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त्रिपुरा सरकार 10 हजार शिक्षकों को बनाना चाहती है चपरासी, माली और कुक
29-Jul-2020 5:36 PM
त्रिपुरा सरकार 10 हजार शिक्षकों को बनाना चाहती है चपरासी, माली और कुक

अगरतला, 29 जुलाई। त्रिपुरा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में उसने सुप्रीम कोर्ट से 10 हजार पोस्ट ग्रैजुएट, ग्रैजुएट और अंडर ग्रैजुएट टीचरों की फिर से नियुक्ति की मांग की है। ये 10,000 टीचर वे हैं, जिनकी नियुक्ति कोर्ट ने खारिज कर दी है। खास बात यह है कि यह पुन: नियुक्ति टीचरों के पद के लिए नहीं बल्कि चपरासी, गार्ड्स, माली, रसोइया और कनिष्ठ क्लर्क के पद की हैं। 

2010 और 2014 में त्रिपुरा सरकार ने 1,035 पीजीटी, 4,666 टीजीटी और 4,612 यूजीटी की भर्तियां की थीं। ये भर्तियां 2003 की संशोधित रोजगार नीति के तहत मौखिक इंटरव्यू के जरिए हुई थीं। 7 मई 2014 को हाई कोर्ट ने संशोधित रोजगार नीति के अनुरूप की गई सभी टीचरों की भर्तियां निरस्त कर दी थीं। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। 29 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने 31 दिसंबर 2017 को आदेश दिया कि नई पॉलिसी बनाकर नई नियुक्तियां की जाएं। 

2017 में बनी नई नीति 
त्रिपुरा सरकार ने 2017 में नई नीति बनाई। इस दौरान राज्य सरकार ने बर्खास्त किए गए टीचरों को अडहॉक के आधार पर पदों पर बनाए रखा। सरकार ने बर्खास्त टीचरों को पदों पर बरकरार रखने के मामले में टीचरों की कमी बताई। इस दौरान नई नियुक्तियों के लिए विज्ञापन और परीक्षा प्रॉसेस होता रहा। 1 नवंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त टीचरों को अडहॉक बेस पर 31 मार्च 2020 तक बनाए रखने की अनुमति दी थी।

 सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया अवमानना नोटिस 

सु्प्रीम कोर्ट के आदेश के बाद त्रिपुरा सरकार ने बर्खास्त टीचरों की दूसरे पदों पर नियुक्ति करने का प्रस्ताव बनाया। सरकार ने राज्य में 12000 पदों पर भर्तियां निकालीं। इन 12000 पदों में स्कूलों में काउंसलर्स, लाइब्रेरी असिस्टेंट, शैक्षिक काउंसलर्स, हॉस्टल वॉर्डेन और स्कूल असिस्टेंट के थे। हालांकि इन पदों पर नियुक्ति को लेकर उम्र और शैक्षिक योग्यता को लेकर विवाद हुआ। मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आया तो सरकार को अवमानना नोटिस जारी हुआ। अवमानना नोटिस के बाद सरकार ने इन पदों पर नियुक्ति रोक दी। 

ग्रुप सी और डी के पदों पर नियुक्ति की मांग 
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि बर्खास्त टीचरों को नौकरी के दौरान का कोई लाभ नहीं दिया जाएगा। उन्हें इसका कानूनी अधिकार भी नहीं होगा अगर उन्हें चपरासी, नाइड गार्ड, माली, कुक, डे गार्ड, बागवानी कर्मचारी, आंगनबाड़ी सुपरवाइजर, लोवर डिविजनल क्लर्क, पंचायती सचिव, कृषि सहायक, जूनियर स्टोर कीपर और फिशरी असिस्टेंट के रूप में नियुक्त किया जाता है। सरकार ने विभिन्न विभागों में 10,618 पद निकाले हैं।
 
सुप्रीम कोर्ट में इन्होंने की बहस 
सुप्रीम कोर्ट में बहस जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एमएम शांतानागोददार और जस्टिस विनीत सरन के सामने हुई। बर्खास्त टीचरों की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन, कोलिन गोनसाल्वे और जयदीप गुप्ता ने बहस की।  (navbharattimes.indiatimes.com)

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