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!['मप्र के कई जिलों के गोदाम में है हजारों मीट्रिक टन घटिया चावल' , कांग्रेस ने की कार्रवाई की मांग 'मप्र के कई जिलों के गोदाम में है हजारों मीट्रिक टन घटिया चावल' , कांग्रेस ने की कार्रवाई की मांग](https://dailychhattisgarh.com/2020/article/159923409455842592745-062277-972218-017085086283765-751511-335785767457655-550.jpg)
भोपाल, 4 सितंबर। मध्य प्रदेश के बालाघाट और मंडला की राशन दुकानों से कोरोना काल में घटिया चावल (जानवरों के खाने लायक) बांटे जाने का खुलासा होने के बाद कई जिलों के गोदामों में हजारों मीट्रिक टन घटिया स्तर का चावल जमा होने की बात सामने आई है। कांग्रेस ने इससे जुड़े लोगों पर कार्रवाई की मांग की है। कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष सैयद जाफर ने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा जिलाधिकारियों को जारी आदेश के साथ एक बयान में कहा है कि "राज्य में पहले दो जिलों में इंसानों के खाने योग्य चावल न होने का खुलासा केंद्रीय जांच एजेंसी ने किया था।"
जाफर का कहना है कि, "अभी तक जिन दो जिलों में इंसानों के खाने योग्य चावल न होने की जो बात सामने आई है वह सिर्फ पांच हजार मीट्रिक टन ही है। मगर अब जो दस्तावेज सामने आए हैं वह बता रहे है कि राज्य में 73 हजार मीट्रिक टन चावल इंसानों के खाने योग्य नहीं है। यह चावल लगभग डेढ सौ करोड़ रुपये का है। सरकार को घटिया चावल की आपूर्ति करने वाले राइस मिल संचालकों को अभयदान देने की बजाए, उन पर एफआईआर दर्ज करना चाहिए। "
भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से जांच रिपोर्ट के आधार पर खाद्य और जन वितरण विभाग के स्टोरेज एंड रिसर्च डिवीजन ने पिछले दिनों गोदाम और राशन दुकान से 32 नमूने लिए गए थे। चावल के नमूनों की जांच हुई और सेंट्रल ग्रेन्स एनालिसिस लैबोरेट्री की रिपोर्ट आई है, उसके मुताबिक यह खाद्यान्न इंसानों के खाने के लिए सही नहीं है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 30 जुलाई और दो अगस्त, 2020 के बीच बालाघाट और मंडला में चार गोदामों और एक सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान से चावल के 32 नमूने लिए। इनकी जांच कराई गई। इस मामले से जुड़े अफसरों और राइस मिल संचालकों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई की है।(IANS)