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![समुद्र के भीतर 2,312 किमी केबल बिछाकर अंडमान तक पहुंचाया फास्ट-स्पीड इंटरनेट समुद्र के भीतर 2,312 किमी केबल बिछाकर अंडमान तक पहुंचाया फास्ट-स्पीड इंटरनेट](https://dailychhattisgarh.com/2020/article/1597044790m_modi.jpg)
नई दिल्ली, 10 अगस्त । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 2,312 किलोमीटर लंबे चेन्नई-अंडमान निकोबार द्वीप समूह सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल परियोजना का उद्घाटन करेंगे। पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका शुभारंभ करेंगे। समुद्र के भीतर बिछी यह केबल पोर्ट ब्लेयर को स्वराज दीप (हैवलॉक), लिटिल अंडमान, कार निकोबार, कामोरता, ग्रेट निकोबार, लांग आईलैंड और रंगट को भी जोड़ेगा। इस परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री ने पोर्ट ब्लेयर में दिसंबर 2018 में रखी थी और यह प्रोजेक्ट तय वक्त में पूरा हो गया है।
इस परियोजना की शुरूआत होने से अंडमान निकोबार द्वीप समूह में मोबाइल, ब्रॉडबैंड और लैंडलाइन दूरसंचार सेवाएं बेहतर और भरोसेमंद होंगी. ये सेवाएं देश के अन्य भागों की तरह होंगी। इससे वहां 4 प्रतिशत सेवाएं भी दुरुस्त होंगी। सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल लिंक चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर के बीच 2&200 गीगाबिट का बैंडविद्थ (जीबीपीएस) देगा। पोर्ट ब्लेयर और अन्य द्वीपों के बीच 2&100 जीबीपीएस देगा।
इससे इन द्वीपों पर भरोसेमंद, मजबूत और उच्च गति के दूरसंचार और ब्राडबैंड सुविधा उपलब्ध होगी, जो ग्राहकों के साथ-साथ रणनीतिक और कामकाज के दष्टिकोण से उल्लेखनीय उपलब्धि होगी। आधिकारिक बयान के अनुसार, बेहतर दूरसंचार और ब्रॉडबैंड संपर्क सुविधा से अंडमान निकोबार द्वीप क्षेत्र में पर्यटन और रोजगार सृजन को गति मिलेगी। साथ ही इससे अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी और लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा। बेहतर कनेक्टिविटी से टेलीमेडिसिन और टेली-एजुकेशन को बढ़ावा मिलेगा।
अंडमान निकोबार के मुख्य सचिव चेतन सांघी ने कहा, भारत सरकार द्वारा अंडमान के लिए चेन्नई से अंडर सी केबल जो कनेक्ट हो रहा है, उसके लिए सारे अंडमान के द्वीप वासी भारत सरकार के और मुख्य रूप से प्रधानमंत्री के ह्रदय से कृतज्ञ हैं। जब वह (पीएम मोदी) दिसंबर 2018 में यहां आए थे, अंडमान में इसकी आधारशिला रखी थी और 20 साल से अंडमानवासी जो सपना देख रहे थे, वह अब पूरा होने जा रहा है।
परियोजना का क्रियान्वयन भारत संचार निगम लिमिटेड कर रही है, जबकि टेलीकम्युनिकेशंस कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड तकनीकी परामर्शदाता थी. इस परियोजना के लिए करीब 2300 किलोमीटर ओएफसी बिछाया गया है, जिसपर करीब 1,224 करोड़ रुपये की लागत आई है।