राजनीति

रामविलास के निधन के बाद 'चुनौती' और 'सहानुभूति' के बीच चिराग
09-Oct-2020 1:19 PM
रामविलास के निधन के बाद 'चुनौती' और 'सहानुभूति' के बीच चिराग

मनोज पाठक 
पटना, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)|
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होकर बिहार विधानसभा चुनाव में पहले ही कई चुनौतियों का सामना कर रहे लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रमुख चिराग पासवान के सिर से पिताजी रामविलास पासवान का साया छीन जाने से चुनौतियां और बढ़ गई हैं। हालांकि माना यह भी जा रहा है कि पार्टी को इस चुनाव में सहानुभूित वोट भी मिल सकता है, जिसे बटोरने में पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।

बिहार की राजनीति में पांच दशक तक अपना रूतबा कायम रखने वाले रामविलास ने पार्टी की जिम्मेदारी पुत्र चिराग के कंधों पर डाल दी थी। इसके बाद चिराग पासवान ने पार्टी का नेतृत्व किया लेकिन समय-समय पर दिग्गज रामविलास पासवान की सलाह भी उन्हें मिलती रही। रामविलास के संरक्षण में चिराग राजनीति का ककहारा सीख ही रहे थे कि रामविलास अनंत सफ र पर चले गए।

चिराग के नेतृत्व में पार्टी पहली बार चुनावी मैदान में है, ऐसे में रामविलास पासवान के नहीं रहने से चुनौतियां बढ़ी हैं। रामविलास के करीब सभी चुनावों की कवरेज करने वाले पत्रकार सुरेंद्र मानपुरी भी आईएएनएस के साथ बातचीत में कहते हैं कि रामविलास के नहीं रहने से चिराग की राजनीति में चुनौतियां तो बढ़ेगी ही।

उन्होंने कहा कि रामविलास की उपज छात्र आंदोलन, जेपी आंदोलन से हुई थी। उन्होंने राजनीति के शिखर पर पहुंचने के लिए संघर्ष किया था, जिससे वे राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी बन गए थे। उनका मार्गदर्शन ही नहीं मिलना चिराग को कम चुनौती खड़ा नहीं करेगा।

मानपुरी कहते हैं, "लोजपा की अब तक पहचान रामविलास का चेहरा रहा था लेकिन अब चिराग को खुद यह साबित करना होगा। चिराग में लोगों को प्रभावित करने वाला वह जादुई छवि भी अब तक नहीं दिखाई दिया है, जो रामविलास के पास था।"

मानपुरी कहते हैं कि राजनीति क्षेत्र में ही नहीं पारिवारिक रूप से भी रामविलास 'सबके' रहे। राजनीति का फैसला भी वे अपने भाईयों के सलाह मश्विरा के बिना नहीं करते थे। वे कहते हैं कि चिराग को अभी बहुत कुछ सीखना होगा, जिसके रास्ते में कई चुनौतियां आएगी।

वैसे, देश की राजनीति में सहानुभूति वोट की पंरपरा भी रही है। कई नेता सत्ता के शिखर पर सहानुभूित के सहारे पहुंचे हैं। हाजीपुर के रहने वाले वकील और रामविलास के मित्र ख्वाजा हसन खां उर्फ लड्डू जी भी ऐसा ही कुछ मानते हैं। वे कहते हैं कि इस चुनाव में लोजपा को किसी और चेहरे की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि रामविलास आज भी लोजपा के लिए बड़ा चेहरा हैं, उनकी वजह से पार्टी को सहानुभूति वोट मिलेगा। उन्होंने कहा कि हाजीपुर की पहचान रामविलास पासवान से होती थी।

उन्होंने कहा, "रामविलास हाजीपुर को मां की तरह मानते थे और हाजीपुर ने भी उन्हें निराश नहीं किया और बेटे की तरह लाड-प्यार दिया।"

लड्डू जी कहते हैं कि रामविलास के निधन पर सहानुभूति वोट लोजपा को जरूर मिलेगा लेकिन चिराग उसे कैसे लेते हैं, यह देखने वाली बात होगी। रामविलास बिहार ही नहीं देश के नेता रहे हैं।

बिहार चुनाव के बीच गुरुवार को बीमारी के बाद पासवान का निधन हो गया। लोजपा के अध्यक्ष ने बिहार में राजग से अलग हटकर 143 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है।

बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरणों में होने वाले चुनाव के लिए मतदान 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को होगा जबकि मतगणना 10 नवंबर को होगी। पहले चरण में 28 नवंबर को 71 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा जबकि दूसरे चरण में तीन नवंबर को 94 सीटों के लिए और आखिरी चरण में सात नवंबर को 78 सीटों के लिए मतदान होगा।
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news