राजनीति

पश्चिम बंगाल में चुनावों से पहले बढ़ती हिंसा
14-Dec-2020 9:47 PM
पश्चिम बंगाल में चुनावों से पहले बढ़ती हिंसा

पश्चिम बंगाल में बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा पर हमले के बाद राजनीतिक घमासान तेज हो रहा है. कार्यकर्ता तो पहले ही हिंसा का शिकार हो रहे थे, अब बीजेपी और तृणमूल के विवाद की आंच प्रशासनिक अधिकारियों तक भी पहुंचने लगी है.

    डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी का लिखा-

बीजेपी प्रमुख नड्डा पर हुए हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को डेपुटेशन पर दिल्ली बुला लिया, लेकिन राज्य सरकार ने उनको रिलीज करने से इंकार कर दिया है. बीते दो दिनों के दौरान बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं की हत्या के बाद तनाव बढ़ रहा है. बीजेपी ने इसके लिए ममता बनर्जी की तृणमूल पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है. लगातार तेज होते विवाद के बीच गृह मंत्री अमित शाह दो दिन के दौरे पर 19 दिसंबर को कोलकाता जाएंगे. चुनावों से पहले बढ़ती हिंसा को देखते हुए बीजेपी ने राज्य में तत्काल केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग उठाई है.

बीते सप्ताह बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के कथित हमले के बाद से ही पश्चिम बंगाल की राजनीति में भूचाल आ गया है. उस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने राज्यपाल के अलावा राज्य सरकार से रिपोर्ट तो मंगाई ही है, मुख्य सचिव आलापन बनर्जी और पुलिस महानिदेशक बीरेंद्र को 14 दिसंबर को दिल्ली पहुंचने के लिए भी समन भी भेजा था. लेकिन सरकार ने उनको भेजने से मना कर दिया. उसके बाद केंद्र ने उन तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को डेपुटेशन पर दिल्ली पहुंचने को कहा है जो दक्षिण 24-परगना जिले में सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे. वहीं नड्डा के काफिले पर पथराव किया गया था. लेकिन राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे पत्र में साफ कर दिया है कि उनको दिल्ली नहीं भेजा जाएगा. इस मुद्दे पर केंद्र व राज्य सरकार आमने-सामने है.

केंद्रीय सेवा नियमों के मुताबिक किसी अफसर को केंद्र सरकार में डेपुटेशन पर भेजने के लिए राज्य सरकार की ओर से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जरूरी होता है. लेकिन इस मुद्दे पर केंद्र व राज्य सरकार में असहमति की स्थिति में केंद्र के फैसले को लागू करना राज्य की मजबूरी होगी.

हत्याओं पर विवाद
शनिवार और रविवार को बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं की तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के हाथों कथित हत्या के मुद्दे पर भी राजनीति में उबाल है. बीजेपी के एक कार्यक्रम में हुई हिंसा में शनिवार को एक कार्यकर्ता की मौत हो गई और कम से कम छह कार्यकर्ता घायल हो गए. घायलों में कुछ लोगों की हालत गंभीर बताई गई है. यह हिंसा उस समय हुई जब बीजेपी कार्यकर्ता उत्तर 24-परगना जिले के हालीशहर में पार्टी के गृह संपर्क अभियान के दौरान लोगों से मुलाकात कर रहे थे. प्रदेश बीजेपी ने इस हिंसा व हत्या के लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है, "हालीशह में कार्यकर्ता साकेत भवाल की टीएमसी के गुंडों ने निर्मम हत्या कर दी और छह कार्यकर्ताओं को गंभीर रूप से घायल कर दिया.”

इस मुद्दे पर रविवार को पूरे इलाके में भारी तनाव रहा. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और ममता बनर्जी के पुतले भी जलाए. दूसरी ओर, रविवार को ही पूर्व बर्दवान जिले के पूर्वस्थली में एक अन्य बीजेपी कार्यकर्ता सुखदेव प्रामाणिक की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई. लेकिन बीजेपी के नेताओं और सुखदेव के परिजनों ने इसे हत्या करार देते हुए इसके लिए भी तृणमूल को जिम्मेदार ठहराया है. उत्तर 24-परगना जिले में बीजेपी कार्यकर्ता भवाल की हत्या के मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. दूसरी ओर, बर्दवान में भी बीजेपी ने सोमवार को बंद रखा और धरना-प्रदर्शन किया.

बीजेपी का आरोप
प्रदेश बीजेपी की ओर से एक ट्वीट में कहा गया है, "कटवा के बीजेपी कार्यकर्ता सुखदेव प्रमाणिक की टीएमसी के गुंडों ने निर्मम हत्या कर दी. 24 घंटे से भी कम समय में दो कार्यकर्ताओं की हत्या हो गई है. इससे पता चलता है कि दीदी सत्ता में बने रहने के लिए कितनी हताश हैं. लेकिन वह असफल रहेंगी. लोगों ने बंगाल में शांति बहाल करने और 2021 में टीएमसी को सत्ता से उखाड़ फेंकने का फैसला किया है.”

बीजेपी उपाध्यक्ष बी. रायचौधरी आरोप लगाते हैं, "ममता बनर्जी जानबूझकर हत्या करा रही हैं ताकि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाए और उनको विक्टिम कार्ड खेलने का मौका मिल जाए. लेकिन यहां राष्ट्रपति शासन लागू नहीं होगा. हम लोग ममता बनर्जी की राजनीति को राजनीति के मैदान में ही उखाड़ देंगे.” बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुकुल राय कहते हैं, "राज्य में लोकतंत्र और कानून व व्यवस्था नामक कोई चीज नहीं बची है. रोजाना हमारे कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है.”

तृणमूल का जवाब
दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने इन घटनाओं को बीजेपी की अंदरुनी गुटबाजी और निजी दुश्मनी का नतीजा बताया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता व शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम कहते हैं, "हमारी पार्टी हिंसा और हत्या की राजनीति पर भरोसा नहीं करती. बीजेपी के लोग खुद माहौल बनाने के लिए हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं.” जेपी नड्डा पर हमले के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसे बीजेपी की नौटंकी करार दिया था. तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता शांतनु सेन कहते हैं, "वर्ष 2011 के बाद राजनीतिक हिंसा में हमारी पार्टी के कार्यकर्ता ही सबसे ज्यादा मारे गए हैं. कभी लेफ्ट के हाथों तो कभी बीजेपी के हाथों.”

जे.पी.नड्डा पर हमले के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी अपनी रिपोर्ट में बंगाल में कानून व व्यवस्था के पूरी तरह ध्वस्त होने की बात कही थी और राज्य सरकार को संवैधानिक राह पर चलने की सलाह दी थी. इसी सप्ताह चुनाव आयोग की टीम भी कोलकाता के दौरे पर आ रही है. ऐसे में बीजेपी समेत तमाम विपक्षी दल चुनावों से पहले ही ही बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग उठा सकते हैं. बीजेपी तो पहले से ही यह मांग कर रही है.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले अब हिंसा और हत्याओं की राजनीति और तेज होने का अंदेशा है. राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, "विधानसभा चुनावों के लिए अभियान की शुरुआत तो अमित शाह के दौरे से ही हो गई थी. लेकिन नड्डा के दौरे ने माहौल और गरमा दिया है. उसके साथ ही बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं की मौत ने इस तनातनी की आग में घी डालने का काम किया है. ऐसे में आने वाले दिनों में तनाव व हिंसा के और बढ़ने का अंदेशा है.”  (dw.com)

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