राष्ट्रीय

झुग्गियों के बच्चे जेएनयू छात्रों से पा रहे शिक्षा
13-Sep-2020 6:46 PM
झुग्गियों के बच्चे जेएनयू छात्रों से पा रहे शिक्षा

-आशीष श्रीवास्तव  

नई दिल्ली, 13 सितंबर (आईएएनएस)| शिक्षा पर कोविड-19 लॉकडाउन का प्रभाव दिन-प्रतिदिन गंभीर होता जा रहा है और झुग्गी बस्तियों के बच्चों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, क्योंकि स्कूल बंद हैं और कक्षाएं ऑनलाइन हो गई हैं। ऑनलाइन पढ़ाई तो उन्हीं बच्चों को नसीब है, जिनके परिवार कई स्मार्ट मोबाइल फोन हैं।

कोरोना के बीच उत्पन्न स्थिति ने कमजोर, वंचित तबके के बच्चों को दुख की स्थिति में छोड़ दिया है। हालांकि, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों के एक समूह ने ऐसे ही कुछ बच्चों की मदद करने का बीड़ा उठाया है। पिछले 11 दिनों से, जेएनयू के लगभग 15 छात्र नियमित रूप से मधुकर बस्ती का दौरा कर रहे हैं, जो मुनिरका इलाके में एक झुग्गी बस्ती है, और वहां 30 से अधिक बच्चों को पढ़ाते हैं। जेएनयू की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की इकाई 'बस्ती की पाठशाला' नाम की इस पहल की अगुवाई कर रही है।

एबीवीपी-जेएनयू के अध्यक्ष शिवम चौरसिया ने कहा, "हमने मधुकर बस्ती के स्कूली बच्चों को बिना किसी बाधा के शिक्षा प्रदान करने के लिए बस्ती की पाठशाला कार्यक्रम की शुरुआत की। हमारे स्वयंसेवक हर शाम जाते हैं और झुग्गी बस्ती के 30 से अधिक बच्चों को पढ़ाते हैं, जिनकी पढ़ाई इस वजह से बंद हो गई थी, क्योंकि वे पढ़ाई जारी रखने के लिए मोबाइल फोन नहीं खरीद सकते थे।"

चौरसिया ने कहा कि स्वयंसेवक छात्र गणित, विज्ञान, अंग्रेजी और अन्य विषयों को पढ़ाते हैं। स्वयंसेवकों ने कहा कि उन्होंने बस्ती में एक खुली जगह में एक व्हाइटबोर्ड रखा है, जहां वे प्रत्येक शाम को 5 से 6 बजे के बीच बच्चों को कक्षाए देते हैं। इसके अलावा, उन्होंने इन बच्चों को अध्ययन सामग्री भी दी।

झुग्गी के बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने वाली एक स्वयंसेवक मीनाक्षी चौधरी ने कहा, "बच्चों को अपने हाथों में नई किताबें, नोटबुक, पेंसिल के साथ हमारी कक्षाओं में भाग लेने के दौरान बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने हमें बताया कि वे इसे बहुत याद कर रहे थे, क्योंकि यह उन्हें अपने दोस्तों से मिलने और एक साथ पढ़ने का मौका देता है। हमने उनकी प्रतिक्रिया के बाद प्रोत्साहित महसूस किया।" मीनाक्षी फारसी भाषा में पीएचडी कर रही हैं।

बस्ती की पाठशाला कार्यक्रम के संयोजक प्रणीत दुहोलिया ने कहा कि स्वयंसेवक इन बच्चों के जीवन में एक आवश्यक भूमिका निभाकर खुश हैं। उन्होंने कहा, "मधुकर बस्ती के बच्चे हमेशा अपनी जगह पर हमें देखकर खुश होते हैं और हम भी उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को लेकर खुश होते हैं। हमारे शिक्षण कार्यक्रम को स्वयंसेवकों की सक्रिय भागीदारी और एबीवीपी-जेएनयू की एक टीम द्वारा संभव बनाया गया है। हम भविष्य में भी इस तरह की गतिविधियों को आगे बढ़ाते रहेंगे, क्योंकि यह बहुत अधिक संतुष्टि देता है।"

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news