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किसानों के मुद्दों पर हरियाणा और पंजाब कांग्रेस ने खुलासे से गिनाये राजनीतिक और किसानी के मुद्दे
28-Sep-2020 9:18 AM
किसानों के मुद्दों पर हरियाणा और पंजाब कांग्रेस ने खुलासे से गिनाये राजनीतिक और किसानी के मुद्दे

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केंद्र सरकार के नए किसान अध्यादेशों को राष्ट्रपति ने भी कल मंजूरी दे दी. लेकिन कई पार्टियों और किसान संगठनों की तरफ से इनका जमकर विरोध किया जा रहा है. कल कांग्रेस ने ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में इस बारे में खुलासे से कहा. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा और पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने अपने-अपने प्रदेश का राजनीतिक और किसानी पक्ष सामने रखा.

कुमारी सैलजा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि जैसा कि सभी जानते हैं कि पिछले अर्से से जबसे भारतीय जनता पार्टी ये काले कानून लाने की तैयारी थी, पहले ये अध्यादेश लेकर आई, अब उसके बाद संसद में जिस तरह से इनको पास किया गया, सारे देश ने देखा, दुनिया ने देखा कि लोकतंत्र का भारतीय जनता पार्टी सरकार के लिए कोई मायने नहीं, ना संसदीय प्रणाली के कोई मायने, अपनी रुढ़ मिज्योरिटी का इस्तेमाल कर इन्होंने लोकतंत्र का गला घोंटा है। ना केवल लोकतंत्र का गला घोंटा है, लेकिन हमारे हमारा किसान, मजदूर, आढती जो कि हमारी कृषि क्षेत्र की रीड्ड की हड्डी है, उन्होंने आज इनकी कमर तोड़ कर रख दी है। आप पिछले अर्से से देख रहे हैं, पिछले दिनों में, हफ्तों में, महीनों में राहुल जी के नेतृत्व में इन तीनों अध्यादेशों का पहले से ही, पहले दिन से ही विरोध किया और उसके बाद लगातार हम किसान के साथ खड़े होकर लड़ाई लड़ रहे हैं, संघर्ष कर रहे हैं। किसानों के सैंकड़ों-सैंकड़ों संगठन देशभर में सड़क पर आए, उन्होंने अपना विरोध जताया, अपनी बात रखनी चाही, लेकिन इस सरकार के कान पर जूं तक ना रेंगी, ना कोई बातचीत में, कोई दिखावा भी नहीं किया। एक दिन थोड़ी सी बात करते थोड़ा सा दिखावा किया कृषि मंत्री जी ने। मैं आपको याद दिलाना चाहूंगी कि कृषि मंत्रालय का पूरा नाम क्या है– कृषि और किसान कल्याण। अब किसान कल्याण का काम ये निजी कंपनियों के हाथों में छोड़ना चाहते हैं। कल्याण का काम अगर सरकार ही नहीं करना चाहेगी, अगर अपनी जिम्मेदारी से पीछे भागेगी औऱ छोड़ देगी निजी हाथों के रहमों कर्मों पर, बड़े-बड़े कोर्पोरेट के रहमों कर्मों पर, तो हमारा अन्नदाता, हमारा मजदूर, हमारा कृषि क्षेत्र बिल्कुल जो चरमरा चुका है, वो बिल्कुल आखिरी सांस लेने पर मजबूर हो जाएगा।

