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प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से माफी माँगने से किया इंकार
24-Aug-2020 3:18 PM
प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से माफी माँगने से किया इंकार

नई दिल्ली, 24 अगस्त। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगने से इनकर कर दिया है। उन्होंने कहा है कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और अगर वे माफी मांगेंगे तो यह उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सबसे ज़्यादा विश्वास रखते हैं।

सोमवार को प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया जिसमें उन्होंने लिखा कि आज के परेशानी भरे दौर में, भारत के लोगों को अगर किसी से उम्मीद बंधती है तो वो सर्वोच्च न्यायालय है ताकि देश में क़ानून व्यवस्था और संविधान को स्थापित रखा जा सके, नाकि किसी निरंकुश व्यवस्था को।
अपने जवाब में उन्होंने लिखा, यही वजह है कि जब चीज़ें भटकती हुई दिखें, तो हम बोलें। इस अदालत से मिला जि़म्मेदारी का एहसास ही हमें यह विशेष कर्तव्य देता है।

उन्होंने लिखा, मेरे बयान सद्भावनापूर्ण थे, मैंने सुप्रीम कोर्ट या किसी न्यायाधीश को निशाना बनाने के लिए टिप्पणी नहीं की थी। वह मेरी सकारात्मक आलोचना थी।

भारत के नामी वकीलों में से एक प्रशांत भूषण को सर्वोच्च न्यायालय ने कोर्ट की अवमानना का दोषी मानते हुए सोमवार, 24 अगस्त तक अपनी बगावती बयानबाज़ी पर पुनर्विचार करने और बिना शर्त माफ़ी माँगने का समय दिया था।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को आदेश दिया था कि वे बिना शर्त माफी माँगें। वरना भूषण को छह महीने की जेल या दो हज़ार रुपये का जुर्माना या फिर सज़ा के तौर पर ये दोनों भी झेलने पड़ सकते हैं।

हालांकि, सुनवाई के दौरान ही प्रशांत भूषण ने यह स्पष्ट किया था कि वे माफ़ी बिल्कुल नहीं मांगेंगे बल्कि कोर्ट जो सज़ा देगा, वे उसे भुगतने के लिए तैयार हैं।
प्रशांत भूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ?

63 वर्षीय प्रशांत भूषण को उनके दो ट्वीट्स के लिए कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया जा चुका है और सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि भूषण के ट्वीट्स से सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को धक्का लगा है।

भूषण ने दो जून 2020 को अपने ट्वीट्स में मुख्य न्यायाधीश पर टिप्पणी की थी। साथ ही उन्होंने कुछ अन्य न्यायाधीशों की आलोचना की थी।

भूषण ने कोर्ट में भी कहा था कि उन्होंने अपने ट्वीट में जो कुछ लिखा उसे वो हकीकत मानते हैं और उसमें उनका विश्वास है जिसे ज़ाहिर करने का अधिकार उन्हें देश के संविधान और लोकतंत्र से मिलता है।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भूषण अगर सोमवार को माफी माँग लेते हैं, तो कोर्ट इस मामले में मंगलवार को फिर सुनवाई करेगा।
पर यह अभी स्पष्ट नहीं कि प्रशांत भूषण के माफ़ी ना माँगने पर कोर्ट आगे किस तरह कार्यवाही करने वाला है।

बहरहाल, केस का नतीजा जो भी हो, प्रशांत भूषण के मामले से भारत में सर्वोच्च न्यायालय को भी परखा जा रहा है कि आखिर भारत के शीर्ष न्यायाधीश आलोचनाओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर कितने सहनशील हैं?

हालांकि, भूषण के केस पर अब तक राय बँटी हुई रही है। कई बड़े वकील, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस और संपादकीय लिखने वाले नामी पत्रकार यह मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जरूरत से ज़्यादा कठोर रहा है।

2400 से ज़्यादा भारतीय वकीलों ने प्रशांत भूषण के पक्ष में ऑनलाइन याचिका लिखी है जिसमें कहा गया है कि वकीलों के मुँह पर ताला डालने का मतलब है कोर्ट की स्वतंत्रता और शक्ति को कम कर देना।

एक वर्ग प्रशांत भूषण के खिलाफ भी है जिसकी राय है कि कोई भी वकील कानून से ऊपर नहीं है और भूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सही कार्रवाई की है। (bbc.com/hindi)

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