खेल
नवीद अफ़कारी
कुश्ती के युवा खिलाड़ी नवीद अफ़कारी को ईरान में एक हत्या के आरोप में फांसी दे दी गई जबकि पूरी दुनिया में उसे माफ़ी देने की अपील की जा रही थी.
2018 के सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान एक सुरक्षाकर्मी की हत्या को लेकर नवीद को सज़ा हुई थी.
उनका कहना था कि उन्हें यातना देकर ज़बरदस्ती जुर्म कबूल करवाया गया था.
मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उनकी फांसी को न्याय पर आघात बताया है.
संस्था के पास अफ़कारी की एक लीक हुई रिकॉर्डिंग है जिसमें वो कह रहे थे, "अगर मुझे फांसी पर चढ़ाया जाता है तो मैं आप लोगों को बता देना चाहता हूं कि एक निर्दोष इंसान को, जिसने कोशिश की और अपना पक्ष सुनाने के लिए पूरी हिम्मत से लड़ाई की, उसे आख़िकार फांसी दे दी गई."
ईरान के सरकारी मीडिया ने उनकी फांसी की पुष्टि की है.
उनके वकील ने बताया कि ईरान के क़ानून के उलट उन्हें मौत से पहले अपने परिवार से भी नहीं मिलने दिया गया.
लंदन में ईरान के दूतावास के बाहर लोगों ने नवीद अफ़कारी की फांसी के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया.
वकील हसन यूनेसी ने ट्विटर पर लिखा है- "क्या आप इतनी जल्दी में थे कि आपने नाविद को आख़िरी विदा का भी मौक़ा नहीं दिया?"
वर्ल्ड प्लेयर एसोसिएशन के 85 हज़ार खिलाड़ियों ने इस सज़ा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी. एसोसिएशन का कहना है कि नवीद को विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेने की वजह से ग़लत तरीक़े से निशाना बनाया गया है.
एसोसिएशन ने ये भी कहा था कि अगर ईरान उन्हें फांसी देता है तो खेलों की दुनिया से देश को बाहर कर दिया जाएगा.
अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी माफ़ी के लिए अपील की थी और कहा था कि इस खिलाड़ी ने बस सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था.
अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ट्विटर पर लिखा है, "एक क्रूर सरकार के हाथों हुई नवीद अफ़कारी की मौत के शोक में हम परिवार और सभी ईरानियों के साथ हैं. उनकी ज़िंदगी, उनकी मौत को भूला नहीं जाएगा."
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमिटी (आईओसी) ने इस घटना पर निराशा जताई है और कहा है कि वे इस दुख की घड़ी में परिवार के साथ हैं.
अपने बयान में आईओसी ने कहा कि 'ये बहुत दुख की बात है कि पूरी दुनिया से खिलाड़ियों की अपील और हमारी परदे के पीछे की कोशिशों को सफलता नहीं मिली.'
जुलाई 2020 में ईरान में प्रदर्शनकारियों को दी जा रही फांसी को लेकर जर्मनी के बर्लिन में मार्च निकाला गया. इस तस्वीर में प्रदर्शनकारियों ने आमिर हुसैन मोराड़ी, मोहम्मद रजाबी और सईद तामजीदी की तस्वीरें पकड़ रखी हैं. इन तीनों को भी 2019 में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शन में गिरफ़्तार किया गया था.
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने बताया कि इसी मामले में अफ़कारी के भाई वाहिद को 54 साल और हबीब को 27 साल जेल की सज़ा हुई है.
जेल से लीक हुई ऑडियो रिकॉर्डिंग में अफ़कारी ने कहा कि उन्हें यातनाएं दी जा रही हैं.
उनकी मां ने बताया कि उनके बेटों को एक-दूसरे के ख़िलाफ़ बयान देने के लिए मजबूर किया गया.
उनके वकील ने ट्विटर पर लिखा कि ईरान की न्यूज़ रिपोर्ट्स में बताई जा रही जानकारी के उलट सुरक्षाकर्मी की मौत का कोई वीडियो नहीं है.
उन्होंने बताया कि जिस वीडियो को सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया गया, वो तो घटना के एक घंटे पहले की है.
ईरान के अधिकारियों ने यातना के आरोप को ख़ारिज किया है.
अफ़कारी कुश्ती में नेशनल चैंपियन थे. ईरान में ये खेल बहुत पुराना है और काफ़ी लोकप्रिय भी.(bbc)