उन्होंने कहा- आपने देखा कि जो तमाशा हो रहा है, वैसे सुनील जाखड़ जी उसके बारे में ज्यादा बेहतर बताएंगे, पिछले दिनों में आपने देखा कि इनके साथी अकाली दल ने क्या ड्रामा रचा है। पहले कुछ बोले नहीं, दिखावा तक नहीं कर पाए, लेकिन जब किसान सड़क पर उतरे, अपनी बात रखी और देशभर में विरोध हुआ, पंजाब में इतना विरोध हुआ तब इन अकालियों ने ड्रामा रचा है और अब एनडीए छोड़ने की बात कर रहे हैं। खैर उनके बारे में विस्तार से जाखड़ साहब बताएंगे। मैं ये कहना चाहूंगी पर देश में एनडीए के साथ और भी बहुत से सहयोगी दल हैं। आज समय आ गया है, हम आह्वान करते हैं उन सभी दलों से जो बेशक बाहर रहकर इनका सहयोग करते रहे संसद में, इनकी पॉलिसी को सपोर्ट करते रहे हैं, चाहे वो बीजेडी हो, चाहे वो टीआरएस हो, चाहे वो वाईएसआरसीपी हो, ये सभी इनके सहयोगी दल बाहर से रहकर इनको जब जरुरत पड़ती है भाजपा का ना जाने क्या दवाब इन पर पड़ता है, ये उनकी मदद करते हैं। लेकिन आज जब हमारे किसान और मजदूर की बात आ जाती है तो हम चाहेंगे, हम आह्वान करेंगे कि आप अपनी, गरीबों की, किसानों की आवाज सुनिए। आप अपनी आवाज बंद मत कीजिए, जो देश में उफान उठ रहा है, आप भी बता दीजिए भाजपा सरकार को, इस एनडीए सरकार को कि कल को जब देश में उफान आएगा, तब जवाबदेही उनकी होगी, ना कि उन सहयोगी दलों की। तो समय रहते इनको सोच लेना चाहिए और साथ में जो एनडीए का हिस्सा है, बेशक अकाली दल अपनी ऊंगली काट कर शहीद होना चाहता है, लेकिन बाकी के भी तो लोग हैं, बाकी की ना जाने कितनी पार्टियां हैं, बिहार में आप देख लीजिए, बिहार में जेडीयू है, एलजेपी है, इनको भी समय रहते सोचना चाहिए, चुनाव आ गया है, लोग इनसे जवाब मांगेगे, जो बिहार का किसान पहले ही मारा गया है। एक्सपेरिमेंट किया गया था 2006 में कि बिहार का किसान देशभर में कहीं भी अपनी उपज बेच सकता है, आज उनकी क्या बदहाली हो गई है, मत भूलिए बिहार के लोगों। मत भूलिए कि जब नील की खेती होती थी, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग होती थी, अंग्रेजों के सामने हमारे किसान खडे हुए थे, गांधी जी ने किसानों का साथ दिया था, कांग्रेस पार्टी ने किसानों का साथ दिया था। अब फिर समय आ गया है, फिर उसी तरह का संघर्ष करने का समय आ गया है। बिहार में देखा कि किसान मजदूर बनकर रह गया है। फिर से जैसा कि हमारी पार्टी, हमारे नेता राहुल जी ने कहा, प्रियंका जी ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का मतलब क्या है - मजदूरी, केवल मजदूरी और बंधक मजदूर, किसानों को बंधक मजदूर बना दिया जाएगा, जैसा बिहार में हुआ है।

कुमारी सैलजा ने कहा- तो हम चाहेंगे कि जेडीयू भी अपनी आंखे खोले, एलजेपी भी अपनी आंखे खोलें, इनके दूसरे सहयोगी दल भी अपनी आंखें खोलें और लोगों की आवाज सुनें कि आज लोग, किसान, मजदूर क्या चाहता है, जो एक्सपेरिमेंट बिहार में फेल हुआ, अब सारे देश में आप किसानों को बंधवा मजदूर बनाना चाहते हैं। ये देश माफ नहीं करेगा। साथ में कितने सहयोगी दल हैं इनके, चाहे एआईएडीएमके है, चाहे एजीपी है, चाहे अपना दल है और राजस्थान में, राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, उन्हें भी सोचना चाहिए कि क्या हो रहा है देश में, किसान और मजदूरों के साथ।

