नहीं जा सकता।  (hindi.livelaw.in)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news