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'केंद्र जीएसटी संग्रह में कमी पर राज्यों को मुआवजा देने को बाध्य'
31-Aug-2020 7:35 PM
'केंद्र जीएसटी संग्रह में कमी पर राज्यों को मुआवजा देने को बाध्य'

चेन्नई, 31 अगस्त (आईएएनएस)| तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी के लिए केंद्र सरकार का राज्यों को मुआवजा देना नैतिक और कानूनी दायित्व है। पलानीस्वामी ने मोदी से वित्त मंत्रालय को एक ऐसे तंत्र से सहमत होने का निर्देश देने का आग्रह किया, जिसके तहत केंद्र सरकार आवश्यक धनराशि को ऋण के रूप में उठाए और इसे भविष्य के उपकर रिसिप्ट के खिलाफ जीएसटी मुआवजा कोष में उधार दे, ताकि 2020-2021 में राज्यों को जीएसटी मुआवजे का पूरा भुगतान किया जा सके।

मोदी को लिखे एक पत्र में, जिसे यहां मीडिया में जारी किया गया है, उसमें पलानीस्वामी ने कहा है, "हमारा रुख लगातार यह रहा है कि भारत सरकार का नैतिक और कानूनी दायित्व है कि वह जीएसटी संग्रह में कमी के लिए मुआवजे का भुगतान करे।"

पलानीस्वामी ने अपने पत्र में इस बात पर भी जोर दिया है कि भारत सरकार ऐसे आवश्यक फंड की तलाश करे, जिससे राज्यों के नुकसान की भरपाई की जा सके।

उन्होंने कहा कि अधिकांश राज्य और विशेष रूप से तमिलनाडु, जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए सहमत हैं और केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को किसी भी राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए दी गई असमानता के आधार पर कानून का समर्थन करते हैं।

पलानीस्वामी ने कहा, "101 वें संविधान संशोधन अधिनियम में और जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) अधिनियम, 2017 में इस तरह के मुआवजे का स्पष्ट रूप से आश्वासन दिया गया है।"

पलानीस्वामी के अनुसार, तमिलनाडु के राजस्व संग्रह में कमी के कारण कुल मुआवजा 12,250.50 करोड़ रुपये बनता है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि 27 अगस्त को हुई 41वीं जीएसटी परिषद की बैठक में राज्य के मत्स्य मंत्री डी. जयकुमार द्वारा दिया गया सुझाव एक उचित और व्यावहारिक था और लगभग सभी राज्यों द्वारा इस पर सहमति व्यक्त की गई थी।

परिषद की बैठक में जयकुमार ने सुझाव दिया था कि केंद्र सरकार संसाधनों को जुटा सकती है और जीएसटी क्षतिपूर्ति निधि के लिए आवश्यक धनराशि उधार दे सकती है और 2021-22 से परे कुछ वर्षों के लिए जीएसटी उपकर के विस्तार के माध्यम से ऋण लिया जा सकता है।

पलानीस्वामी ने जोर देकर कहा है कि सुनिश्चित किया जाए कि राज्यों को चालू वित्तवर्ष में ही मुआवजे का पूरा बकाया मिल जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि वित्त मंत्रालय को एक औपचारिक और स्पष्ट आश्वासन देना चाहिए कि देय मुआवजे के किसी भी पिछले जमा स्टॉक (स्पिलओवर) का भुगतान 31 मार्च, 2022 के बाद की अवधि में किया जाएगा और साथ ही राज्यों को आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत उधार लेने की अनुमति देने की शर्तों में छूट दी जाएगी।

पलानीस्वामी के अनुसार, इन उपायों से यह सुनिश्चित होगा कि राज्यों के साथ उचित और निष्पक्ष व्यवहार हुआ है और आवश्यक व्यय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए 2020-21 में पर्याप्त धनराशि भी मिली है। इस प्रकार यह अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में प्रभावी रूप से योगदान दे सकते हैं।

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