उन्होंने कहा- मैं कहना चाहूंगी कि मेरे अपने राज्य में, मेरे अपने राज्य हरियाणा में दो पार्टियां भारतीय जनता पार्टी, जिन्हें पूर्ण बहुमत तो मिला नहीं, लेकिन एक पार्टी है जजपा पार्टी और जजपा पार्टी ने चुनाव के समय एक साल भी नहीं बीता है, बहुत गालियां दी थी भाजपा को और इनकी नीतियां हैं, जन विरोधी नीतियां और ना जाने क्या-क्या वायदा किया और जैसे ही चुनाव के नतीजे सामने आए, भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, कहाँ 75 पार का नारा था, उस समय सबसे पहले उनकी गोद में जाकर कौन बैठा, जजपा पार्टी। मैं चाहूंगी कि दुष्य़ंत चौटाला जी देखें, वो भी अपनी आंखे खोलें, मत इंतजार कीजिए, आप कहते हैं कि हम इंतजार करेंगे कि एमएसपी कब बंद होगा, फिर हम अपना सहयोग वापस लेंगे, देश आपको देख रहा है, हमारा राज्य, एक-एक हरियाणावासी आपको देख रहा है। दुष्यंत जी, आपने जो ये अनहोली अलायंस किया है, आज जो किसान सड़कों पर मर रहा है, उस पर लाठियां बरसाई जा रही हैं, तब आप कैसे चुप बैठ सकते हैं? कैसे इस सरकार के साथ आप सहयोग कर सकते हैं? हरियाणा का किसान, हरियाणा का मजदूर आपसे सवाल पूछ रहा है, क्या आपको उनकी आवाज, उनका दर्द, उनकी पीड़ा सुनाई नहीं दे रही? जजपा पार्टी, दुष्यंत जी, आप सुन लीजिए, लोगों की आवाज को सुन लीजिए, समय है इस सरकार से, भाजपा की जो किसान विरोधी नीति है, जो ये एमएसपी को खत्म करना चाह रहे हैं, जो हमारे आढतियों और किसान का आपसी रिश्ता है, उसको खत्म करना चाह रहे हैं, जो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से किसानों को मजदूर बनाना चाहते हैं और केवल ये नहीं बड़े-बड़े घरानों के आगे लोगों को गिरवी रख रहे हैं, किसानों को, मजदूरों को गिरवी रख रहे हैं। आखें खोलिए, कान खोलिए, ये समय है जब किसानों की चीख-पुकार को सुनना पड़ेगा। तो मैं चाहूंगी, हम चाहेंगे, हमारी मांग है कि हरियाणा में भी जो किसान सड़कों पर उतर रहा है, उनकी आवाज को सुनना चाहिए औऱ ये जो 3 काले कानून ये सरकार बनाने जा रही है, उन पर हम आग्रह करेंगे माननीय राष्ट्रीयपति महोदय जी से भी कि वो कृपा अपने गरीब किसान, अपने देश के नागरिक की सुनें और उनपर हस्ताक्षर ना करें, ये कानून ना बनें और ये भाजपा पार्टी ने जो फैसला कर लिया है कि देश की अर्थव्यवस्था को, देश के हर सेक्टर को निजी हाथों में बेच दें और निजी हाथ में चंद ऐसे लोग, कॉर्पोरेट के जो साथी हैं, इनकी जान-पहचान के लोग हैं, क्रोनी जो हैं इनके, उनके हाथों में देश को आप बेचने की भूल ना करें। ये देश के साथ, गरीब किसान, गरीब मजदूर के साथ इतना घोर अन्याय नहीं होना चाहिए।

