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केन्द्र के कृषि कानूनों को खारिज करने के लिए पंजाब विधानसभा में बिल पेश
20-Oct-2020 2:00 PM
केन्द्र के कृषि कानूनों को खारिज करने के लिए पंजाब विधानसभा में बिल पेश

चंडीगढ़, 20 अक्टूबर| राज्य के किसानों और कृषि क्षेत्र की सुरक्षा के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को विधानसभा में केन्द्र के किसान संबंधी कानूनों को खारिज करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। इस दौरान उन्होंने सभी दलों से इस कृषि प्रधान राज्य को बचाने के लिए राजनीतिक हितों से ऊपर उठने की अपील भी की। इस नए प्रस्ताव के ड्राफ्ट में कृषि कानूनों और प्रस्तावित बिजली बिल को रद्द करने की घोषणा की गई है, साथ ही "नए सिरे से अध्यादेश लाने की मांग की गई है, जिससे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खाद्यान्न की खरीद का वैधानिक अधिकार मिल सके।"

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने विभिन्न विशेषज्ञों के साथ व्यापक चर्चा करने के बाद रात साढ़े 9 बजे ही इस ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर कर दिए थे। सत्र के दौरान विधेयकों की प्रतियों को साझा करने के बीच उन्होंने कहा कि ऐसी ही घटना तक हुई थी जब उनकी सरकार ने 2004 में अपने आखिरी कार्यकाल में पंजाब टर्मिनेशन ऑफ वॉटर एग्रीमेंट एक्ट लाया था।

अमरिंदर सिंह ने कहा कि विशेष विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को पेश किए जा रहे विधेयकों से राज्य की कानूनी लड़ाई का आधार मजबूत होगा और इसलिए इसकी पूरी तरह से जांच की जरूरत है। इस ड्राफ्ट में "केन्द्र सरकार के किसानों और खेतों को लेकर अपनाए गए कठोर और असंगत रवैये पर" अफसोस भी जताया गया है।

इसमें लिखा गया है, "3 (कृषि) विधेयकों और प्रस्तावित विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2020 को सर्वसम्मति से अस्वीकार करने के लिए विधानसभा विवश है।"

तीनों विधेयक -- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि मुख्यमंत्री द्वारा 14 सितंबर को पत्र के जरिए सदन की चिंताओं और भावनाओं को प्रधानमंत्री तक पहुंचा दिया गया था।

ड्राफ्ट में लिखा गया, "प्रस्तावित विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2020 के साथ ये तीन कानून स्पष्ट रूप से किसानों और भूमिहीन श्रमिकों के हितों के खिलाफ हैं, और यह कृषि विपणन प्रणाली न केवल पंजाब में बल्कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हरित क्रांति की शुरूआत करने वाले क्षेत्रों में भी स्थापित की गई है।"

इसमें आगे यह भी कहा गया कि ये कानून भारत के संविधान (एंट्री 14 लिस्ट- 2) के खिलाफ भी हैं, जिसमें कृषि को राज्य के विषय के रूप में शामिल किया गया है।

ये कानून एक तरह से राज्यों के अधिकार पर सीधा हमला है, जो देश के संविधान में निहित कार्यों और राज्यों की शक्तियों पर अतिक्रमण करते हैं। (आईएएनएस)

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