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कर्नाटक के मंदिरों में गांजे का प्रसाद !
09-Sep-2020 9:47 AM
कर्नाटक के मंदिरों में गांजे का प्रसाद !

कर्नाटक में चंदन की लकड़ी ड्रग्स रैकेट के परिणामस्वरूप पुलिस ने ड्रग्स के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। की खेती के साथ ही ड्रग्स बेचने वालों के खिलाफ ऐक्शन लिया जा रहा है। हालांकि कई लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं कि उत्तरी कर्नाटक के मंदिरों में गांजे ganja को पवित्र समझकर उपभोग किया जाता है।

सरना, अवधूत, शप्थ, अरुणा परंपरा में श्रद्धालु मारिजुआना या gaaja को विभिन्न रूपों में लेते हैं। वे इसे आध्यात्मिक बोध का साधन मानते हैं। यादगीर जिले में तिनथिनि स्थित मौनेश्वर मंदिर में जनवरी में होने वाले वार्षिक मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां श्रद्धालुओं को प्रसाद के तौर पर गांजे का पैकेट दिया जाता है, जिसे मौनेश्वर या मनप्पा की प्रार्थना के बाद उपभोग कर लिया जाता है।

‘आध्यात्मिक रास्ते पर ले जाता है गांजा’

मंदिर समिति के सदस्य गंगाधर नायक ने बताया कि गांजे का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘मौनेश्वर ने लोगों को गांजा प्रदान किया था। इसलिए यहां परंपरा है। संतों और श्रद्धालुओं का मानना है कि यह पवित्र घास आध्यात्मिक ज्ञान के रास्ते पर ले जाती है।’ हालांकि उन्होंने मंदिर के बाहर गांजे की बिक्री किए जाने से स्पष्ट तौर पर इनकार किया।

नायक ने बताया कि कुछ श्रद्धालु यहां आकर गांजे का सेवन करते हैं। वहीं कुछ लोग उबालकर गांजा खाते हैं। जबकि कुछ लोग तंबाकू पाउडर की तरह इसका सेवन करते हैं। सरना समुदाय पर रिसर्च करने वाली प्रफेसर मीनाक्षी बाले ने बताया कि मंदिर में गांजे का सेवन करने वाले लोगों में इसकी लत नहीं होती है।

चिकित्सकीय फायदा भी, शरीर रहता है स्वस्थ’

इसी तरह सरना परंपरा को मानने वाले महंतेश के. ने बताया कि रायचूर जिले की सिंधानौर तालुक स्थित अम्भा मठ में भी यह परंपरा देखने को मिलती है। उन्होंने कहा, ‘गांजा सेवन कोई लत नहीं, बल्कि अनंत खुशी का साधन है। कई लोग दिन में या सप्ताह में एक बार गांजा सेवन कर ध्यान लगाते हैं। इसका चिकित्सकीय गुण भी होता है, जिस वजह से

ध्यान साधना के दौरान करते हैं सेवन

यादगीर के शोरापुर तालुक स्थित सिद्धवट दामा शिवयोगी आश्रम के पुजारी सिद्धारामेश्वर शिवयोगी ने बताया, ‘मैं खुद दिन में एक बार गांजे का सेवन करता हूं। यह पवित्र चीज है। ध्यान के दौरान आसपास की आवाजों को शांत करने के लिए इसका सेवन करते हैं।’

पुलिस भी बना लेती है इन मठों से दूरी!

इन परंपराओं का सम्मान करते हुए पुलिस ऐसे मंदिरों से दूर रहती है और शिकायत मिलने पर आंखें मूंद लेती है। हालांकि रायचूर के एसपी प्रकाश नित्यम ने बताया, ‘जहां कहीं भी गांजे की सप्लाई होती है, हम वहां छापेमारी कर रहे हैं। मुझे किसी मंदिर या मठ के बारे में ऐसी जानकारी नहीं है। अगर हमें सूचना मिलेगी तो हम वहां छापेमारी करेंगे।’(newsinc)

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