कुमारी सैलजा ने कहा-साथ में मैं एक और बिंदु पर आपकी नजर डलवाना चाहूंगी कि जहाँ एक और हमारे गेहूं की, कनक की कीमत केवल 50 रुपए बढ़ी है, जो सुनने में आ रही है कि इनको डीएपी और जो खाद है हमारी, उनकी कीमत बढ़ाने जा रहे हैं। डीएपी की कीमत 1200  हो जाएगी, आप समझ लीजिए कि 62 रुपये 62 पैसे के करीब प्रति बोरी की कीमत बढ़ जाएगी। अब आने वाले समय में और एनपीके जो कि 12/16 जो हम कहते हैं खाद उसकी कीमत बढ़ रही है 1728 रुपए 57 पैसा प्रति मैट्रिक टन और हर बोरी की कीमत बढ़ जाएगी 86 रुपए 42 पैसे। एनपीके 1175 रुपए प्रति बोरी और डीएपी 1200 रुपए प्रति बोरी हो जाएगा। ये इस तरह के काम जो ये सरकार करेगी, तो हमारा किसान और मजदूर बिल्कुल कंगाली के हालात में आ जाएगा, एमएसपी का भी दिखावा किया जा रहा है, क्योंकि सीजन में अभी किसान सड़क पर आ गया है, तो केवल इस बारे में सीधा दिखावा कर रहे हैं और जो कह रहे हैं कि तीन दिन पहले खरीद शुरु कर देंगे, ये केवल और केवल दिखावा है, इससे ज्यादा कुछ नहीं है। आने वाले समय में इनका असली चेहरा सामने आ जाएगा और ये जो भाजपा पार्टी की सरकार है, मोदी जी की सरकार है, किसान विरोधी, मजदूर विरोधी सरकार है, इनकी असलियत सामने आ जाएगी। हमारी मांग है, कांग्रेस पार्टी की मांग है कि आप ये तीनों काले कानूनों को वापस लीजिए।

पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा –सैलजाजी ने बड़े विस्तार से आपने बताया पर कुछ बातें पंजाब से जो ताल्लुक रखती हैं, उन पर मैं कुछ कहना चाहूँगा। बिल्कुल आपने सही कहा, प्रणव जी ने भी फरमाया कि ये इस्तीफा दिया नहीं गया, इस्तीफा लिया गया था और आज गठबंधन छोड़ा नहीं है, आज गठबंधन छुड़वाया गया है। अकाली साथियों की पोजीशन वो थी जो दो घोड़ों पर सवारी करते हैं। वो अपने बीजेपी आकाओं को भी खुश रखना चाहते थे, क्योंकि जब से ऑर्डिनेंसेज आए हैं, तब से लेकर लोकसभा सत्र तक यही बीजेपी के नेता थे, जो इन्हीं काले कानूनों को किसान हितैषी बता रहे थे, परन्तु किसानों के गुस्से में फंसे हुए एक तरफ किसानों का गुस्सा, दूसरी तरफ सत्ता का अहंकार, इन दो पाटों के बीच में फंसकर अकाली दल के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं बचा, पंजाब में घुसने का अगर लाइसेंस उन्हें चाहिए था क्योंकि बसों का काम करती है, अकाली दल की लीडरशिप, उनको एक परमिट लेना पड़ा पंजाब में घुसने के लिए इस्तीफा देकर, वरना अकाली दल, जो अपने आप को किसान नेता होने का दावा करते हैं, उनको पंजाब के किसान गांवो में घुसने नहीं दे रहे थे। परन्तु दूसरी तरफ उन्होंने दोगुली नीति चलाते हुए मोदी साहब को खुश रखने का प्रयास किया, इस्तीफे के बाद भी गठबंधन नहीं छोड़ा, इस उम्मीद के साथ कि शायद मोदी साहब उनसे बात करेंगे, उनको मनाने का प्रयास करेंगे या 23 साल का जो संबंध रहा है, उसकी कद्र करते हुए कम से कम उनके आँसू जरुर पोंछेंगे, परन्तु ये अकालीदल के नेता भूल गए कि ये पुरानी बीजेपी नहीं है, ये वाजपेयी साहब की बीजेपी नहीं है, जिन्होंने खुद कहा था कि गठबंधन का भी एक धर्म होता है। गठबंधन का धर्म छोड़कर राजधर्म, जो सत्ता में बैठी बीजेपी पार्टी भूल चुकी है, उनके अहंकार ने मजबूर किया कि इस्तीफा देने से पहले, इस्तीफा देने के बाद और आज तक उनके चीखने चिल्लाने के बाद में, न तो प्रधानमंत्री ने अकाली दल लीडरशिप को कोई समय दिया मिलने के लिए, प्रधानमंत्री तो दूर बीजेपी के नेता तक उनसे मिलने के लिए तैयार नहीं थे। ये मैं इसलिए कहना चाहता हूँ कि ये अहंकार, जो है, सत्ता का अहंकार, जिसे जेटली साहब ने कहा था Arrogance of majority, ये समझता हूँ, अकेले कांग्रेस के लिए नहीं है, हमारे सभी जितने भी अलायंस के इनके आउट साइड सपोर्ट या जो आज उनको इशूबेस्ड सपोर्ट देने की बात करते हैं, जितनी भी रीजनल पार्टियाँ है, ये उनके लिए आँख खुलना चाहिए, क्योंकि अकालियों की आँखे तो किसानों ने खोल दी। आज जरुरत है साथियों, किसानों के साथ मिलकर बीजेपी की सरकार जो सत्ता के अहंकार में आज एक मदमस्त हाथी की तरह चल रही है, उसकी आँखे खुलने के लिए हम सबको जुड़ना चाहिए।

