राष्ट्रीय
गाजीपुर बॉर्डर से किसानों को हटाने के पुलिस के प्रयास के बाद अब उत्तर प्रदेश से और किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए चल पड़ हैं. सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि छह पत्रकारों के खिलाफ भी राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा-
गुरुवार रात दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच गाजीपुर बॉर्डर से किसानों को हटाने की पुलिस और प्रशासन ने पूरी कोशिश की. वहां बिजली और पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई, किसान नेताओं को उस जगह को खाली करने का नोटिस दिया गया और करीब 10,000 पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया. हालांकि किसान धरने पर डटे रहे.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत टेलीविजन पर बोलते बोलते रो पड़े और यह दृश्य देख कर उत्तर प्रदेश से और बड़ी संख्या में किसान उनका साथ देने दिल्ली के लिए निकल पड़े. शुक्रवार सुबह होते होते गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों और उनके समर्थकों की भीड़ बढ़ गई और मजबूर हो कर पुलिसकर्मियों को वहां से हटा लिया गया.
उत्तराखंड और हरयाणा से भी कई किसान गाजीपुर बॉर्डर की तरफ निकल चुके हैं. किसान संगठनों ने आंदोलन को जबरन खत्म करने के सरकार के इस प्रयास की निंदा की और कहा कि आंदोलन अभी भी जारी है. सिंघु बॉर्डर पर यह साबित करने के लिए करीब 15 किलोमीटर लंबी सद्भावना रैली निकाली गई. हालांकि अब वहां भारी संख्या में पुलिस और अर्ध-सैनिक बलों को तैनात कर दिया गया है. विपक्षी राजनीतिक पार्टियां भी किसानों को समर्थन दे रही हैं.
राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी राकेश टिकैत का साथ देने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे. आम आदमी पार्टी भी किसान आंदोलन को समर्थन की घोषणा कर चुकी है और पार्टी के कई नेता आज अलग अलग बॉर्डरों पर जा कर किसानों को अपने समर्थन का प्रदर्शन करेंगे. किसानों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करने के लिए कम से कम 16 पार्टियों ने शुक्रवार को संसद में हुए राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया.
पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह के मामले
दूसरी तरफ 26 जनवरी को किसान परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में उत्तर प्रदेश पुलिस ने नोएडा के एक थाने में कांग्रेस सांसद शशि थरूर और कम से कम छह पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह और अन्य आरोपों के तहत मामले दर्ज किए हैं. इन पत्रकारों में राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडे, जफर आगा, परेश नाथ, अनंत नाथ और विनोद जोस शामिल हैं. पुलिस का कहना है कि इन सभी के खिलाफ भ्रामक खबरें फैलाने की शिकायत मिली थी.
इन सभी के खिलाफ सिर्फ नोएडा में ही नहीं, बल्कि भोपाल में भी एक एफआईआर दर्ज की गई है. एडिटर्स गिल्ड ने इन एफआईआरों की निंदा की है और इन्हें स्वतंत्र मीडिया को डराने, परेशान करने और दबाने की कोशिश बताया है.
शुक्रवार से दिल्ली में संसद के बजट सत्र की भी शुरुआत हुई. देखना होगा कि इन घटनाओं का सत्र पर क्या असर पड़ता है.