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'नेताजी की वजह से भारतीय सेना से भयभीत हुए थे ब्रिटिश'
22-Jan-2021 8:20 AM
'नेताजी की वजह से भारतीय सेना से भयभीत हुए थे ब्रिटिश'

नई दिल्ली, 22 जनवरी | नेताजी सुभाष चंद्र की 125वीं जयंती 23 जनवरी को धूमधाम से मनाई जाएगी। इस विशेष दिन से पहले आईएएनएस ने अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिसी रिसर्च एंड इंटरनेशनल स्टडीज, एमएस यूनिवर्सिटी, वडोदरा के निदेशक शक्ति सिन्हा से बात की, जो इंडिया फाउंडेशन के एक प्रतिष्ठित फेलो हैं।

सिन्हा नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) के पूर्व निदेशक हैं और 1979 बैच से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का हिस्सा भी रहे हैं। उन्होंने पूर्व में प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव के रूप में भी कार्य किया है।

पेश है साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश :

प्रश्न : भाजपा की योजनाओं में नेताजी इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं?

उत्तर : अगर आप 60 और 70 के दशक में जाएं, तो आपको एक वर्णन मिलेगा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता हासिल की गई थी, जबकि इस दिशा में जवाहरलाल नेहरू अगले बड़े नेता के तौर पर माने गए हैं। परिणामस्वरूप, स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले कई अन्य लोगों का जिक्र तक नहीं हुआ।

मैं कहूंगा कि इस सूची में सरदार वल्लभभाई पटेल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी शामिल हैं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, नेताजी को कांग्रेस पार्टी छोड़नी पड़ी। उन्हें बाहर कर दिया गया। हमें यह समझना होगा कि गांधी के अलावा भी कई बड़े नेता थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। नेताजी की वजह से ही अंग्रेज भारतीय सेना से बहुत घबरा गए थे। इसलिए भारत को न केवल सविनय अवज्ञा के कारण स्वतंत्रता मिली, बल्कि उनके साथ ब्रिटिश राज के अंदर पनपे खतरे के कारण भी स्वतंत्रता मिली है। यही कारण है कि नेताजी भाजपा के लिए इतने प्रासंगिक हैं।

प्रश्न : आप नेताजी की जयंती समारोह की तैयारियों को कैसे देखते हैं?

उत्तर : यह एक व्यापक समिति है (बोस की 125वीं जयंती मनाने के लिए केंद्र द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति) और इसमें हर राजनीतिक विचारधारा के लोगों को लिया गया है। नेताजी एक व्यापक आधार वाले व्यक्तित्व थे और वे अपने समय में भी प्रभावशाली रहें हैं। यह विचार (आइडिया) लोगों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में जानने और उनका आकलन करने के लिए है।

प्रश्न : क्या आपको लगता है कि नेताजी को चुनाव के लिए प्रयुक्त किया जा रहा है? क्योंकि हमें याद है कि 2016 में पश्चिम बंगाल में राज्य चुनाव से छह महीने पहले टेलीविजन पर नेताजी की कहानियां भरी पड़ी थीं..।

उत्तर : राजनीतिक दल ये काम करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में नई दिल्ली के लाल किले में नेताजी संग्रहालय का उद्घाटन किया था। नेताजी को समझने और उन्हें जनता की नजर में लाने का प्रयास लंबे समय से है। लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि यह केवल चुनावों के लिए ही नहीं है।

प्रश्न : क्या आपको लगता है कि आने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में नेताजी फिर से एक मुद्दा बन सकते हैं?

उत्तर : मुझे नहीं पता कि आखिर नेताजी एक मुद्दा क्यों होना चाहिए। अगर लोग उन्हें भूल गए हैं, तो आप किसी पर उनकी विरासत को लागू करने का आरोप नहीं लगा सकते। भाजपा के निहित मूल्य और नेताजी का इको सिस्टम बहुत अलग था, लेकिन अगर वैचारिक मुद्दों के बावजूद भाजपा एक राष्ट्रवादी की सराहना कर सकती है, तो ऐसा आखिर क्यों नहीं होना चाहिए? यह कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए।

--आईएएनएस

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