उन्होंने कहा- मैं इतना निवेदन करूंगा, क्योंकि एक भ्रांति फैलाई जा रही है कि पंजाब और हरियाणा के किसान इससे ज्यादा प्रभावित हैं, क्योंकि जो ज्यादातर एमएसपी पर सरकारी खरीद है, वह पंजाब और हरियाणा में हो रही है। ये कुछ हद तक सही है, आज अपने मध्यप्रदेश में भी होने लगी, कुछ यूपी में भी हो रही है, लेकिन ये बिल्कुल सही है कि ये जो एमएसपी रिजीम था, It was tailor-made for Punjab and Haryana because there was no green revolution at that time. ग्रीन रेवोल्यूशन को लाने में सबसे बड़ा काम जो था, वो किया ये सरकारी गारंटी थी कि किसान सिर्फ उगाए और उगाने की जिम्मेदारी किसान की है और सरकार उसे तयशुदा कीमत के ऊपर खरीदेगी, मार्केटिंग की जिम्मेदारी, कीमत की जिम्मेदारी सरकार की थी।

सुनील जाखड़ ने कहा –आज सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है, तो साथियों ये मत भूलिए कि जहाँ पर मंडीकरण की बात ये खत्म करने की कर रहे हैं, जहाँ पर ये लोग आज साहूकारों को एक खुली छूट दे रहे हैं, मैं बार-बार दोहराता हूँ, आज फिर निवेदन करूँगा कि जिस आजादी की बात बीजेपी सरकार कर रही है, किसान को देने की कि उसे अपनी फसल बेचने की आजादी मिल जाएगी। आजादी तो इस सरकार ने दी है, लेकिन किसान को नहीं, इन्होंने आजादी दी है साहूकारों को किसान को लूटने की। किसान के पास किसी किस्म का कोई सुरक्षा कवच नही हैं, इस कानून को लागू होने के बाद स्टेट् गवर्मेंट की जो भी रेगुलेशन, मॉनीटरिंग, सुपरविजन, जो भी था, इन काले कानूनों में स्टेट गवर्मेंट को बाहर कर दिया गया है और ये जो बड़े कॉर्पोरेट हाउस हैं, ये अपनी मनमानी करके किसानों को लूटेंगे, किसानों को उनकी दया दृष्टि के ऊपर छोड़ दिया गया है।

उन्होंने कहा- मैं कहना चाहता हूँ सभी रीजनल पार्टियां है, अपने-अपने मुद्दों को लेकर वो खड़े हैं, उनकी मजबूरियाँ भी मैं समझता हूँ, आज इतने अहंकार में सरकार खड़ी हैं, मैं समझता हूँ, उनकी मजबूरियाँ हैं, वो चाहकर भी नहीं बोल सकते पर मैं इतना जरुर कहना चाहूँगा कि जैसे एक दार्शनिक ने कहा था, “First they came for the Jews- I did not speak out, then they came for my neighbor- I did not speak, and then they finally came for me—and there was nobody left to speak for me.” आज अगर ये पंजाब के किसान के पीछे डांग लेकर पड़े हैं या हरियाणा के किसान और यूपी के और मध्य प्रदेश के किसान को उजाड़ने की तैयारी इस बीजेपी सरकार ने की है, तो ये मत भूलिए कि आने वाला समय बिहार या ओडिशा, या आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु कहीं का भी हो सकता है।

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